शहरी जीवनशैली है ही कुछ ऐसी की तनाव आ ही जाता है। पर ऐसा नहीं है कि तनावमुक्त रहना बहुत मुश्क़िल है। पर ज़्यादातर लोग तनावमुक्त इसलिए नहीं हो पाते कि उन्हें पता ही नहीं होता कि वे तनावग्रस्त हैं। इन सामान्य से लक्षणों पर ग़ौर करें और जानें कि कहीं आप तनावग्रस्त तो नहीं।
पाचन संबंधी समस्याएं शुरू हो गई हैं
मस्तिष्क और पाचनतंत्र
वेगस नर्व्स द्वारा एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं। अत: जब हम स्ट्रेस्ड होते
हैं तब उसका असर पाचनतंत्र पर दिखने लगता है। तनाव के चलते भोजन को पचाने
में सहायक गुड बैक्टीरिया की संख्या में कमी आती है। पेट में दर्द और अपच
जैसी समस्याएं हमें परेशान करने लगती हैं।
आप बार-बार सर्दी-खांसी से परेशान होते रहते हैं
कॉर्टिसोल
आपके इम्यून सेल्स को क्षतिग्रस्त कर देता है। इसके चलते जर्म और वायरस से
लड़ने की शरीर की क्षमता में काफ़ी हद तक कमी आ जाती है। यही कारण है कि
तनावग्रस्त होने पर लोगों को सर्दी-खांसी व दूसरी छोटी-मोटी बीमारियां
परेशान करती रहती हैं। यदि स्ट्रेस का लेवल बढ़ता ही गया तो इम्यून सिस्टम
कन्फ़्यूज हो जाता है और शरीर के अच्छे और स्वस्थ सेल्स पर अटैक करता है।
आप कुछ ज़्यादा ही चिंतित रहने लगे हैं और डिप्रेस्ड भी महसूस करते हैं
इन
दोनों समस्याओं का सीधा संबंध हाई लेवल स्ट्रेस से है। जब हम स्ट्रेस्ड
होते हैं तो अक्सर तरह-तरह की चिंताओं से घिर जाते हैं। पैनिक अटैक और
घबराहट भी महसूस करते हैं। यदि तनाव लंबे समय तक बना रहा तो धीरे-धीरे उसका
असर हमारी याददाश्त पर भी पड़ता है। ध्यान केंद्रित करने में परेशानी होती
है। वक़्त रहते तनाव को कम करने के लिए कुछ नहीं किया गया तो अवसाद यानी
डिप्रेशन में जाने की संभावना बढ़ जाती है।
सेक्स की आपकी इच्छा कम से कमतर होती जा रही है
जब
शरीर में स्ट्रेस हारमोन कार्टिसोल का उत्पादन बढ़ जाता है, तब सेक्स
हारमोन्स का स्राव उसी अनुपात में घट जाता है। यही कारण है कि जब हम
तनावग्रस्त होते हैं, तब सेक्स की इच्छा कम से कमतर होती जाती है।
आपको आजकल ठीक से नींद नहीं आ रही है
तनाव
के चलते हम दिनभर थका-थका सा महसूस करते हैं। ऐसा लगता है कि शरीर को आराम
की ज़रूरत है। पर जब बिस्तर पर जाते हैं तो नींद आंखों से ग़ायब हो जाती
है। लंबे समय से तनावग्रस्त रहने पर नींद न आना यानी इन्सोम्निया एक आम
समस्या बन जाती है। इन्सोम्निया आपके तनाव को बढ़ाने का ही काम करेगा।
आपकी त्वचा रूखी-सूखी और पपड़ीदार हो गई है
आम
तौर पर जब हम तनावग्रस्त होते हैं, तब हमारी त्वचा की नमी कम हो जाती है।
त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं। इसका कारण यह है कि तनाव का हारमोन
कॉर्टिसोल स्किन सेल्स में इन्फ़्लेमेट्री कंपाउंड्स रिलीज़ करता है, जिससे
सोरायसिस (पपड़ीदार त्वचा), एक्ज़िमा (खुजली), एलोपीशिया, रोजेसी (त्वचा
लाल हो जाना) और ऐक्ने जैसी त्वचा संबंधी समस्याएं बढ़ जाती हैं।