उम्र बढ़ने के साथ आमतौर पर देखने को मिलता हैं कि लोगों को याददाश्त से जुड़ी परेशानियां होने लगती हैं। ऐसी ही एक बीमारी हैं डिमेंशिया जो एक जटिल और दुर्बल करने वाली न्यूरो-डीजेनेरेटिव बीमारी है। डिमेंशिया होने पर व्यक्ति की याददाश्त, सोच और व्यवहार प्रभावित होता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि दुनिया भर में 55 मिलियन से ज्यादा लोग डिमेंशिया से ग्रस्त हैं। डिमेंशिया के रोगी की देखभाल कर रहे लोगों को उनकी रोजाना की आदतों में बदलाव लाने में मदद करने की जरूरत पड़ती है। बहुत सारे लोग नहीं जानते कि डिमेंशिया को कैसे मैनेज किया जाना चाहिए। ऐसे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं कि आपको डिमेंशिया बीमारी के दौरान अपनी दिनचर्या में क्या सुधार लाना चाहिए।
एक्टिव रहनाडिमेंशिया के रोगियों का एक्टिव रहना जरूरी है, फिर चाहे सैर की जाए या डांस किया जाए। डिमेंशिया अधिकतर बुजुर्गों को ही होता है, तो यह ध्यान रखना उनके साथ के लोगों के लिए जरूरी है कि उनका वर्क आउट सुरक्षित हो। शोध भी कहते हैं कि एक्सरसाइज करने से एंग्जायटी या डिप्रेशन जैसे डिमेंशिया के लक्षणों में सुधार आ सकता है। शारीरिक गतिविधि की कमी से हृदय रोग होने, अधिक वजन या मोटापे से ग्रस्त होने और टाइप 2 डायबिटीज होने की संभावना बढ़ सकती है। ये सभी डिमेंशिया से जुड़े हैं। वृद्ध वयस्क जो नियमित रूप से व्यायाम नहीं कर पाते उन्हें बाद में जीवन में याद्दाश्त संबंधी समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए नियमित रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय रहें। ब्रिस्क वॉकिंग, साइकलिंग या डांसिंग जैसी गतिविधियां करने की कोशिश करें।
वजन पर कंट्रोल करेंअधिक वजन या मोटा होना किसी के ब्लड प्रेशर और टाइप 2 डायबिटीज की संभावना को बढ़ा सकता है, दोनों ही डिमेंशिया से संबंधित हैं। इसके लिए एक संतुलित आहार लेना अनिवार्य है, जिसमें ताजे फल, सब्जियां, मेवा, बीज, दालें और साबुत अनाज शामिल हों। जंक, प्रोसेस्ड और डिब्बाबंद खाद्य पदार्थों से बचने की कोशिश करें।
गहरी नींद ले डिमेंशिया के कई रोगियों के लक्षण दोपहर के बाद ज्यादा प्रभावित करते हैं। ऐसे में जरूरी है कि उनका रूटीन शांति वाला हो। इसलिए, उन्हें शाम के समय चाय या कॉफी का सेवन नहीं करना चाहिए। दिन में सोने से भी परहेज करना सही रहता है। शाम के बाद टीवी भी देखने की सलाह नहीं दी जाती है।
अपने स्वास्थ्य पर नियंत्रण रखेंजैसे-जैसे आपकी उम्र बढ़ती है, अनुपचारित हाई ब्लड प्रेशर, उच्च कोलेस्ट्रॉल और टाइप 2 डायबिटीज जैसी स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं का खतरा बढ़ जाता है। ये स्थितियां डिमेंशिया के विकास के बढ़ते जोखिम से जुड़ी हैं। इसलिए यह वास्तव में महत्वपूर्ण है कि आप अपने आप पर नज़र रखें और स्वस्थ दिनचर्या का पालन करें ताकि आप सुरक्षित और स्वस्थ रहें।
सही खान-पानव्यक्ति जो भी खाता-पीता है, इससे न सिर्फ उसका स्वास्थ्य बल्कि ब्रेन भी प्रभावित होता है। अच्छी आदतों में वह शक्ति होती है, जिससे डिमेंशिया के लक्षणों में सुधार आने लगता है। इसके लिए माइन्ड डाइट लेने की सलाह दी जाती है। इस डाइट में वैसी चीजें खाने के लिए कहा जाता है, जो ब्लड प्रेशर को नियंत्रित करने में सहायक होती हैं। माइन्ड डाइट में हरी पत्तेदार सब्जियां, नट्स, बेरी, बीन्स, साबुत अनाज, फिश, पॉल्ट्री व ऑलिव ऑयल शामिल है। इसमें रेड मीट, मक्खन, चीज, मिठाई और तली भुनी चीजें खाने से मना किया जाता है। आपको शर्करा युक्त खाद्य पदार्थ, शराब और नमक का सेवन सीमित करने की आवश्यकता है।
ब्रेन चैलेंजडिमेंशिया के घरेलू उपचार में ऐसी चीजें करने की सलाह दी जाती हैं, जिससे ब्रेन को चैलेंज मिलता है। फिर चाहे यह पियानो सीखना हो या चेस जैसा कोई खेल खेलना। घर से बाहर निकलिए और कोई गेम खेलिए। किसी भी तरह का खेल खेलने से शरीर और दिमाग दोनों को ऊर्जा मिलती है और आप स्वस्थ महसूस करते हैं।
नशा न करेंबहुत अधिक शराब पीने से स्ट्रोक, हृदय रोग और कैंसर हो सकता है, जो तंत्रिका तंत्र और मस्तिष्क को प्रभावित करता है। व्यक्ति बाद के जीवन में डिमेंशिया से पीड़ित हो सकता है। शराब का सेवन सीमित करें, और स्वस्थ रहें। इसके अलावा क्या आप जानते हैं कि धूम्रपान रक्त वाहिकाओं को संकुचित करता है, ब्लड प्रेशर बढ़ाता है और आपको हृदय रोग के उच्च जोखिम में डालता है। धूम्रपान डिमेंशिया के लिए एक जोखिम कारक है क्योंकि इससे संज्ञानात्मक हानि होती है।
म्यूजिक थेरेपीडिमेंशिया के रोगियों को बेचैनी और घबराहट की समस्या रहती है। इसे कम करने में म्यूजिक थेरेपी की मदद ली जा सकती है। इसके लिए शांत और मनपसंद म्यूजिक सुनने से बेचैनी और घबराहट को कम होने में सहायता मिल सकती है। अपना शौक पूरा करने की कोई उम्र नहीं होती है। अगर आपको कोई वाद्ययंत्र बजाना पसंद है तो उसे सीखने का अभ्यास करें। संगीत मस्तिष्क को आराम दिलाने के साथ ही याददाश्त बढ़ाने में भी मदद करता है।