आलू बुखारा गर्मियों में आने वाला मौसमी फल है। जिन लोगों को खट्टी-मीठी चीजों को खाने का शौक होता है उनकी पहली पसंद होता है आलूबुखारा। इस फल में केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि कई औषधीय गुण भी छुपे हुए हैं। आज हम आपको इन्ही गुणों के बारे में विस्तार से बताने जा रहे है...
आलू बुखारे को अंग्रेजी में प्लम के नाम से जाना जाता है। आलूबुखारा टमाटर जैसा दिखता है और इसका रंग बैंगनी या लाल होता है। आमतौर पर आलूबुखारा मई से अक्टूबर तक बाजार में मिलता है। आलूबुखारा विटामिन-ए, विटामिन-सी, कैरोटीनॉयड व पॉलीफेनॉल्स से भरपूर होता है। ये सभी आलूबुखारा में एंटीऑक्सीडेंट की तरह काम करते हैं। दरअसल, एंटीऑक्सीडेंट की कमी से शरीर में मुक्त कणों का खतरा बढ़ जाता है, जो हमारे शरीर को नुकसान पहुंचाते हैं। बता दें कि फ्री रेडिकल्स कि वजह से आपकी आंखों के प्राकृतिक लेन्स खराब हो सकते हैं, जिससे अंधापन भी हो सकता है। इसके अलावा, जोड़ों में सूजन (गठिया) हो सकती है। साथ ही ये मस्तिष्क से जुड़ी समस्या और ह्रदय रोग का कारण भी बन सकते हैं। इसलिए, एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर आलूबुखारा खाने से हम शरीर को कई गंभीर बीमारियों से बचा सकते हैं। इसके साथ ही पोटेशियम युक्त आलूबुखारा शरीर में इलेक्ट्रोलाइट्स बैलेंस को बनाए रख सकता है।
मजबूत बनाएं हडि्डयांमहिलाओं में osteoporosis को रोकने में आलूबुखारा बेहद सहायक है। रजोनिवृत्ति के उपरांत महिलाएं आलूबुखारे का सेवन करें तो वे स्वयं को osteoporosis से बचा सकती हैं। आपको बता दें osteoporosis में हड्डियां कमजोर होने लगती हैं और आलू बुखारा इस प्रोसेस को धीमा करने का काम करता है। साथ ही, इससे बोन मिनरल डेंसिटी में भी सुधार होता है।
कब्ज को करता है दूरआलूबुखारा फल फाइबर से भरपूर होता है। एक आलू बुखारे में 1 ग्राम तक फाइबर पाया जाता है। इसलिए यह कब्ज के इलाज में सहायक माना जा सकता है। साथ ही एक वैज्ञानिक शोध के अनुसार, सूखा आलूबुखारा यानी प्रून्स में मौजूद फेनोलिक कंपाउंड मल त्याग में होने वाली समस्याओं को दूर करने में भी मदद कर सकता है। जिन लोगों को कब्ज रहता है उन लोगों को रोजाना आलू बुखारा खाना चाहिए।
शुगर पेशेंट्सआलू बुखारा शुगर पेशेंट्स के लिए भी लाभदायक माना जाता है। आलूबुखारे में मौजूद बायोएक्टिव कंपाउंड डायबिटीज के खतरे को कम कर सकते हैं। साथ ही यह शरीर में एडिनोपेक्टिन नाम का एक हॉर्मोन में इजाफा करता है जो शुगर लेवल को कम करने के काम करता है। स्वाद में मीठा होने के बावजूद सूखा आलूबुखारा ब्लड शूगर को बढ़ाने का काम नहीं करता। आलू बुखारा में पाए जाने वाला फाइबर शरीर में ब्लड में शुगर को तेजी से नहीं घुलने देता है।
दिल के लिए फायदेमंद
आपको जानकर हैरानी होगी कि आलू बुखारा दिल के लिए काफी फायदेमंद माना जाता है। आलूबुखारा ब्लड प्रेशर को नियंत्रित कर सकता है साथ ही हाई कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम करता है। जिससे ह्रदय की सुरक्षा होती है। एक अध्ययन के मुताबिक, जिन लोगों ने सूखा आलूबुखारा और इसके जूस का सेवन किया, उनमें रक्तचाप का स्तर कम पाया गया। बता दे, ब्लड प्रेशर ज्यादा होने से रक्त वाहिकाओं में दवाब पड़ता है, जिससे ह्रदय रोग का जोखिम बढ़ सकता है।
कैंसरआलूबुखारा में मौजूद तत्व कैंसर से लड़ने में सहायक हैं। इसमें मौजूद अर्क ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी कम करता है साथ ही फाइबर और पॉलीफेनोल्स पेट के कैंसर के जोखिम कारकों को कम करने में सहायक साबित हो सकते हैं।
वजन करे कंट्रोल100 ग्राम आलूबुखारे में लगभग 46 कैलोरी होती है। अत: इसमें अन्य फलों की तुलना में कैलोरी काफी कम पाई जाती है। इस कारण से यह आपके वजन को नियंत्रित करने में मदद कर सकता है। वहीं, फाइबर से भरपूर होने की वजह से भी आलूबुखारा फल को वजन कम करने में फायदेमंद माना जाता है।
आंखों की सेहतआलूबुखारे में विटामिन-सी और विटामिन-ई होते हैं। ये दोनों पोषक तत्व उम्र के साथ घटती आंखों की रोशनी की समस्या से राहत दिलाने में मददगार साबित हो सकते हैं। इसके इलावा इसमें विटामिन-के एवं बी 6 भी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। आंखों की सेहत के लिए सूखा आलूबुखारा और आलूबुखारा फल दोनों का ही इस्तेमाल किया जा सकता है।
इम्यूनिटीआलूबुखारा फल में मौजूद विटामिन-ए प्रतिरक्षा प्रणाली के लिए महत्वपूर्ण माना जाता है। इसके साथ ही इसमें मिलने वाला विटामिन-सी शरीर में मौजूद टिश्यू को रिपेयर करने और इनके विकास में सहायक होते हैं।आहार में प्लम को शामिल करने के बाद बीमारी से लड़ने की क्षमता में बढ़ोत्तरी पाई गई।
मस्तिष्क स्वास्थ्यआलूबुखारे में मौजूद पॉलीफेनॉल्स कंपाउंड मस्तिष्क स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं। यह मस्तिष्क के कोलेस्ट्रॉल स्तर को भी कम करके दिमागी बीमारियों के जोखिम को कम करता है। आलूबुखारे का जूस बढ़ती उम्र के साथ मस्तिष्क कार्यप्रणाली में आने वाली कमी को दूर करने में सहायक हो सकता है। आलूबुखारा फल में ज्यादा फिनोलेक्स कंपाउंड होते हैं।