क्या आपकी सेहत के साथ खिलवाड़ कर रहा नॉनस्टिक पैन में पका खाना!

वर्तमान समय में देखा जा रहा हैं कि जितनी आपकी सुविधा बढ़ रही हैं उतनी ही बिमारियों का खतरा भी। जी हां, आज के समय में आई कोई भी नै तकनिल किसी ना किसी रूप में सेहत को नुकसान पहुंचाने का काम करती ही है। ऐसी ही एक चीज हैं नॉनस्टिक बर्तनों और पैन का प्रयोग जिसपर हमेशा विवाद बना हुआ हैं कि इसमें पका खाना आपकी सेहत के लिए सही हैं या गलत। क्योंकि इन पैन पर टेफलोन की कोटिंग होती हैं। कई स्त्रोतों का दावा है कि ये हानिकारक होती है और कैंसर जैसी कई स्वास्थ्य स्थितियों से जुड़ी हुई होती है। जबकि कुछ नॉनस्टिक बर्तनों में खाना पकाने को पूर्ण रूप से सुरक्षित मानते हैं। नॉनस्टिक कूकवेयर जैसे फ्राइपैन, सॉसपैन पर एक तरह की परत चढ़ी हुई होती है, जिसे पॉलीटेट्राफ्लोरोथेलीन कहते हैं, जिसकों आम भाषा में टेफलोन के रूप में जाना जाता है।

क्यों बढ़ रहा है नॉनस्टिक का प्रयोग

नॉनस्टिक बर्तनों की सतह को टेफलोन कोटेड इसलिए बनाया जाता है क्योंकि ये प्रयोग करने और खाना पकाए जाने के बाद साफ करने में आसान होती हैं। इसके साथ ही इसमें बहुत कम तेल या मक्खन की जरूरत होती है, जिसके कारण आपका खाना हेल्दी तरीके से पका होता है। मौजूदा वक्त में सभी टेफलोन उत्पाद पीएफओए (PFOA-free) मुक्त होते हैं। इसलिए PFOA के स्वास्थ्य प्रभाव अब चिंता का विषय नहीं रह गए हैं। इसके बावजूद कई शोध में पाया गया है कि टेफलोन कूकवेयर PFOA का कोई जरूरी स्त्रोत नहीं है।

कितने तापमान पर पकाएं भोजन

एक्सपर्ट का कहना है कि सभी कंपनियां तय नियमों को पूरा कर रही है इसलिए नॉनस्टिक कूकवेयर सहित सभी टेफलोन उत्पाद 2013 के बाद से (PFOA-free) हो चुके हैं। एक्सपर्ट मानते हैं कि टेफलोन एक सुरक्षित और स्टेबल कंपाउंड है। हालांकि 570 फेरनहाइट (300 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा के तापमान पर खाना नहीं पकाया जाना चाहिए क्योंकि इससे ज्यादा तापमान पर नॉनस्टिक कूकवेयर पर चढ़ी टेफलोन कोटिंग टूटना शुरू हो जाती है और हवा में विषाक्त रसायन छोड़ने लगती है। इसलिए कभी भी नॉनस्टिक पैन को जरूरत से ज्यादा गर्म नहीं करना चाहिए।