International Yoga Day: एसिडिटी और गैस की समस्या से हैं परेशान, चिंता नहीं करें ये 6 योगासन, मिलेगा फायदा

स्वस्थ और खुशहाल बनने के लिए योग काफी असरदार होता है। योग एक आध्यात्मिक प्रक्रिया है जिसमें शरीर, मन और आत्मा को एक साथ लाने का काम होता है। हर साल 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस सेलिब्रेट किया जाता है। आपको बता दें कि 2014 में संयुक्त राष्ट्र महासभा के 69वें सत्र में भाषण देते हुए भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाने का प्रस्ताव रखा था। जिसके बाद 11 दिसंबर 2014 को सिर्फ 3 महीने के अंदर बहुमत के साथ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के योग दिवस प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया गया और 21 जून 2015 को पहला अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया गया। योग दिवस की शुरुआत 2015 को हुई थी, जिसके बाद हर साल 21 जून को दुनियाभर में योग दिवस मनाया जाता है। योग दिवस का महत्व यही है कि लोगों में योगाभ्यास के प्रति जागरुकता फैलाई जा सके। क्योंकि, आजकल शारीरिक गतिविधि में कमी के कारण हमारा स्वास्थ्य काफी खराब हो गया है और योग, प्राणायाम और योगासनों का अभ्यास करके हम फिर से पूर्ण रूप से स्वस्थ बन सकते हैं। योग का मूल सार सिर्फ शरीर को स्वस्थ रखना या फिर दिमाग व शरीर के बीच संतुलन बनाना नहीं है, बल्कि दुनिया में मानवीय रिश्तों के बीच संतुलन बनाना भी है। इसलिए ही मानवता के लिए योग का सहारा लिया जाना चाहिए।

योगासनों का सही ढंग से रोजाना अभ्यास करने से आपके शरीर से कई बीमारियां भी दूर होती हैं। योग में तमाम ऐसे आसन हैं जो अलग-अलग शारीरिक समस्याओं के लिए फायदेमंद माने जाते हैं। आज हम अपने इस आर्टिकल में आपको कुछ ऐसे योग के बारे में बताने जा रहे है जिनकी मदद से एसिडिटी या गैस की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। दरअसल, आज के समय में उटपटांग खाने की वजह से लोगों में एसिडिटी या गैस की समस्या काफी हद तक बढ़ गई है। एसिडिटी होने पर पेट अतिरिक्त एसिड का उत्पादन करता है। आम तौर पर, पेट में एसिड का उत्पादन भोजन को तोड़कर पचाने के लिए होता है लेकिन कभी-कभी पेट में एसिड का अतिरिक्त स्राव होता है जिसके कारण पेट में गैस बनने की समस्या होती है। अधिक मसालेदार, ऑयली भोजन करना एसिडिटी का कारण बन सकता है। जीवन में अतिरिक्त तनाव होने के साथ-साथ ये सभी आदतें भी एसिडिटी के बढ़ने का कारण बनती हैं। एसिडिटी के कारण पेट में बेचैनी, असहजता और अत्यधिक जलन हो सकती है। इस समस्या के दौरान आप ना सही से खा पाते हैं और ना ही खाना सही से पच रहा होता है। लेकिन आप योग की मदद से एसिडिटी की समस्या या फिर कह सकते है गैस बनने की समस्या से छुटकारा पाया जा सकता है। तो चलिए जानते है इसके बारे में...

वज्रासन

वज्रासन की मदद से आप पेट में बनने वाली गैस को कम कर सकते हैं। यह आसन पेट और आंत में रक्त के प्रवाह को बढ़ाता है और भोजन को पचाने में मदद करता है जिससे एसिडिटी, गैस और अपच जैसी समस्याएं नहीं होती। कमजोर डाइजेस्टिव सिस्टम वाले लोगों को यह आसन रोज करना चाहिए। यह पाचन तंत्र को मजबूत बनाने में भी मदद करता है। इस आसन को करने के लिए सबसे पहले घुटनों को पीछे की ओर मोड़ लें। अब अपने हिप को अपनी एड़ी पर रख लें। ध्यान रहे कि आपके दोनों पैर एक दूसरे को छूने नहीं चाहिए। अब अपनी सिर, गर्दन और रीढ़ की हड्डी को एक सीधी रेखा में रखें और अपनी हथेलियों को अपने जांघो पर रख लें। कुछ देर तक इस अवस्था में बैठ रहें।

