खून में बढ़ी इस प्रोटीन की मात्रा तो हो जाए सतर्क, प्रोस्टेट कैंसर का हो सकता है खतरा

प्रोस्टेट एक छोटी ग्रंथि है जो एक आदमी के निचले पेट में पाई जाती है। यह मूत्राशय के नीचे और मूत्रमार्ग के आसपास स्थित है। प्रोस्टेट हार्मोन टेस्टोस्टेरोन द्वारा विनियमित होता है और यह वीर्य का उत्पादन करता है। वीर्य शुक्राणु युक्त तरल पदार्थ है जो वीर्य स्खलन के दौरान मूत्रमार्ग से बाहर निकलता है। जब प्रोस्टेट में कोशिकाओं की असामान्य, घातक वृद्धि से ट्यूमर बन जाता है, इसे प्रोस्टेट कैंसर कहा जाता है। जब प्रोस्टेट ग्रंथि में कैंसर होता है, तो इसका विकास धीमी और सिमित हो सकता है, जिसे चिकित्सा सहायता की जरुरत नहीं होती या फिर यह गंभीर रूप से बढ़ सकता है और नजदीकी अंगों तक फैल सकता है। प्रोस्टेट कैंसर एक गंभीर बीमारी है जो हर साल हजारों पुरुषों को प्रभावित करती ह। ये मध्यम आयु वर्ग या उससे अधिक उम्र के हैं। लगभग 60% मामले 65 वर्ष से अधिक आयु के पुरुषों में होते हैं। लेकिन यह कैंसर किसी को भी हो सकता है। प्रोस्टेट कैंसक के जोखिम को बढ़ाने वाले कारकों में फैमली हिस्ट्री, मोटापा भी शामिल हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO)के अनुसार, 2020 में 10 मिलियन लोगों की मौत कैंसर के कारण हुई। वहीं, इसी साल दुनिया भर में, अनुमानित 1.41 मिलियन लोग प्रोस्टेट कैंसर से पीड़ित भी पाए गए। जिससे यह दुनिया में चौथा सबसे अधिक निदान किया जाने वाला कैंसर बन गया।

इस टेस्ट से चलता है प्रोस्टेट कैंसर का पता

CDC के अनुसार, प्रोस्टेट स्पेसिफिक एंटीजन (PSA) टेस्ट नाम के ब्लड टेस्ट से इस कैंसर का पता चलता है। यह खून में पीएसए के स्तर को मापता है। स्कोर 10 से ज्यादा होने पर प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम 50% तक बढ़ जाता है।

​क्या होता है PSA?


PSA प्रोस्टेट ग्रंथि की सामान्य साथ ही घातक कोशिकाओं द्वारा उत्पादित प्रोटीन होता है। खून में इसकी मात्रा बढ़ने से प्रोस्टेट कैंसर का जोखिम बढ़ जाता है। वैसे तो पीएसए का कोई विशिष्ट सामान्य स्तर नहीं है लेकिन 4.0 एनजी/एमएल और उससे कम स्तर को सामान्य की कैटेगरी में रखा जाता है। हाई पीएसए हमेशा प्रोस्टेट कैंसर से संबंधित नहीं होता है, यह प्रोस्टेट में अन्य गड़बड़ी का भी नतीजा हो सकता है।

​प्रोस्टेट कैंसर के लक्षण


- पेशाब करने में कठिनाई
- पेशाब की धार कम होना
- रात में बार-बार पेशाब आना
- मूत्राशय को पूरी तरह से खाली नहीं होना
- पेशाब के दौरान दर्द या जलन का महसूस होना
- पेशाब या वीर्य में खून का आना
- पीठ, कूल्हों या पेल्विस में दर्द
- इजेकुलेशन के दौरान दर्द होना
- पैरो में सूजन आना

प्रोस्टेट कैंसर का क्या इलाज है?

आपका डॉक्टर आपकी उम्र, स्वास्थ्य की स्थिति और आपके कैंसर के चरण के आधार पर आपके कैंसर के लिए एक उपयुक्त उपचार योजना विकसित करेगा।

- शल्य चिकित्सा (Surgery)
- विकिरण (Radiation)
- क्रैयो थेरेपी (Cryotherapy)
- हार्मोन थेरेपी (Hormone Therapy)
- कीमो थेरपी (Chemotherapy)
- स्टीरियोटैक्टिक रेडियोसर्जरी (stereotactic radiosurgery)
- प्रतिरक्षा चिकित्सा (इम्मुनोथेरपी)

कैसे करे प्रोस्टेट कैंसर से बचाव?

50 वर्ष के बाद इस बीमारी का जोखिम सबसे अधिक होता है। जिसकी शुरूआत कई साल पहले ही आपकी जीवनशैली के कारण हो जाती है। ऐसे में यदि आप प्रोस्टेट कैंसर को खुद से दूर रखना चाहते हैं तो फ्रुट्स, हरी सब्जियां, नियमित एक्सरसाइज और स्वस्थ वजन के साथ रेगुलर हेल्थ चेकअप कराने से कभी मत चूकिए।