सिंघाड़ा : ठंडी होती है तासीर, पोषक तत्वों से भरपूर, इन बीमारियों को करता जल्द से जल्द दूर

पानी की सतह पर फैली लंबी लताओं से पैदा होने वाला सिंघाड़ा, हमारी सेहत के लिए एक बढ़िया प्राकृतिक फल है। सिर पर दो सींग यानी दो कांटे होने की वजह से इसे संस्कृत में शृंगाटक कहा जाता है। पानी में पैदा होने के कारण कई जगहों पर इसे पानी फल के नाम से भी जाना जाता है। इस फल की उपज ख़ास तौर से सर्दियों में होती है। इसे कच्चा, उबालकर या फिर सब्ज़ी बनाकर खानपान में शामिल कर सकते हैं। सिंघाड़े को छीलकर उसकी गिरी को सुखाकर आटा तैयार किया जाता है, जिसे व्रत में इस्तेमाल करते हैं। चीनी खानपान में भी इसका बढ़े स्तर पर इस्तेमाल होता है।

सिंघाड़े की पैदावार तालाबों और छोटे-छोटे जलाशयों में होती है। सिंघाड़े के पौधों को बरसात से पहले जलस्रोतों के अंदर कीचड़ में रोप दिया जाता है। बरसात के समय इस पौधे की बेलें पानी की सतह पर फैलती हैं और फिर उनमें फूल और फल लगते हैं। पूरे भारत में मुख्य रूप से सिंघाड़े की खेती, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा और गुजरात में की जाती है।

यह विटामिन ए, मैंगनीज़, थाइमिन, कार्बोहाइड्रेट, टैनिन, सिट्रिक एसिड, राइबोफ़्लोविन, प्रोटीन के अलावा कई और पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसकी सबसे अच्छी बात यह है कि इसे डायबिटीज़ से पीड़ित लोग भी बिना किसी हिचक के खा सकते हैं। यह शुगर कंट्रोल करने का काम करता है।


सिंघाड़ा पाचन क्रिया को सुधारता है। यह अस्थमा के मरीजों के लिए भी फ़ायदेमंद है। कैल्शियम की भरपूर मात्रा होने के कारण इसके सेवन से हड्डियों व दांतों को मज़बूती मिलती है। इसमें मौजूद विटामिन ए आंखों की सेहत संवारने का काम करता है। सिंघाड़े के सेवन से हमें ऊर्जा मिलती है और इस वजह से व्रत में भी इसे खाने की सलाह दी जाती है। इसमें आयोडिन की भी कुछ मात्रा होती है, जिससे गले से संबंधित परेशानियों से निजात पाने में मदद मिलती है। कच्चे सिंघाड़े का सेवन बवासीर की समस्या से राहत दिलाता है।


सिंघाड़े की तासीर ठंडी होती है, जिसकी वजह से जॉन्डिस में डॉक्टर इसे खाने की सलाह देते है। गर्भवती महिलाओं के लिए भी सिंघाड़ा फ़ायदेमंद होता है। इसे खाने से गर्भपात की संभावना कम होती है। पीरियड्स की समस्याएं को ठीक करने में भी यह कारगर साबित है। पानी की अधिक मात्रा होने के कारण सर्दियों में यह आपकी त्वचा को हाइड्रेटेड रखने का काम करता है।

बालों के झड़ने का एक कारण होता है पित्तदोष का असंतुलित हो जाना। सिंघाड़े का सेवन इसे संतुलित करता है, जिससे बालों के झड़ने पर भी थोड़ी रोक लगती है। इसमें पोटैशियम,ज़िंक और विटामिन बी जैसे पोषक तत्व पाए जाते है, जो बालों की सेहत और विकास में सहायक होते हैं। इतने सारे फ़ायदे होने के बाद अगर आप सिंघाड़े को अपनी डाइट में नहीं शामिल करते हैं, तो यह उसके साथ नाइंसाफ़ी तो होगी ही पर आपकी सेहत के साथ भी हो जाएगी।


1. अस्थमा के मरीजों के लिए सिंघाड़ा बहुत फायदेमंद होता है। सिंघाड़े को नियमित रूप से खाने से सांस संबधी समस्याओं से भी आराम मिलता है।
2. सिंघाड़ा बवासीर जैसी मुश्किल समस्याओं से भी निजात दिलाने में कारगर साबित होता है।
3. सिंघाड़ा खाने से फटी एड़ियां भी ठीक हो जाती हैं। इसके अलावा शरीर में किसी भी स्थान पर दर्द या सूजन होने पर इसका लेप बनाकर लगाने से बहुत फायदा होता है।


4. इसमें कैल्शियम भी भरपूर मात्रा में पाया जाता है। इसे खाने से हडिड्यां और दांत दोनों ही मजबूत रहते हैं। साथ ही यह आंखों के लिए भी फायदेमंद है।
5. प्रेग्नेंसी में सिंघाड़ा खाने से मां और बच्चा दोनों स्वस्थ रहते हैं। इससे गर्भपात का खतरा भी कम होता है। इसके अलावा सिंघाड़ा खाने से पीरियड्स की समस्याएं भी ठीक होती हैं।
6. सिंघाड़े का सेवन रक्त संबंधी समस्याओं को भी ठीक करता है। साथ ही मूत्र संबंधी रोगों के उपचार के लिए सिंघाड़े का प्रयोग बहुत फायदेमंद है। दस्त होने पर भी सिंघाड़े का सेवन रामबाण उपाय है।