कोरोना वायरस महामारी के बीच मंकीपॉक्स (Monkeypox) या मंकी वायरस (Monkeypox virus)का खतरा भी बढ़ने लगा है। पूरे यूरोप में मंकीपॉक्स संक्रमण (Monkeypox Infection) की सूचना मिलने के बाद अमेरिका में भी अब इस दुर्लभ और संभावित खतरनाक मंकीपॉक्स वायरस के एक मामले की पुष्टि हुई है। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC)ने बताया, मंकीपॉक्स से संक्रमित इस व्यक्ति ने हाल ही में कनाडा की यात्रा की थी और अब इसका एक अस्पताल में इलाज चल रहा है। इस साल अमेरिका में मंकीपॉक्स का पहला मामला सामने आया है। इसके पहले यूरोप के कई देशों में मंकीपॉक्स के मामले सामने आए हैं। इनमें से यूके में 7 जबकि पुर्तगाल और स्पेन में भी कुछ मामले सामने आए हैं। वहीं कनाडा में स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि वो 13 मामलों की जांच कर रहे हैं।
अब तक मंकीपॉक्स अफ्रीका के बाहर केवल चार देशों में पाया गया था। मध्य और पश्चिमी अफ्रीका में संक्रमण अधिक आम हैं, जहां वे संक्रमित जानवरों के सीधे संपर्क में आते हैं। चलिए जानते हैं कि मंकीपॉक्स क्या है, इसके लक्षण क्या हैं, यह कैसे फैलता है और कितना गंभीर हैं?
मंकीपॉक्स क्या है?मंकीपॉक्स 'मंकीपॉक्स वायरस' के कारण होने वाली एक दुर्लभ बीमारी है, जो उसी ऑर्थोपॉक्सवायरस (Orthopoxvirus) जीनस से संबंधित है जिसमें चेचक पैदा करने वाला वेरियोला वायरस (variola virus) भी शामिल है। मंकीपॉक्स एक जूनोसिस (zoonosis) है, एक बीमारी जो संक्रमित जानवरों से मनुष्यों में फैलती है।
मंकीपॉक्स कितना घातक है?मंकीपॉक्स आमतौर पर हल्का होता है, ज्यादातर मरीज बिना इलाज के कुछ ही हफ्तों में ठीक हो जाते हैं। फिर भी यह बीमारी जानलेवा साबित हो सकती है। मंकीपॉक्स से संक्रमित होने वाले 10 प्रतिशत लोगों की मौत हो जाती है।
1958 में हुई मंकीपॉक्स की खोजअमेरिका के रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (CDC) के अनुसार, साल 1958 में पहली बार एक बंदर को अनुसंधान के लिए रखा गया था जहां पहली बार इस वायरस की खोज हुई थी। वहीं इंसानों में पहली बार इस वायरस की पुष्टि साल 1970 में हुई थी।
मंकीपॉक्स वायरस किसी संक्रमित जानवर के काटने से, या उसके खून, शरीर के तरल पदार्थ या फर को छूने से हो सकता है। ऐसा माना जाता है कि यह चूहों, खरगोशों और गिलहरियों जैसे जानवरों के काटने से फैलता है। अगर आप ऐसे किसी जानवर का अधपका मांस खाते हैं जो मंकीपॉक्स से संक्रमित हो तो भी इस बीमारी के संक्रमण के चांसेस ज्यादा रहते हैं। इंसानों में यह वायरस बहुत ही तेजी से फैलता है। एक तरह से कह सकते हैं कि ये भी छुआछूत की तरह ही है। अगर आप संक्रमित व्यक्ति के कपड़े या बिस्तर का इस्तेमाल करते हैं तो आपको मंकीपॉक्स हो सकता है। छींकने और खांसने से भी यह वायरस फैल सकता है।
मंकीपॉक्स के लक्षण क्या हैं?- बुखार
- सिरदर्द
- मांसपेशियों में दर्द
- पीठ दर्द
- लिम्फ नोड्स में सूजन
- ठंड लगना
- थकान
इन लक्षणों का अनुभव करने के एक से पांच दिन बाद आमतौर पर चेहरे पर दाने दिखाई देते हैं। दाने कभी-कभी चिकनपॉक्स के साथ भ्रमित होते हैं, क्योंकि यह उभरे हुए धब्बों के रूप में शुरू होता है जो तरल पदार्थ से भरे छोटे पपड़ी में बदल जाते हैं। लक्षण आमतौर पर दो से चार सप्ताह के भीतर साफ हो जाते हैं और पपड़ी गिर जाती है।
कैसे फैलता है मंकीपॉक्ससंक्रमित रोगी के निकट संपर्क से यह वायरस एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है। वायरस टूटी हुई त्वचा, श्वसन पथ या आंख, नाक या मुंह के माध्यम से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है। यह संक्रमित जानवरों जैसे बंदरों, चूहों और गिलहरियों के संपर्क में आने से या वायरस से दूषित वस्तुओं, जैसे बिस्तर और कपड़ों से भी फैल सकता है।
मंकीपॉक्स का इलाज क्या है?चूंकि मंकीपॉक्स उस वायरस से निकटता से संबंधित है जो चेचक का कारण बनता है, चेचक के लिए जैब्स भी लोगों को मंकीपॉक्स होने से बचा सकता है। चेचक का टीकाकरण मंकीपॉक्स को रोकने में 85% प्रभावी साबित हुआ है। हालांकि मंकीपॉक्स का कोई इलाज नहीं है। मरीजों को एक विशेषज्ञ अस्पताल में रहने की आवश्यकता होगी ताकि संक्रमण न फैले और सामान्य लक्षणों का इलाज किया जा सके।