भारत में बच्चों को शुरू से ही दाल का महत्व पता चल जाता है क्योंकि लगभग हर घर में यह खाने का प्रमुख हिस्सा होती है। हर प्रकार की दाल पोषक तत्वों से भरपूर होती है। इनमें मुख्य रूप से प्रोटीन की बहुतायत होती है। स्वस्थ रहने के लिए इनका सेवन करना अत्यंत जरूरी बताया जाता है। आज हम आपको तीन प्रकार की दाल उड़द, अरहर और मूंग के फायदे बताने जा रहे हैं।
उड़द दाल की खास बातें एवं गुण
दालों की महारानी उड़द दाल
सफेद और काली दो प्रकार की होती है। साउथ एशिया में इसकी पैदावार सबसे
ज्यादा है। उड़द को एक अत्यंत पौष्टिक दाल के रूप में जाना जाता है। यह अन्य
प्रकार की दालों से अधिक बल देने वाली और पौष्टिक भी होती है। उड़द की दाल
में प्रोटीन, विटामिन बी थायमीन, राइबोफ्लेविन और नियासिन, विटामिन सी,
आयरन,कैल्शियम, घुलनशील रेशा और स्टार्च पाया जाता है। छिलकों वाली उड़द की
दाल में तो भरपूर मात्रा में विटामिन और खनिज लवण पाए जाते हैं और
कोलेस्ट्रॉल बिल्कुल नहीं। गरम मसालों सहित छिलके वाली दाल ज्यादा गुणकारी
होती है।
उड़द दाल के फायदे
- इसमें बहुत सारा आयरन
होता है, जिसे खाने से शरीर को बल मिलता है। इसमें रेड मीट के मुकाबले कई
गुना आयरन होता है। जिन लोगों की पाचन शक्ति प्रबल होती है, वे यदि इसका
सेवन करें, तो उनके शरीर में रक्त, बोन मैरो की वृद्धि होती है।
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इसमें बहुत सारे घुलनशील रेशे होते हैं, जो पचने में आसान होते हैं।
कोलेस्ट्रॉल घटाने के अलावा भी काली उड़द स्वास्थ्यवर्धक होती है। यह
मैग्नीशियम और फोलेट लेवल को बढ़ाकर आर्टरीज़ को ब्लॉक होने से बचाती है।
यह दिल को स्वस्थ भी रखती है, क्योंकि इससे ब्लड सर्कुलेशन बढ़ता है।
- एक सप्ताह तक इसका सेवन करने से पुराने से पुराना मूत्र रोग ठीक हो जाता है।
- अगर यंग लेडीज़ इस खीर का सेवन करें, तो उनका रूप निखरता है।
- ब्रेस्टफीड कराने वाली महिलाओं के स्तनों में दूध की वृद्धि होती है।
- यदि गर्भाशय में कोई विकार है, तो दूर होता है।
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चेहरे पर झाइयां और मुहांसों के दाग को उड़द दाल के फेस पैक से साफ किया
जाता है। इससे चेहरे में निखार आता है और चेहरा चमकदार बन जाता है।
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अगर काली उड़द को पानी में 6 से 7 घंटे के लिए भिगोकर उसे घी में फ्राई
करके शहद के साथ नियमित सेवन किया जाए, तो पुरुष की यौन शक्ति बढ़ती है और
सभी विकार दूर होते हैं।
- जिन्हें अपचन की शिकायत हो या बवासीर
जैसी समस्याएं हो, उन्हें उड़द की दाल का सेवन करना चाहिए। इसके सेवन से
कब्ज़ की समस्या दूर हो जाती है।
- उड़द के आटे की लोई तैयार करके
दागयुक्त त्वचा पर लगाई जाए और फिर नहा लिया जाए, तो ल्युकोडर्मा (सफेद
दाग) जैसी समस्या में भी आराम मिलता है।
- डांग-गुजरात के
आदिवासियों के अनुसार गंजापन दूर करने के लिए उड़द दाल एक अच्छा उपाय है।
दाल को उबालकर पीस लिया जाए और इसका लेप रात सोने के समय सिर पर कर लिया
जाए, तो गंजापन धीरे-धीरे दूर होने लगता है और नए बाल आने शुरू हो जाते
हैं।
- फोड़े-फुंसियों, घाव और पके हुए जख्मों पर उड़द के आटे की
पट्टी बांधकर रखने से आराम मिलता है। दिन में 3-4 बार ऐसा करने से आराम मिल
जाता है।
- इसमें कैल्शियम, पोटैशियम, आयरन, मैग्नीशियम, मैंगनीज़
जैसे तत्व आदि भी भरपूर पाए जाते हैं और इसे बतौर औषधि कई हर्बल नुस्खों
में उपयोग में लाया जाता है।
- छिलके वाली उड़द की दाल को एक सूती
कपड़े में लपेटकर तवे पर गर्म किया जाए और जोड़ दर्द से परेशान व्यक्ति के
दर्द वाले हिस्सों पर सिंकाई की जाए, तो दर्द में तेजी से आराम मिलता है।
काली उड़द को खाने के तेल में गर्म करते हैं और उस तेल से दर्द वाले
हिस्सों की मालिश की जाती है। इससे दर्द में तेजी से आराम मिलता है।
- इसी तेल को लकवे से ग्रस्त व्यक्ति को लकवे वाले शारीरिक अंगों में मालिश करनी चाहिए, फायदा होता है।
- दुबले लोग अगर छिलके वाली उड़द दाल का सेवन करें, तो यह वजन बढ़ाने में मदद करती है।
