बढ़ती उम्र के साथ स्वाभाविक है कि शरीर में भी कुछ हॉर्मोनल बदलाव होते है. सिर्फ महिलाएं ही नहीं पुरुष भी बढ़ती उम्र के साथ हॉर्मोनल बदलाव का अनुभव करते है. पुरुषों में होने वाले इस बदलाव की स्थिति को मेडिकल भाषा में 'एंड्रोपॉज' (Andropause) कहते हैं। महिलाओं में जिस तरह 45 वर्ष की उम्र के बाद मेनोपॉज की स्थिति आती है, ठीक उसी तरह पुरुषों में भी मेनोपॉज होता है, जिसे मेल मेनोपॉज यानी एंड्रोपॉज (Andropause) कहते हैं। महिलाओं को होने वाले मेनोपॉज़ की तुलना में यह पूरी तरह से अलग होता है। पुरुषों का एंड्रोपॉज़ और महिलाओं के मेनोपॉज़ में कई तरह से अंतर पाया जाता है।
फर्टिलिटी कंसल्टेंट नोवा, आईवीएफ फर्टिलिटी डॉ हरीता मन्नेम के अनुसार, एंड्रोपॉज के लक्षणों को यौन संतुष्टि में कमी या उम्र बढ़ने पर टेस्टोस्टेरॉन के निम्न स्तर के साथ आमतौर पर तंदरुस्ती में गिरावट महसूस होने से जुड़े सिंड्रोम के रूप में परिभाषित किया जाता है। लगभग 30% पुरुष 50 की उम्र में टेस्टोस्टेरॉन के निम्न स्तर के कारण इन लक्षणों का अनुभव करते हैं। मेनोपॉज़ की वजह से महिलाओं में ओव्यूलेशन का विड्रवल होता है, वहीं पुरुषों में यह कम समय के लिये होता है। वैसे टेस्टोस्टेरॉन स्तर और हॉर्मोन के निर्माण का स्तर धीरे-धीरे कम होता है और समय के साथ बढ़ता है।
मेनोपॉज से ऐसे अलग है एंड्रोपॉजमेनोपॉज में प्रजजन अंग पूरी तरह खत्म नहीं होते। इसके बाद महिलाओं से अलग अभी भी पुरुषों में प्रजनन क्षमता होती है और शुक्राणुओं का निर्माण होता है. यह एक आम फैक्ट है मेनोपॉज आमतौर पर महिलाओं के बायोलॉजिकल क्लॉक के अंत के रूप में माना जाता है। लेकिन एंड्रोपॉज़ किसी व्यक्ति की प्रजनन की क्षमता को बाधित नहीं करता है।
टेस्टोस्टेरॉन क्या है?टेस्टोस्टेरॉन क्या है? यह पुरुषों के अंडकोष में निर्मित होने वाला हॉर्मोन है। यह आपकी कामुकता को बढ़ाने के अलावा और भी बहुत कुछ करता है। यह प्यूबर्टी के बदलावों, मानसिक और शारीरिक ऊर्जा, मांसपेशीय पिंड का रख-रखाव, लड़ने या हार मानने वाली प्रतिक्रिया का नियमन और अन्य प्रमुख जैव-रासायनिक विशेषताओं को पोषित करता है। 30 वर्ष की आयु पार हो जाने के बाद टेस्टोस्टेरोन का स्तर धीरे-धीरे हर साल लगभग 1% तक कम हो जाता है।
टेस्टोस्टेरॉन कम होने की वजह50 वर्ष से अधिक उम्र के पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन उत्पादन में कमी की विशेषता है। टेस्टोस्टेरॉन के स्तर में कमी अलग-अलग होती है और इसके अलग-अलग होने के पीछे क्रॉनिक बीमारियों, जैसे कि मोटापा, डायबिटीज, गुर्दे की बीमारी, एचआईवी, गंभीर भावनात्मक दबाव और दवाओं (Corticosteroid, Cimetidine, Spironolactone, Digoxin, Opioid Analgesic,Antidepressant) के असर जैसे कारण शामिल हैं।
एंड्रोपॉज के लक्षणएंड्रोपॉज़ के लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग होते हैं। इसकी वजह से इसका पता नहीं चल पाता और कई बार इसका इलाज नहीं होता।
- शरीर में चर्बी जमा होना
- यौन रोग
- कम कामेच्छा (कम सेक्स ड्राइव)
- अनिद्रा या नींद के पैटर्न में व्यवधान
- त्वचा का पतला होना
- त्वचा का रूखापन
- चिड़चिड़ापन और मूड स्विंग
- अवसाद
- अपर्याप्त ऊर्जा
- हीट फ्लैशेज
- मसल मास (मांसपेशीय पिंड) में कमी
- एकाग्रता क्षमता कम होना
- अत्यधिक पसीना आना
इनमें से एक या उससे ज्यादा लक्षण को निम्न सीरम टेस्टोस्टेरॉन स्तर (11 nmol/l और 220 pmol/l से कम टेस्टोस्टेरॉन का स्तर) से जोड़ कर देखा जाना चाहिए।
एंड्रोपॉज का इलाजएंड्रोपॉज़ से गुजर रहे पुरुषों में सबसे आम उपचार है ब्लड में टेस्टोस्टेरॉन को रिप्लेस करना। टेस्टोस्टेरॉन कई रूपों में उपलब्ध है, जैसे कि स्किन पैचेज, कैप्सूल्स, जेल्स और इंजेक्शन। आपके डॉक्टर यह तय करने में आपकी मदद करेंगे कि आपके लिये कौन-सा उपचार सबसे अच्छा है और निर्णय लेने के दौरान आपकी लाइफस्टाइल को ध्यान में रखते हैं। इसका उपचार हमेशा डॉक्टर की देखरेख में किया जाना चाहिए।