कोरोना का प्रभाव पूरी दुनिया पर पड़ा हैं और दूसरे देशों में इसकी दूसरी लहर दिखाई देने लगी हैं। ऐसे में कोरोना की वैक्सीन का जल्द आना बहुत जरूरी हो जाता हैं ताकि कोरोना का तोड़ निकाला जा सकें। लेकिन वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (CSIR) द्वारा एक ऐसी दावा विकसित की जा रही हैं जो वैक्सीन से पहले कोरोना का तोड़ बन सकती हैं एवं इससे कोरोना से बचाव के साथ इलाज भी संभव हो पाएगा। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, एमडब्ल्यू नाम की यह दवा दो चरणों के क्लिनिकल ट्रायल पूरी कर चुकी है और दवा नियामक से तीसरे चरण के ट्रायल की भी अनुमति मिल चुकी है। उम्मीद जताई जा रही है कि कोरोना की वैक्सीन से पहले ही यह दवा उपलब्ध हो सकती है।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस यानी मायकोबैक्ट्रीयम डबल्यू दवा के दो चरणों क्लिनिकल परीक्षणों के नतीजे उत्साहजनक रहे हैं। सीएसआईआर के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ। राम विश्वकर्मा के मुताबिक, दो चरणों के नतीजे दवा नियामक के सामने रखे गए थे, जिससे संतुष्ट होने के बाद तीसरे चरण के ट्रायल की अनुमति दी गई। देश में करीब 300 लोगों को अंतिम चरण के परीक्षण की शुरुआत होगी।
खबरों के मुताबिक, एम्स, अपोलो समेत चुनिंदा अस्पतालों में इन परीक्षणों की तैयारी की जा रही है। कहा जा रहा है कि तीसरे चरण के परीक्षण सफल रहे जो अगले साल की पहली तिमाही में यह दवा बाजार में उपलब्ध होगी। डॉ. विश्वकर्मा के मुताबिक, यह दवा इम्यूनो थेरेपी के रूप में काम करेगी, जो कोरोना के उपचाराधीन मरीज को दी जा सकती है। इसके साथ ही स्वस्थ व्यक्ति को कोरोना से बचाने में भी इस दवा का इस्तेमाल किया जा सकेगा।
खबरों के मुताबिक, दूसरे चरण के परीक्षण में यह देखा गया है कि इस दवा के सेवन से मरीज जल्द स्वस्थ हो रहे हैं और उनमें वायरस लोड तेजी से कम हो रहा है। दूसरे चरण के परीक्षण में 42 मरीज शामिल हुए थे, जबकि तीसरे चरण में 300 लोगों पर परीक्षण किया जाएगा।
बता दें कि यह दवा कुष्ठ रोग में पहले से इस्तेमाल होती आ रही है, जिसे सीएसआईआर ने कोरोना के इलाज के लिए पुनर्उद्देशित किया है। यह दवा शरीर में बाहरी संक्रमण के खिलाफ इम्यूनिटी पैदा करती है। कोरोना के इलाज के लिए पहले भी कई तरह की दवाएं आ चुकी है, लेकिन यह संभवत: पहली ऐसी दवा होगी, जो कोरोना के इलाज और बचाव दोनों में कारगर हो सकती है।