पश्चिमोत्तानासन

पेट के अंगों को स्वस्थ रखने के लिए आप श्चिमोत्तानासन या फॉरवर्ड बेंड पोज़ कर सकते है। यह मुद्रा न केवल अंगों को ठीक तरह से काम करने और पाचन समस्याओं का इलाज करने में मदद करती है बल्कि मासिक धर्म चक्र को भी विनियमित करने में कारगर है। इसके नियमित अभ्यास से पेट पर जमा चर्बी को भी कम किया जा सकता है। यह आसन कमर, कूल्हे, बाजू, कंधों और एब्डोमेन एरिया को स्ट्रेच करके ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है। पश्चिमोत्तानासन करने के लिए सबसे पहले पैरों को बाहर की ओर फैलाते हुए जमीन पर बैठ जाएं। पैर की उंगलियों को आगे और एक साथ रहनी चाहिए। श्वास लें, अपनी बाहों को ऊपर उठाएं और जहां तक संभव हो शरीर को आगे की ओर झुकाने के लिए झुकें। आगे की ओर झुकते समय साँस छोड़े। अंतिम चरण में, दोनों हाथो को पैरों के तलवे को और नाक को घुटनों को छूना चाहिए। शुरुआत में आप इस आसन को 5 सेकंड के लिए कर सकते है फिर धीरे-धीरे इस समय बढ़ा सकते हैं। अस्थमा या दस्त होने पर इस आसन को करने से बचे साथ ही अगर आपको पीठ में चोट लगी हुई है तो भी आप इस आसन को न करें।

बालासन

बालासन एक रेस्टिंग पोज़ है। यह पाचन प्रणाली को मजबूती प्रदान करता है साथ ही एसिडिटी से राहत देने में मदद करता है। जब आप इस आसन में होते हैं, तो आपके पेट के अंगों को स्ट्रेच करने में मदद मिलती है और ये मजबूत होते हैं। बालासन तनाव और थकान को कम करके कूल्हों, जांघों और टखनों को स्ट्रेच करता है। बालासन दिमाग़ को शांत करता है और तनाव और हल्के अवसाद से राहत देने में मदद करता है। जब बालासन को सिर और धड़ को सपोर्ट करके किया जाता है, तब यह पीठ और गर्दन में दर्द से छुटकारा दिलाता है । बालासन करने के लिए अपनी योगा मैट या ज़मीन पर वज्रासन में बैठ जाएं। अब श्वास अंदर लेते हुए दोनो हाथों को सीधा सिर के उपर उठा लें। हथेलियाँ नहीं जोड़नी हैं। अब श्वास बाहर छोड़ते हुए आगे की ओर झुकें। ध्यान रहे कि कूल्हे के जोड़ों से झुकना है, ना कि कमर के जोड़ों से। तब तक आगे झुकते रहें जब तक की आपकी हथेलियाँ ज़मीन पर नहीं टिक जातीं। अब सिर को ज़मीन पर टीका लें। अब आप बालासन की मुद्रा में हैं पूरे शरीर को रिलॅक्स करिए और लंबी श्वास अंदर लें और बाहर छोड़ें। दोनों हाथों की उंगलियों को आपस में सख्ती से जोड़ लें। इनके बीच में आपको सिर रख कर उसे सहारा देना है। अब सिर को दोनों हथेलियों के बीच में धीरे से रखें। सांस सामान्य रखें। 30 सेकेंड से 5 मिनिट तक बालासन में रह सकते हैं।

पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन का नियमित अभ्यास बोवेल मूवमेंट्स को प्रोत्साहित करने में मदद करता है। यह आसन पेट की मांसपेशियों और पूरे एब्डोमेन एरिया को स्ट्रेच करने में मदद करता है। भोजन को सही तरीके से पचाने में मदद करने के अलावा यह डाइजेस्टिव सिस्टम से टॉक्सिन्स को भी बाहर निकालने में मदद करता है। पवनमुक्तासन करने के लिए सबसे पहले आप पीठ के बल जाएं और हाथ-पैरों को सीधा फैला लें। इस स्थिती में शरीर को ढीला छोड़ दें। अब सांस लेते हुए धीरे-धीरे घुटनों को मोड़े और हाथों की मदद से छाती तक लाएं। इसके बाद लेटे हुए अपना सिर उठाएं और माथा घुटनों पर लगाने की कोशिश करें। कुछ देर इसी स्थिती में रुकते हुए कुछ सेकेंड के लिए सांस अंदर ही रोके रखें। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए घुटनों को फैला लें। इसी तरह दूसरे पैर के घुटने के साथ इस आसन को दोहराएं। 8 से 10 बार इस आसन का अभ्यास करने के बाद थोड़ी देर के लिए शवासन में जरूर लेटे रहें। पवनमुक्तासन करने से आप खुद को शांत, खुश और शरीर में उर्जा महसूस करेंगे। पवनमुक्तासन के जरिए शरीर को मजबूती मिलती है। पवनमुक्तासन करने से रीढ़ की हड्डी को मजबूती मिलती है और लचीली बनाती है। इसको करना बल्ड सर्कुलेशन को भी ठीक करता है।

अर्धमत्स्येन्द्रासन

अर्धमत्स्येन्द्रासन एसिडिटी को दूर करने के लिए काफी फायदेमंद हो सकता है। यह प्राणायाम टॉक्सिन्स को बाहर निकालने में मदद करता है और रक्त संचार को बढ़ाता है। साथ ही यह आपके पाचन तंत्र में ऑक्सीजन का प्रवाह बढ़ाता है और एसिडिटी को कम करता है। इस प्राणायाम को करने के लिए आप सबसे पहले पैरों को सामने फैलाकर बैठ जाएं। बाएं पैर को घुटने से मोड़ें। उसके बाद दाएं पैर को बाएं घुटने के ऊपर से लाते हुए घुटने के पास रखें। पंजे घुटने से आगे न जाए। इसके बाद बाएं हाथ को कंधों से घुमाते हुए दाएं पैर के ऊपर से इस प्रकार लाएं कि दाएं पैर का अंगूठा पकड़ लें और दाएं हाथ को पीछे से घुमाते हुए नाभि को छूने की कोशिश करें। इसी प्रकार विपरीत दिशा में भी करें। अर्धमत्स्येन्द्रासन करने से कमर की अकड़न को कम करता है साथ ही तनाव और चिंता से भी राहत दिलाता है। यह आसन मधुमेह को कंट्रोल करता है साथ ही पाचन को भी बेहतर बनाता है।

नौकासन

नौकासन शब्द दो संस्कृत शब्दों से मिलकर बना है। जिसमें नौका का मतलब है नाव और आसन का अर्थ है आसन या सीट। इस योगासन के अभ्यास में आपका शरीर नाव की मुद्रा में हो जाता है। इस आसन की मदद से आप बड़ी आसानी से एसिडिटी की समस्या से छुटकारा पा सकते हैं। साथ ही पेट की चर्बी कम करने और रीढ़ की हड्डी को मजबूत बनाने में इस आसन को किया जाता है। रोजाना सही ढंग से नौकासन का अभ्यास करने से आपके फेफड़े मजबूत होते हैं और पेट के अंदर मौजूद अंगों को भी फायदा मिलता है। नौकासन के अभ्यास में आपका शरीर अंग्रेजी के अक्षर V की आकृति में आ जाता है। इसके अभ्यास से आपके लोअर बैक, पेट, कोर और बाइसेप्स और ट्राइसेप्स और पैर व टखनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। इस योगासन में पीठ के बल आराम से लेट जाएं। इसके बाद सांस लेते हुए पैरों को जमीन से थोड़ा ऊपर उठाएं। साथ ही सिर और कंधों को भी उतनी ही हाथों को पैरों की सीध में रखेंगे और ध्यान पैर की उंगलियों पर। सांस रोक कर रखें जितनी देर रोक सकते हैं। अब धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए वापस लेट जाएं। 3-5 बार इस आसन को दोहराएं।