संजीवनी बूटी से कम नहीं हैं ये 8 घरेलू औषधियां, बीमारियों को रखती हैं आपसे दूर

आयुर्वेद में कई ऐसी जड़ी-बूटियों का वर्णन मिलता हैं जिनका इस्तेमाल घर पर मसालों के रूप में भी किया जाता हैं। भोजन में इन औषधियों का इस्तेमाल कर प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से सेहत को फायदा मिलता है। हम सभी के घरों में कई ऐसे मसाले रोजाना प्रयोग में लाए जाते रहे हैं। आज इस कड़ी में हम आपको ऐसी ही कुछ औषधियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो घरों में आसानी से मिल जाती हैं और संजीवनी बूटी की तरह बीमारियों को आपसे दूर रखते हुए जीवनदान देती हैं। इनमें से कुछ को तो कैंसर और हार्ट अटैक जैसी गंभीर और घातक बीमारियों से बचाने वाला भी माना जाता है। आइये जानते हैं इन औषधियों के बारे में...

दालचीनी

दालचीनी हर घर में प्रयोग में लाई जाने वाली औषधि है, व्यंजनों के स्वाद को बढ़ाने के साथ कई तरह की बीमारियों के जोखिम को कम करने तक में इसके प्रयोग को लाभकारी माना जाता रहा है। दालचीनी में सिनामाल्डिहाइड नामक एक यौगिक होता है, जिसे अध्ययनों में कई प्रकार से लाभदायक पाया गया है। दालचीनी में शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट गुण होते हैं जो सूजन को कम करने से लेकर रक्त में कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड्स के स्तर को नियंत्रित करने में आपके लिए सहायक है।

गिलोय

गिलोय अथवा अमृता अपने नाम से ही अपने गुण को दर्शाती है। यह एक बेल है जिसके तने से रस निकालकर अथवा सत्व बनाकर प्रयोग किया जाता है। यह स्वाद में कड़वी लेकिन त्रिदोषनाशक होती है। इसका प्रयोग वातरक्त (गाउट), आमवात (आर्थराइटिस), त्वचा रोग, प्रमेह, हृदय रोग आदि रोगों में होता है। ये डेंगू हो जाने पर द्ब्रलड प्लेटलेट्स की घटी मात्रा को बहुत जल्दी सामान्य करती है। खून के अत्यधिक बह जाने और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए तो यह रामबाण है।

हल्दी

हल्दी को प्राचीन समय से घरेलू उपचार के तौर पर प्रयोग में लाया जाता रहा है। इसमें औषधीय गुणों वाले कई यौगिक होते हैं, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण करक्यूमिन है। यह एक शक्तिशाली एंटीऑक्सिडेंट है, जो ऑक्सीडेटिव डैमेज से लड़ने में मदद करने के साथ कई प्रकार की बीमारियों के खतरे को कम करने में मदद कर सकता है। हल्दी को सूजन और दर्द की समस्या में विशेष लाभकारी पाया गया है।

आंवला

आंवले के फल को लगभग सभी आयुर्वेद की संहिताओं में रसायन कहा गया है। चरक संहिता, सुश्रुत संहिता, भाव प्रकाश, अष्टांग हृदय सभी शास्त्र आंवले को प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाला मानते हैं। इसके अलावा आंवले को त्वचारोगहर, ज्वरनाशक, रक्तपित्त हर, अतिसार, प्रवाहिका, हृदय रोग आदि में बेहद लाभकारी माना गया है। आंवले का नियमित सेवन लंबी आयु की गारंटी भी देता है।

अदरक

अदरक को अध्यनों में इसके एंटी-इंफ्लामेटरी और दर्द निवारक प्रभावों के लिए विशेष कारगर माना जाता रहा है। अध्ययनों से पता चलता है कि अदरक का सेवन मतली को सफलतापूर्वक ठीक करने में मदद कर सकता है। मॉर्निंग सिकनेस, सर्दी-जुकाम, और गले की समस्याओं में भी इसके सेवन को लाभकारी पाया गया है। अदरक के एंटी-इंफ्लामेटरी गुण दर्द और सूजन को ठीक करने में मदद करते हैं।

शतावरी

शतावरी की बेल की जड़ को सुखाकर चूर्ण के रूप में उपयोग किया जाता है। शतावरी भी रसायन औषधि है यह बौद्धिक विकास, पाचन को सुदृढ़ करने वाली, नेत्र ज्योति को बढ़ाने वाली, उदर गत वायु दोष को ठीक करने वाली, शुक्र बढ़ाने वाली, नव प्रसूता माताओं में स्तन को बढ़ाने वाली औषधि है। शतावरी का सेवन आपको आयुष्मान होने का आशीष देता है।

मेथी

मेथी के गुणों का आयुर्वेद में विशेष जिक्र मिलता है। टेस्टोस्टेरोन हार्मोन के स्तर पर इसके प्रभाव देखे गए हैं, इसके अलावा रक्त शर्करा को नियंत्रित रखने में भी मेथी का सेवन करना विशेष लाभकारी हो सकता है। अध्ययनकर्ताओं ने पाया कि इसमें प्लांट प्रोटीन 4-हाइड्रॉक्सीसोल्यूसीन होता है, जो इंसुलिन के कार्य में सुधार कर सकता है। मानव अध्ययनों से पता चला है कि प्रतिदिन मेथी के अर्क का सेवन रक्त शर्करा के स्तर को कम करने में विशेष लाभकारी हो सकता है।

ब्राह्मी

ब्राह्मी देखने में तो सामान्य सी झाड़ी लगती है लेकिन ये बेहद असरकारी है। यह नर्वस सिस्टम के लिए अचूक औषधि है। बच्चों के लिए स्मृति और मेधावर्धक है। मिर्गी में इसका खासतौर पर प्रयोग होता है। मानसिक विकारों के इलाज के लिए तो यह रामबाण है। इसके अलावा इसका उपयोग ज्वर, त्वचा रोगों, प्लीहा संबंधी विकारों में भी होता है।