क्या कोरोना को लेकर WHO से उलट हैं कुछ वैज्ञानिकों की शोध? जानें पूरा मामला

वर्तमान मसय में फैले हुए कोरोना वायरस ने देश-दुनिया की जैसे सांसें रोक दी हो क्यों यह थमने का नाम ही नहीं ले रहा हैं। पूरे विश्व में कोरोना संक्रमित लोगों की बात करें तो लगभग 1 करोड़ 15 लाख लोग इसके शिकार हो चुके है और वहीँ जान गंवाने वाले लोगों की संख्या 5 लाख से भी अधिक हैं। वैज्ञानिकों के द्वारा कोरोना को फैलने के अलग-अलग दांवे कंफ्यूज कर रहे है। खासतौर से हवा के द्वारा कोरोना के फैलने की बात पर परेशानी बनी हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक यह हवा के जरिए लोगों में नहीं फैलता है। लेकिन कई वैज्ञानिकों का कहना हैं कि यह वायरस हवा के माध्यम में तेजी से फैल कर लोगों को अपनी चपेट में लें रहा हैं।

239 वैज्ञानियों द्वारा द्वारा 32 देशों में किए शोधों द्वारा पाया गया कि यह वायरस हवा में काफी देर तक मौजूद रहने से लोगों को संक्रमित करता है। उनके अनुसार इस गंभीर वायरस के कण हवा में कई घंटों तक जिंदा रहते है। ऐसे में उस दौरान हवा में आए लोग तेजी से उसकी चपेट में आकर शिकार हो सकते है।

मगर डब्ल्यूएचओ ने इसके फैलने के संदर्भ में अलग नजरिया बताते हुए कहा कि यह जानलेवा वायरस हवा से नहीं फैलता। उनके अनुसार कोरोना वायरस संक्रमित व्यक्ति के थूकने, कफ, छींकने या बोलते समय मुंह से निकलने वाले विषैले पदार्थों से फैलता हैं। असल में थूकने से मुंह से निकलने वाले कण ज्यादा हल्के न होने के कारण जल्दी से हवा में नहीं उड़ते है। बल्कि वहीं पर कुछ घंटों तक मौजूद रहते है।

बता दें, एक रिपोर्ट के अनुसार, वैज्ञानिकों ने इस वायरस से जुड़ी बातों को साफ करने के लिए विश्व स्वास्थ्य संगठन को संशोधन करने के लिए आग्रह किया हैं। साथ ही 32 देशों के कुल 239 वैज्ञानिकों ने विश्व स्वास्थ्य संगठन को एक पत्र द्वारा अपील की है कि इस बात का ठोस सबूत दिया जाए कि इसके इस गंभीर वायरस के कण हवा में फैलकर लोगों को अपना शिकार बनाते है। इसके अलावा डब्ल्यूएचओ में कोरोना टेक्निकल टीम के हेड ने इसके संदर्भ में कहा है कि ' ऐसा भी हो सकता है कि यह जानलेवा वायरस एयरबोर्न हो मगर फिर इसके पीछे किए गए किसी भी दावे को लेकर अभी तक कोई ठोस सबूत न मिलने के कारण इसके फैलने के बारे में कुछ साफ- स्पष्ट तरीके से कुछ कहा नहीं जा सकता है।