आखिर क्यों WHO की रोक के बावजूद कोरोना मरीजों पर किया जा रहा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का इस्तेमाल

कोरोना वायरस से इस लड़ाई में देश के कई लोग संक्रमित हुए हैं और यह आंकड़ा बढ़ता ही जा रहा हैं। हांलाकि कई लोग ठीक होकर अपने घर को भी गए हैं जिसमे काफी हद तक एंटी-मलेरिया दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन का हाथ भी रहा हैं। हांलाकि विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल पर रोक लगा दी गई थी। लेकिन इसके बावजूद भी देश में कोरोना के मरीजों को यह दवा दी जाएगी। इस संबंध में भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (ICMR) का तर्क है कि भारत में किए गए अध्ययनों में एंटी-मलेरिया ड्रग (Anti Malaria Drug) हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के साइड इफेक्ट नहीं देखे गए हैं और इस दवा से कोरोना के मरीजों को आराम भी मिला है। इसलिए गहन चिकित्सा पर्यवेक्षन यानी विशेषज्ञों की निगरानी (Supervision) में इसका इस्तेमाल जारी रखा जाएगा।

हालांकि आईसीएमआर ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) के इस्तेमाल को लेकर विशेष सावधानी बरतने की जरूरत पर बल दिया है। आईसीएमआर ने कहा है कि इस दवा को गहन चिकित्सा पर्यवेक्षण में ही मरीजों को दिया जाए। मिली जानकारी के अनुसार केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने इस संबंध में डब्ल्यूएचओ (WHO) को एक ईमेल भी किया है और अपने फैसले के बारे में अवगत कराया है।

मालूम हो कि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सुरक्षा कारणों का हवाला देते हुए कोविड-19 के मरीजों पर मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (Hydroxychloroquine) का क्लीनिकल ट्रायल अस्थाई तौर पर रोकने की बात कही थी। प्रतिष्ठित स्वास्थ्य जर्नल लैंसेट में प्रकाशित एक रिपोर्ट में यह दावा किया गया था कि कोरोना मरीजों को इस दवा से फायदे की बजाय नुकसान हो रहा है।

चीन के मेडिकल जर्नल लैंसेट की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (HCQ) लेने वाले कोविड 19 के मरीजों की मौत की संख्या ये दवा नहीं लेने वाले मरीजों की संख्या में ज्यादा है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, कोरोना मरीजों पर हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन और तीन अन्य दवाओं का रैंडमाइज्ड ट्रायल शुरू किया जाना था। डब्ल्यूएचओ ने हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के ट्रायल पर रोक लगा दी, जबकि बाकी दवाओं का ट्रायल जारी रहेगा।

मालूम हो कि भारतीय कंपनियां बड़े पैमाने पर इस दवा का उत्पादन करती हैं। पिछले महीने अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने कोविड 19 के इलाज में इस दवा को असरदार बताया था। कोरोना मरीजों के इलाज में मददगार होने की बात सामने आने पर बाद भारत ने दुनिया के कई देशों को इस दवा की आपूर्ति की है।

हालांकि विश्व स्वास्थ्य संगठन ने उम्मीद जताई है कि जून-जुलाई तक स्पष्ट हो जाएगा कि कोविड-19 संक्रमण (Covid-19 Infection) के इलाज के लिए हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन(HCQ) दवा कितनी कारगर है। कोविड-19 की रोकथाम के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद द्वारा गठित नेशनल टास्क फोर्स ने पिछले दिनों कोविड-19 के उच्च जोखिम मामलों में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन के इस्तेमाल की अनुमति दी थी।

आमतौर पर मलेरिया के मरीजों को दी जाने वाली इस दवा के कोरोना संक्रमितों के इलाज में कारगर होने की बात सामने आने के बाद इसकी बिक्री अचानक बढ़ी थी और लोग बिना जरूरत यह दवा खरीद कर घर में रख रहे थे। इसके बाद दवा के इस्तेमाल से जुड़ी एक एडवाइजरी भी जारी की गई थी। इसमें कहा गया था कि बिना डॉक्टरी सलाह के इस दवा का सेवन नहीं किया जाना चाहिए।

डब्ल्यूएचओ की रोक के बाद आईसीएमआर ने कहा है कि हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन (एचसीक्यू) के कुछ विशेष साइड इफेक्ट्स नहीं देखे गए हैं, इसलिए भारत में गहन चिकित्सा पर्यवेक्षण में मरीजों को यह दवा दी जा सकती है। वहीं, ब्राजील ने भी कोरोना के इलाज में इस दवा का इस्तेमाल जारी रखने का निर्णय लिया है।