ब्लड ग्रुप से भी है मच्छरों के काटने का कनेक्शन, जानें कौन लोग होते हैं ज्यादा परेशान

मच्छरों से परेशान होना आम बात हैं जिसके चलते लोगों की रातों की नींद बर्बाद हो जाती हैं। मॉनसून के इन दिनों में तो मच्छरों की परेशानी बड़ा खतरा बनती हैं क्योंकि मच्छरों को पनपने का अनूकुल वातावरण मिलता हैं। मच्छरों से बचने के लिए लोग अपने घरों में कई जुगाड़ करते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि मच्छरों के काटने का आपके ब्लड ग्रुप से भी गहरा नाता जुड़ा हैं। जी हाँ, किसी विशेष ब्लड ग्रुप के लोगों को मच्छर ज्यादा ही काटते हैं। आइये जानते हैं इससे जुड़ी रिसर्च के बारे में।

ये बात सुनने में अजीब लगती है लेकिन वैज्ञानिकों के मुताबिक इंसान को नर मच्छर नहीं केवल मादा मच्छर ही काटती हैं। मादा मच्छर को प्रजनन के लिए कुछ पोषक तत्वों का आवश्यकता होती है। मादा मच्छर इंसान के खून से पोषक तत्व लेने के बाद प्रजनन करती है।

मादा मच्छर अपनी महसूस करने की क्षमता (सेंसिंग ऑर्गेन्स) से गंध को पहचान लेती है। सांस को छोड़ते समय निकलने वाली कार्बन डाईऑक्साइड (CO2) गैस से मच्छर तेजी से आकर्षित होते हैं। इसलिए सांस छोड़ते समय इंसानों को मच्छर ज्यादा काटते हैं।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, कुछ गंध से मच्छर बहुत जल्दी आकर्षित होते हैं। इंसान के शरीर का तापमान बढ़ने से जब बैक्टीरिया उत्पन्न होते हैं तो शरीर में गंध आने लगती है, इसलिए कुछ लोगों को मच्छर ज्यादा काटते हैं। पसीना आने पर शरीर में यूरिक एसिड, लैक्टिक एसिड और अमोनिया जैसे तत्व निकलते हैं, इनकी गंध से तेजी से मच्छर पास आते हैं।

जापान के शोधकर्ताओं द्वारा किए गए शोध के अनुसार, 'ओ' ब्लड ग्रुप वालों को मच्छर ज्यादा काटते हैं। जिन लोगों का ब्लड ग्रुप 'ए' होता है उन्हें मच्छर 'ओ' की तुलना में कम काटते हैं, तो वहीं 'बी' ग्रुप वाले लोगों को मच्छर सामान्य तौर पर काटते हैं।