देश-दुनिया के लिए संकट बन चुका कोरोनावायरस अब तक 18 लाख से अधिक लोगों को संक्रमित कर चुका हैं। हांलाकि 3 लाख से अधिक लोग ठीक भी हुए हैं लेकिन मरने वालों का आंकड़ा 1 लाख से ऊपर है। ऐसे में समय रहते सही इलाज की जरूरत हैं। इसके लिए अब केरल में प्लाज्मा थेरेपी की मदद ली जाएगी जो COVID-19 में कितनी कारगर होगी यह देखना होगा। भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) द्वारा केरल के चिकित्सकों को इसकी इजाजत दे दी गई हैं। कोरोना वायरस के मरीजों को ठीक करने के लिए चीन डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया। इस थेरेपी का इस्तेमाल सबसे पहले चीन के शंघाई में एक COVID-19 मरीज को ठीक करने के लिए किया था।
प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल हमेशा से संक्रमित बीमारियों में होता आया है। वहीं अब इसका इसतेमाल कोरोना वायरस के संक्रमण से बचने के लिए किया जा रहा है। इस थैरेपी की मदद से जो व्यक्ति कोरोना वायरस को मात देकर बच जा जाता है उस व्यक्ति के खून को संक्रमति व्यक्ति में डालकर उसे ठीक किया जाता है। इस थैरेपी में मरीज को ठीक होने में 3 से 7 दिन लग जाते हैं। जानकारी है कि पहली बार फर्स्ट वर्ल्ड वार 1918 में में फैले स्पेनिश फ्लू से निपटने के लिए प्लाज्मा थैरेपी का इस्तेमाल किया गया था
जब व्यक्ति इस कोरोना वायरस को हरा कर बच जाता है। या फिर इस वायरस से संक्रमति होने के बाद बच जाता हौ तो वह एंटीबॉडीज बन जाता है। और उस इंसान का इम्यनिटी सिस्टम कुछ टाइम के लिए काफी अच्छा हो जाता है। इससे इम्युनिटी सेल्स से प्रोटीन उत्सर्जित होती हैं जो प्लाज्मा में पाए जाते हैं, जो जरूरत पड़ने पर रक्त को थक्का बनाने में मदद करता है। प्लाज्मा थेरेपी को एंटीबॉडी थेरेपी भी कहते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि प्लाज्मा थेरेपी से एक साथ कई मरीजों का इलाज किया जा सकता है। ऐसा माना जाता है कि इस थेरेपी से उन लोगों का तत्काल इलाज किया जाएगा, जिन्हें कोरोना वायरस का सबसे ज्यादा अधिक खतरा है।कोरोना वायरस के संक्रमण को रोकने के लिए भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) ने केरल के चिकित्सकों को प्लाज्मा थेरेपी की मदद से COVID-19 के रोगियों का इलाज करने की अनिमति दी है। कोरोना वायरस के मरीजों को ठीक करने के लिए चीन डॉक्टरों ने प्लाज्मा थेरेपी का इस्तेमाल किया । इस थेरेपी का इस्तेमाल सबसे पहले चीन के शंघाई में एक COVID-19 मरीज को ठीक करने के लिए किया था।