प्रोटीन का तगड़ा स्रोत हैं ये 6 दाल, वजन कम करके शरीर को बनाती मजबूत

प्रोटीन मानव शरीर द्वारा विकास और रखरखाव के लिए आवश्यक पोषक तत्व है। पानी के अलावा, प्रोटीन शरीर में सबसे प्रचुर मात्रा में अणु होते हैं। प्रोटीन शरीर की सभी कोशिकाओं में पाया जा सकता है और शरीर में सभी कोशिकाओं का प्रमुख संरचनात्मक घटक है, विशेष रूप से मांसपेशी। इसमें शरीर के अंग, बाल और त्वचा भी शामिल हैं। प्रोटीन आपके रक्त में आपके पूरे शरीर में ऑक्सीजन ले जाता है। यह एंटीबॉडी बनाने में भी मदद करता है जो संक्रमण और बीमारियों से लड़ते हैं और कोशिकाओं को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं।

अगर हम पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन का सेवन नहीं करते है तो स्वास्थ्य संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उदाहरण के लिए, ऊतक टूट सकता है और मांसपेशियों को नुकसान पहुंचा सकता है।

रोजाना कितना प्रोटीन चाहिए

- 4 साल से कम उम्र के बच्चों को 13 ग्राम
- 4 से 8 साल के बच्चों को 19 ग्राम
- 9 से 13 साल के बच्चों को 34 ग्राम
- 14 वर्ष और उससे अधिक उम्र की महिलाएं और लड़कियों को 46 ग्राम
- 14 से 18 साल के लड़कों को 52 ग्राम
- 19 वर्ष और उससे अधिक आयु के पुरुषों को 56 ग्राम

कई अध्ययनों से पता चलता है कि वजन घटाने और चयापचय स्वास्थ्य के लिए प्रोटीन जरूरी है। कुछ लोग मानते हैं कि प्रोटीन सिर्फ अंडा, सोयाबीन, पनीर और दूध जैसी चीजों में पाया जाता है लेकिन ऐसा नहीं है। रोजाना कुछ दाल भी हैं जिनमें इनसे ज्यादा प्रोटीन पाया जाता है। दाल का सेवन करने से विभिन्न स्वास्थ्य जोखिमों को कम किया जा सकता है।

दाल का सेवन हर भारतीय बड़ी चाव से करता है। दाल-चावल या दाल-भात ना खाएं, तो जैसे भोजन अधूरा लगता है। हर भारतीय रसोई में दो-तीन तरह की दाल (Pulses) तो मिल ही जाएगी। हालांकि, दाल की कई वेरायटी होती है और हर दाल के अपने पौषक तत्व और सेहत लाभ होते हैं। दाल में वो सभी पोषक तत्व और एंटीऑक्सिडेंट पाए जाते हैं, जो शरीर के लिए जरूरी हैं।

उड़द की दाल (काली दाल)

उड़द की दाल को काली दाल भी कहा जाता है। यह दाल फोलेट और जिंक का एक शक्तिशाली स्रोत है। इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि उड़द की दाल के हर एक कप में 24 ग्राम प्रोटीन होता है। आपको रोजाना एक कटोरी उड़द की दाल का सेवन करना चाहिए। उड़द की दाल का प्रयोग सिरदर्द को ठीक करने, नकसीर को ठीक करने, लिवर का सूजन कम करने, लकवा ठीक करने, जोड़ों में दर्द, अल्‍सर, बुखार, सूजन आदि को ठीक करने में प्रयोग किया जाता है।

हरी मूंग की दाल

हरी दाल को मूंग की दाल भी कहा जाता है क्योंकि इसकी छिलके हरे रंग के होते हैं। मूंग की दाल को सर्वश्रेष्‍ठ माना गया है। इसमें विटामिन 'ए', 'बी', 'सी' और 'ई' की भरपूर मात्रा होती है। साथ ही पॉटेशियम, आयरन, कैल्शियम मैग्‍नीशियम, कॉपर, फोलेट, फाइबर की मात्रा भी बहुत होती है लेकिन कैलरी की मात्रा बहुत कम होती है। मूंग दाल से इम्युनिटी भी बढ़ती है और मेटाबॉलिज्म भी बढ़ता है। मूंग की दाल मेटाबॉलिज्म को बढ़ाने में काफी मददगार होता है। जिससे एसिडिटी, कब्ज, मरोड़ और अपच की समस्या को कंट्रोल में रहती है। यह एक एक लो-ग्लाइसेमिक इंडेक्स फूड है। इसका मतलब है कि मूंग खाने से शरीर में इंसुलिन, ब्लड शुगर और फैट लेवल कम होता है।

