कोरोना की बात करें तो पूरी दुनिया में संक्रमितों का आंकड़ा लगातार बढ़ते हुए 10.25 करोड़ से ऊपर जा चुका हैं और मरने वाली की संख्या 21 लाख से ऊपर हैं। हांलाकि अब विभिन्न देशों में इसकी वेक्सिनेशन को लेकर काम किया जा रहा हैं ताकि इस बढ़ते संक्रमण को रोका जा सकें। इसी के साथ इसको लेकर लगातार रिसर्च की जा रही हैं। हाल ही में अमेरिका के बोस्टरन विश्वविद्यालय समेत कई वैज्ञानिकों द्वारा एक अध्ययन किया गया जिसमें पाया गया कि अमेरिकी खाद्य एंव औषधि प्रशासन यानी एडीए द्वारा मंजूर की गई 18 मौजूदा दवाओं का इस्तेमाल कोरोना वायरस के खिलाफ किया जा सकता है।
जिस तरह कोरोना वायरस कुछ ही घंटों में हमारे फेफड़ों पर हमला बोल सकता है, उसको लेकर उन्होंने कहा कि इनमें से पांच दवाइयां मानव फेफड़ों की कोशिकाओं में कोरोना वायरस का प्रसार 90 फीसदी तक कम कर सकती है। ये अध्ययन अच्छा संकेत देता हुआ नजर आता है कि फेफड़ों को कोरोना वायरस की मार से बचाया जा सकता है।
ये अनुसंधान 'मोलेक्युलर सेल' नाम की पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। इसमें शामिल वैज्ञानिकों ने प्रयोगशाला में विकसित किए गए मानव फेफड़ों की हजारों कोशिकाओं को एक साथ संक्रमित किया और इनकी गतिविधियों को देखा। इस पर उन्होंने कहा कि, ये कोशिकाएं शरीर की कोशिकाओं से एकदम समान नहीं होती लेकिन उनसे मिलती-जुलती होती हैं। बोस्टर विश्वविद्यालय में वायरस वैज्ञानिक एवं अनुसंधान के सह लेखक एल्के मुहलबर्गर ने कहा कि, इस अनुसंधान में विषाणु के फेफड़ों की कोशिकाओं को संक्रमित करने के एक घंटे बाद से नजर रखी गई।
एल्के मुहलबर्गर ने कहा कि, ये देखना काफी डरावना था कि संक्रमण के शुरुआत में ही विषाणु ने कोशिकाओं को नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया। विषाणु अपनी प्रतिलिपियां तो नहीं बना सकता है तो इसलिए वो कोशिकाओं के तंत्र के जरिए अपनी आनुवंशिक सामग्री की प्रतियां बनाता है। वैज्ञानिकों ने अध्ययन में पाया कि जब एसएआएस-सीओवी-2 सक्रमण होता है तो ये कोशिका की मेटाबोलिक प्रक्रिया को पूरी तरह से बदल देता है। विषाणु संक्रमण के तीन से छह घंटे में ही कोशिका की आणविक झिल्ली यानी मेम्ब्रेंस को भी क्षतिग्रस्त कर देता है।
कोरोना वायरस की शुरुआत से लेकर ही इस बात को कहा गया कि जो लोग पहले से कई बीमारियों से ग्रसित हैं, वो लोग जल्दी कोरोना की चपेट में आ सकते हैं। वहीं, इसके बाद कोरोना का फेफड़ों को नुकसान पहुंचाने की बात सामने आना सभी के लिए चिंता की बात है। लेकिन जिस तरह इस अध्ययन में बताया गया है कि कुछ दवाइयां इसमें मदद पहुंचाने में 90 फीसदी तक मदद कर सकती है, वो शुभ संकेत हैं।