उम्र के साथ खुद ही विकसित होता है मोतियाबिंद, इन घरेलू उपायों से उसे किया जा सकता है कम

जरा-सी लापरवाही भी आंखों की बीमारियों का कारण बन सकती है और मोतियाबिंद भी उन्हीं में से एक है। सिर्फ सही जानकारी और बेहतर इलाज से ही हम इस बीमारी से बचा जा सकता है। मोतियाबिंद आंखों से जुड़ी एक ऐसी समस्या है, जो अक्सर उम्र के साथ खुद ही विकसित हो जाती है। वृद्ध लोगों में मोतियाबिंद होने की संभावना अधिक होती है। इसके अलावा, अनियंत्रित मधुमेह और रक्तचाप जैसी स्वास्थ्य समस्याएं भी मोतियाबिंद की वजह बन सकती हैं। समय के साथ कुछ वसा और प्रोटीन जमा होने के कारण आपकी आंखों के लेंस अपारदर्शी या क्लाउडी बन जाते हैं। जिससे व्यक्ति की दृष्टि धुंधली हो जाती है।

मोतियाबिंद के प्रकार


मोतियाबिंद के कई प्रकार हो सकते हैं, लेकिन इनमें से पांच प्रकार के मोतियाबिंद सबसे ज्यादा प्रभावित करते हैं, जो इस प्रकार हैं—

1. जन्मजात मोतियाबिंद—इस प्रकार का मोतियाबिंद जन्म के समय से ही मौजूद रह सकता या फिर शिशु को बाल्यावस्था के दौरान हो सकता है।

2. सेकंडरी मोतियाबिंद—
सेकेंडरी मोतियाबिंद मधुमेह, ग्लूकोमा (नेत्र समस्या) सर्जरी या स्टेरॉयड जैसी दवाओं की वजह से हो सकता है।

3. रेडिएशन मोतियाबिंद—इस प्रकार का मोतियाबिंद कैंसर के इलाज के लिए कीमोथेरेपी प्रक्रिया के बाद रेडिएशन के कारण हो सकता है।

4. ट्रॉमेटिक मोतियाबिंद—
इस प्रकार का मोतियाबिंद आंखों के किसी घाव की वजह से हो सकता है। इसे दर्दनाक मोतियाबिंद भी कहा जाता है।

5. एज रिलेटेड कैटरेक्ट— यह मोतियाबिंद का सबसे आम प्रकार है। बढ़ती उम्र के साथ प्राकृतिक बदलावों के कारण मोतियाबिंद विकसित हो सकता है, जिसे एज रिलेटेड कैटरेक्ट के नाम से जाना जाता है।

घरेलू उपाय

जब एक बार जब व्यक्ति को मोतियाबिंद हो जाता है, तो इस समस्या से निजात पाने के लिए सर्जरी का सहारा लेना पड़ता है। मोतियाबिंद से पूरी तरह से बच पाना तो असंभव है, लेकिन फिर भी आप अपने आहार के जरिए आंखों की हेल्थ का लंबे समय तक ख्याल रख सकते हैं। ऐसे कई खाद्य पदार्थ हैं, जो आंखों की बीमारी और दृष्टि के नुकसान के जोखिम को कम करने में मदद कर सकते हैं।

साबुत अनाज

मोतियाबिंद को रोकने के लिए 100 प्रतिशत साबुत अनाज की कम से कम तीन सर्विंग्स अवश्य लेनी चाहिए। आप ब्राउन राइस, बाजरा, दलिया, क्विनोआ, राई और गेहूं आदि को अपनी डाइट में शामिल करें।

गाजर

आंखों के लिए गाजर के फायदो से तो हर कोई वाकिफ है। इसमें बीटा-कैरोटीन, ल्यूटिन और ज़ेक्सैन्थिन होते हैं, जिन्हें शरीर विटामिन ए में बदल देता है। गाजर आपकी आई हेल्थ के लिए काफी अच्छा माना जाता है, जिसके कारण यह आंखों की समस्याओं को कम से कम रखने में मदद करते हैं।

फल और सब्जियां

रंगीन फलों और सब्जियों में कैरोटीनॉयड द्वारा पीले, लाल और ऑरेंज पिगमेंट का उत्पादन किया जाता है। आमतौर पर, इन खाद्य पदार्थों को कच्चा खाया जाता है, आप चाहें तो इन्हें उबालकर भी खा सकते हैं। खरबूजे, शकरकंद, हरी मिर्च, ब्रोकली, पपीता, आम और कद्दू में बीटा कैरोटीन और विटामिन ए जैसे कैरोटीनॉयड होते हैं, जो आपकी आंखों के लिए अच्छे होते हैं।

खट्टे फल

खट्टे फलों जैसे संतरे, अमरूद, आंवला आदि में विटामिन सी प्रचुर मात्रा में पाया जाता है। यह विटामिन सी हेल्दी ब्लड वेसल्स को मेंटेन करने में मददगार है। साथ ही, यह एक नेचुरल एंटी-ऑक्सीडेंट की तरह भी काम करते हैं, जिसकी वजह से यह सूजन संबंधी नेत्र रोगों से लड़ने के लिए फायदेमंद है।

