वर्तमान समय में देखा जाता हैं कि व्यक्ति के खानपान और जीवनशैली अव्यवस्थित हो चुके हैं जो कि कई बीमारियों का कार बनते हैं। आज के समय में कई गंभीर बीमारियां हैं जो कि आपको आसानी से अपना शिकार बना लेती हैं। ऐसी ही एक जानलेवा बीमारी हैं ब्लड कैंसर जिससे हर साल लगभग 75 लाख लोगों की मौत होती हैं। ब्लड कैंसर के लक्षण इतनी आसानी से नजर नहीं आते हैं। ऐसे में आज हम आपके लिए ब्लड कैंसर के शुरूआती लक्षणों की जानकारी लेकर आए हैं ताकि आप सतर्क रहें और स्वस्थ रहें।
- ब्लड कैंसर के ज्यादातर मामलों में रोगी को थकान और कमजोरी महसूस होती है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि रक्त में लाल रक्त कोशिकाओं की संख्या कम होने लगती है जिससे व्यक्ति में खून की कमी हो जाती है।
- बुखार कैंसर का एक सामान्य लक्षण होता है। कैंसर मरीज की रोग-प्रतिरोधक क्षमता कमजोर हो जाती है, इसलिए मरीज को अक्सर बुखार रहने लगता है। ब्लड कैंसर, ल्यूकीमिया इत्यादि में अक्सर बुखार के लक्षण नजर आते हैं।
- असामान्य सफेद रक्त कोशिकाएं लिवर में जमा होने से एकत्र हो जाती हैं जिससे पेट में सूजन और अन्य समस्याएं हो जाती है। इस तरह की सूजन से आपकी भूख भी कम हो सकती है। थोड़ा सा खाने पर ही आपका पेट भरा लगने लगता है। ऐसे में आपको डॉक्टर से जरूर संपर्क करना चाहिये।
- रक्त कैंसर से ग्रस्त व्यक्ति बार-बार संक्रमण की चपेट में आ जाता है। जब शरीर में ल्यूकीमिया के सेल विकसित होते हैं तो रोगी के मुंह, गले, त्वचा, फेफड़ो आदि में संक्रमण की शिकायत देखी जा सकती है।
- जिन लोगों को कैंसर होता है उनका वजन असामान्य रूप से कम होने लगता है। अगर बिना किसी प्रयास के शरीर का वजन ज्यादा कम हो जाये तो इसे कैंसर का प्राथमिक लक्षण के रूप में देखा जा सकता है।
- हड्डियों और जोड़ों में दर्द होना सिर्फ अर्थराइटिस ही नहीं रक्त कैंसर का भी लक्षण हो सकता है। रक्त कैंसर अस्थि मज्जा में होने वाला रोगा है जो कि हड्डियों और जोड़ों के आसापास ज्यादा मात्रा में पाया जाता है।
- शरीर में ल्यूकीमिया सेल्स का असामान्य निर्माण अस्थि मज्जा को स्वस्थ रक्त कोशिकाओं को बनाने से रोकता है जैसे प्लेटलेट्स। इसकी कमी के कारण रोगी के नाक से, मासिक धर्म के दौरान, मसूड़ों आदि से ज्यादा ब्लीडिंग की समस्या देखी जा सकती है।
- अकसर सिरदर्द की शिकायत होना। या फिर माइग्रेन की शिकायत होना।
- पक्षाघात यानी स्ट्रोक होना।
- दौरा पड़ना या किसी चीज के होने का बार-बार भ्रम होना। यानी कई बार रोगी मानसिक रूप से परेशान रहने लगता है।
- उल्टियां आने का अहसास होना या असमय उल्टियां होना।
- त्वचा में जगह-जगह रैशेज की शिकायत होना।
- जबड़ों में सूजन आना या फिर रक्त का बहना।
- किसी घाव या जख्म के भरने में अधिक समय लगना।