चने की दाल

चने की दाल में पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन और कैलोरी कम होती है। इसे नियमित खाने से वजन नियंत्रित रहता है। साथ ही इसमें मिनरल्स जैसे कॉपर, मैंगनीज भी अधिक होता है। डायबिटीज से बचे रहना चाहते हैं, तो चना दाल का सेवन जरूर करें। रोजाना 30 ग्राम चना दाल का सेवन करने से 6 से 7 ग्राम प्रोटीन मिलता है। इसलिए इसे हेल्दी सुपरफूड माना जाता है। इस दाल को अपनी डाइट में शामिल करने से इम्यूनिटी बढ़ती है और बीमारियां दूर रहती हैं।

भूरी मसूर दाल

इसे साबुत मसूर दाल के रूप में भी जाना जाता है। कई जगह इसे खड़ी मसूर भी कहा जाता है। एक कप भूरी मसूर दाल में 18 ग्राम प्रोटीन पाया जाता है। देखने में सख्त यह दाल पकाए जाने पर यह नरम और गूदेदार हो जाती है। इसे चावल और रोटी के साथ परोसा जाता है। यह कार्बोहाइड्रेट, फाइबर, आयरन और फोलेट का एक बड़ा स्रोत है। इसका सेवन कलेस्ट्रॉल कम करने मे मदद करता है और साथ ही मधुमेह रोगियों में रक्त मे शक्करा कि मात्रा कम रखने मे मदद करता है क्योंकि इसमें प्रस्तुत रेशांक (फाइबर) खाने के बाद बढ़ने वाली शक्कर की मात्रा कम रखता है।

लाल दाल या मसूर दाल

लाल मसूर का बड़ी मात्रा में सेवन किया जाता है। यह दाल छोटे बच्चो और शिशुओं के लिए भी बेहतर विकल्प है। एक कप मसूर दाल में 230 कैलोरी होती है, लगभग 15 ग्राम डाइटरी फाइबर और लगभग 17 ग्राम प्रोटीन होता है। मसूर दाल सोडियम, पोटेशियम, मैग्नीशियम, कैल्शियम और विटामिन सी का भी एक समृद्ध स्रोत है। यह दाल उन लोगों के लिए एकदम सही है जो अपना वजन कम करना चाहते हैं और कम वसा वाले भोजन का सेवन करना चाहते हैं। मसूर शारीरिक कमजोरी दूर करने के साथ-साथ खून को बढ़ाने का भी काम करती है। ऐसे में जिस भी इंसान के शरीर में कमजोरी या फिर खून की कमी है तो उसे नियमित मसूर दाल का सेवन करना चाहिए। मसूर दाल में फोलिक एसिड मौजूद रहता है। यह पुरुषों की प्रजनन क्षमता के लिए काफी एक्टिव रूप से काम करता है।

तुअर दाल

तुअर दाल या अरहर दाल का सेवन लोग सबसे ज्यादा करते हैं। यह दाल चना या मूंग दाल से जल्दी पक जाती है। खाने में भी इसका स्वाद अन्य दालों की तुलना में काफी अच्छा लगता है। अरहर की दाल में कैल्शियम, आयरन, मैग्नीशियम, फॉस्फोरस, पोटेशियम, सोडियम, जिंक, कॉपर, सिलेनियम, मैंगनीज, प्रोटीन जैसे तत्व पाए जाते हैं। इतना ही नहीं इसे फाइबर का अच्छा सोर्स माना जाता है जो पाचन को बेहतर बनाने में मददगार हो सकती है। अरहर दाल में प्रोटीन होने के कारण इसे खाने के बाद पेट लंबे समय तक भरा हुआ महसूस होता है। जिसके चलते एक्स्ट्रा खाने से बचे रहते हैं। जो वजन कम करने में मददगार हो सकता है। अरहर की दाल में इम्यूनोमॉड्यूलेटरी गुण पाए जाते हैं, जो इम्यूनिटी को मजबूत बनाने में मदद कर सकते हैं।