मछली

ओमेगा -3 फैटी एसिड को मोतियाबिंद के जोखिम को कम करने के लिए भी जाना जाता है। ओमेगा -3 फैटी एसिड के उत्कृष्ट स्रोतों में ट्यूना, कॉड, साल्मन, झींगा, ट्राउट, अलसी का तेल और पालक आदि शामिल हैं। इसलिए, आप हफ्ते में कम से कम दो बार मछली का सेवन अवश्य करें। इससे आपकी आंखों को पोषण मिल सकता है।

नट्स और सीड्स

कई बीजों और नट्स में विटामिन ई प्रचुर मात्रा में होता है, जो एक एंटी-ऑक्सीडेंट है। यह आंखों की कोशिकाओं की झिल्ली की रक्षा करता है। इसलिए, आप बादाम, अखरोट, सूरजमुखी के बीज और मूंगफली आदि को अपने आहार का हिस्सा बनाएं।

पत्तगोभी

पत्‍ता गोभी, शरीर में इम्‍यूनिटी सिस्‍टम को स्‍ट्रांग बनाती है। इसमें विटामिन सी भरपूर मात्रा में होता है जिससे बॉडी का इम्‍यूनिटी सिस्‍टम काफी मजबूत हो जाता है। पत्‍ता गोभी के सेवन से मोतियाबिंद का खतरा कम होता है। इसके लगातार सेवन से बॉडी में बीटा केराटिन बढ़ जाता है जिससे आंखे सही रहती हैं।

लहसुन

मोतियाबिंद की समस्या में लहसुन का उपयोग लाभकारी हो सकता है। दरअसल, लहसुन में एंटीऑक्सीडेंट गुण पाए जाते हैं। यह आंखों में ऑक्सिडेटिव स्ट्रेस के कारण होने वाले प्रभाव को कम कर मोतियाबिंद को रोकने में मदद कर सकते हैं।

नींबू

मोतियाबिंद में नींबू का इस्तेमाल भी लाभदायक माना गया है। इसमें साइट्रिक एसिड की मौजूदगी के कारण इसका नियमित उपयोग आंखों में जलन और अन्य लक्षणों को शांत करने में मदद कर सकता है। इसमें एंटीऑक्सीडेंट गुण भी होते हैं, जो मोतियाबिंद को कम करने में मदद कर सकते है।

ग्रीन टी

ग्रीन टी के फायदे मोतियाबिंद की समस्या में देखे गए हैं। ग्रीन टी में ईजीसीजी (epigallocatechin-3-gallate) नामक तत्व होता है, जो आंखों के लेंस को खराब होने से बचाने और मोतियाबिंद को कम करने में मदद कर सकता है।

शहद

शहद के फायदे कई बीमारियों में देखे गए हैं। शहद में एंटी बैक्टीरियल और एंटी इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं। ये दोनों प्रभाव आंखों के लेंस में आई खराबी को ठीक करने में मदद कर सकते हैं। साथ ही भविष्य में आंखों को होने वाली किसी भी प्रकार की क्षति से सुरक्षा प्रदान कर सकते हैं। हालांकि, आंख में शहद का इस्तेमाल करने से पहले एक बार चिकित्सक से परामर्श जरूर लें।

विटामिन

विटामिन ई, विटामिन सी, विटामिन ए व विटामिन बी एंटीऑक्सीडेंट से समृद्ध होते हैं। ये मोतियाबिंद से आंखों की सुरक्षा करने में कारगर हो सकते हैं। इन विटामिन से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन आंखों के कई रोगों को दूर कर सकता है। इस खाद्य पदार्थों में खट्टे फल, हरी पत्तेदार सब्जियां, दूध, पनीर, अंडे, एवोकाडो और बादाम शामिल हैं । अगर आंखों के लिए विटामिन्स के सप्लीमेंट लेना चाहते हैं, तो पहले अपने डॉक्टर से जरूर पूछ लें।

बादाम

मोतियाबिंद की समस्या में बादाम का उपयोग भी फायदेमंद माना गया है। शोध के अनुसार, बादाम में कोएंजाइम Q10 (Coenzyme Q10) नामक विटामिन पाया जाता है। कोएंजाइम Q10 मोतियाबिंद का कारण बनने वाले लेंस एपिथेलियल सेल एपोप्टोसिस (Lens Epithelial Cell apoptosis) से बचाव करने में मदद कर सकता है। इस तरह बादाम आंखों की देखभाल के साथ ही मोतियाबिंद से बचाव करने में सहायक हो सकता है।

पालक

पालक का सेवन भी मोतियाबिंद की समस्या में लाभदायक हो सकता है। दरअसल, इसमें ल्यूटिन और जेक्सैंथिन नामक कैरोटीनॉयड पाए जाते हैं। जैसा कि हमने पहले की बताया है कि आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक घटकों के रूप में ल्यूटिन और जेक्सैंथिन महत्वपूर्ण हैं। ये दोनों कैरोटीनॉयड आंखों के स्वास्थ्य को बढ़ाने के साथ ही मोतियाबिंद से आंखों की रक्षा करने में भी कारगर हो सकते हैं।

अरंडी का तेल

अरंडी के तेल में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होता है। यह आपकी आंखों को होने वाले ऑक्सीडेटिव क्षति को ठीक करने में मदद कर सकता है, जिसका सकारात्मक प्रभाव मोतियाबिंद के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। हालांकि, इस विषय में अभी और शोध किए जाने की आवश्यकता है। आंखों के लिए अरंडी के तेल का इस्तेमाल करने से पहले नेत्र विशेषज्ञ से परामर्श लें।