अरहर दाल के गुण एवं खास बातें
दाल
के रूप में उपयोग में लिए जाने वाली सभी दालों में अरहर का प्रमुख स्थान
है। अरहर को तुअर या तुवर भी कहा जाता है। अरहर का वानस्पतिक नाम कजानस
कजान है। इसके कच्चे दानों को उबालकर पर्याप्त पानी में छौंककर स्वादिष्ट
सब्जी भी बनाई जाती है। पौष्टिक गुणों को समेटे हुए अरहर की हरी-हरी फलियों
के दाने निकालकर उन्हें तवे पर भूनकर भी खाना काफी लाभकारी होता है। वैसे
तो यह दाल जल्दी पच जाती है, लेकिन इसका सेवन गैस, कब्ज और सांस के रोगियों
को कम करना चाहिए।
अरहर की दाल के फायदे
- माइग्रेन के मरीजों को अरहर के पत्तों तथा दूब (दूर्वा घास) का रस समान मात्रा में तैयार कर नाक में डालने से लाभ मिलता है।
- अरहर की कच्ची दाल को पानी में पीसकर पिलाने से भांग का नशा उतार सकते हैं।
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ज्यादा पसीना आने की शिकायत होने पर एक मुट्ठी अरहर की दाल, एक चम्मच नमक
और आधा चम्मच पिसी हुई सोंठ लेकर सरसों के तेल में छौंककर शरीर पर मालिश
करने से अधिक पसीना आने की समस्या से निदान मिलता है।
- घाव सूखने के लिए अरहर के कोमल पत्ते पीसकर घाव पर लगाने चाहिए।
- दांत दर्द की शिकायत होने पर अरहर के पत्तों का काढ़ा बनाकर कुल्ला करने से फायदा मिलता है।
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अरहर की दाल को छिलके सहित पानी में भिगोकर रखें। फिर इससे कुल्ला करें।
अरहर की ताजी हरी पत्तियों को चबाने से भी मुंह के छालों में आराम मिलता
है।
- अरहर के पौधे की कोमल डंडियां, पत्ते आदि दूध देने वाले पशुओं को खिलाते हैं, ताकि वे अधिक दूध दें।
हरी मूंग दाल की खास बातें एवं गुण
बिना
छिलका उतारे इस दाल का रंग हरा होता है और छिलका उतार कर पीला। ऊपर से
जैतूनी हरा और अंदर से पीला रंग होता है। इस दाल का स्वाद हल्का मीठा होता
है। साथ ही पचाने में आसान। अन्य दालों की तरह इसमें भी प्रोटीन और फाइबर
की अधिकता और कोलेस्ट्रॉल की मात्रा बिल्कुल भी नहीं होती। इसके साथ ही
इसमें कई प्रकार के विटामिन्स सी, ई, के, बी6, फोलेट, पेंटोथेनिक एसिड,
नियासिन, राइबोफ्लेविन, थियामिन भी मौजूद होते हैं। कैल्शियम, आयरन,
मैग्नीशियम, मैंगनीज़, फॉस्फोरस, पोटैशियम, जिंक आदि की भी भरपूर मात्रा
पाई जाती है।
हरी मूंग की दाल के फायदे
- हरी मूंग दाल प्रोटीन और पाचन में सहायक फाइबर का अच्छा स्रोत है।
- इसमें वसा की मात्रा कम होती है और यह विटामिन बी कॉम्पलेक्स विटामिन, कैल्शियम और पौटैशियम से भरपूर होती है।
- अन्य दाल की तुलना में इसे खाने से गैस या अपच नहीं होती।
- पकी हुई हरी मूंग दाल पचाने में आसान होती है। इसलिए यह बच्चों, बड़े, बीमार और वृद्ध के लिए लाभदायक होती है।
- बीमारी में हरी मूंग दाल का सूप बहुत लाभदायक होता है।
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बचपन, प्रेग्नेंसी और ब्रेस्टफीड करते समय इसका लगातार उपयोग ज़रुरत
मात्रा मे पौषण प्रदान करने के साथ-साथ स्वस्थ रखने मे मदद करता है।
- अधिक मात्रा मे इसका प्रयोग करने पर यह एक दवा के रुप में काम करती है।
- टायफॉयड के रोगी को मूंग की दाल बनाकर देने से लाभ होता है, लेकिन दाल के साथ घी और मसालों का प्रयोग बिलकुल ना करें।
- चावल और मूंग की खिचड़ी खाने से कब्ज दूर होती है। खिचड़ी में घी डालकर खाने से कब्ज दूर होकर दस्त साफ आता है।
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मूंग को सेंककर पीस लें। इसमें पानी डालकर अच्छी तरह से मिलाकर लेप की तरह
शरीर पर मालिश करें। इससे ज्यादा पसीना आना बंद हो जाता है।
- मूंग
की छिलके वाली दाल को दो घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद इसे
पीसकर गाढ़ा लेप दाद और खुजली युक्त स्थान पर लगाएं, लाभ होगा।
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मूंग को छिलके सहित खाना चाहिए। बुखार होने पर मूंग की दाल में सूखे आंवले
को डालकर पकाएं। इसे रोज़ दिन में दो बार खाने से बुखार ठीक होता है और दस्त
भी साफ होता है।
- मूंग दाल कैंसर के जीवाणुओं के बनने की प्रक्रिया को खत्म करती है।