वेस्टर्न टॉयलेट या इंग्लिश टॉयलेट को अंग्रेजों की देन माना जाता हैं। पहले इसे ब्रिटेन का शाही परिवार इस्तेमाल करता था और उसके बाद से दिव्यांग या आर्थराइटिस के मरीज इसे काम में लेने लगे। वेस्टर्न टॉयलेट में पेट साफ करने के लिए ज्यादा आरामदायक स्थिति मिलती है और यही कारण हैं कि आजकल ज्यादातर घरों में टॉयलेट वेस्टर्न या इंग्लिश शैली में बने होते हैं। मगर वेस्टर्न टॉयलेट के फायदे ही सबसे बड़े दुश्मन बन गए हैं। जी हां, आरामदायक वेस्टर्न टॉयलेट सेहत के लिए नुकसानदायक होते हुए कई बिमारियों का कारण बनता जा रहा हैं। आज हम आपको इसी से जुडी जानकारी देने जा रहे हैं। आइए जानते हैं वेस्टर्न टॉयलेट इस्तेमाल करने से होने वाले नुकसानों के बारे में...
कब्ज पेट साफ करते हुए बॉडी की पोजीशन सही होना काफी जरूरी है। इंडियन टॉयलेट सीट पर बैठने से हमारे पूरे पाचन तंत्र पर दबाव बनता है, जिससे पेट अच्छी तरह साफ होता है। लेकिन, वेस्टर्न टॉयलेट पर बैठने से पेट और गुदा की मांसपेशियों पर कम दबाव पड़ता है, जिसके कारण पेट ठीक से साफ नहीं हो पाता है और कब्ज की समस्या होने लगती है।
पैर और घुटने होते है कमजोर भारतीय टॉयलेट सीट ऐसी होती हैं जिसमें सारा जोर पैरों और घुटनों पर होता था। इस तरह से उकडू होकर जब हम बैठते थे तो खून का एक फ्लो पैरों में होने लगता है किन्तु वेस्टर्न टॉयलेट की वजह से आजकल पैरों में दम नहीं रहा है।
यूरिन इंफेक्शनवेस्टर्न टॉयलेट के इस्तेमाल से यूटीआई इंफेक्शन का जोखिम काफी बढ़ जाता है। वेस्टर्न टॉयलेट में टिशू पेपर का इस्तेमाल करते हुए अगर मल या टिशू पेपर का छोटा-सा टुकड़ा योनि में चला जाए, तो इंफेक्शन की संभावना काफी बढ़ जाती है। एक रिसर्च के अनुसार, वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने से महिलाओं में इंफेक्शन का खतरा भारतीय टॉयलेट की तुलना 78.2 फीसदी बढ़ जाता है।
पाइल्स वेस्टर्न टॉयलेट के लगातार इस्तेमाल से कब्ज की समस्या लंबी बीमारी में तब्दील हो सकती है। ऐसे में मल त्यागने के दौरान गुदा की मसल्स पर काफी जोर पड़ता है। पेट साफ करने के लिए जोर लगाने से लोअर रेक्टम और गुदा की नसों में सूजन आ जाती है, जिससे पाइल्स (बवासीर) बन जाती है।
अपेंडिक्सवेस्टर्न टॉयलेट बैठने के लिए भले ही आरामदायक हो, लेकिन इसके इस्तेमाल से कई तरह की समस्याएं भी हो सकती हैं। वेस्टर्न टॉयलेट में मल त्यागने के लिए पेट पर काफी ज्यादा जोर लगाना पड़ता है। ऐसे में पेट पर पड़ रहे इस दवाब की वजह से अपेंडिक्स का खतरा भी काफी बढ़ जाता है।
फिशरपेट साफ करने के लिए हमेशा वेस्टर्न टॉयलेट का इस्तेमाल करने से फिशर की समस्या हो सकती है। दरअसल, बवासीर में सख्त मल त्यागने से गुदा का टिश्यू फट जाता है, जो एनल फिशर बन जाता है। इसी तरह, वेस्टर्न टॉयलेट का वॉटर जेट इस्तेमाल करने पर तेज प्रेशर से सूजी हुई नसें या टिश्यू के फट सकता है।
कैसे करें इन बिमारियों का बचावएक्सपर्ट्स पेट साफ करने के लिए देसी टॉयलेट का इस्तेमाल फायदेमंद मानते हैं। क्योंकि, इसमें आप स्क्वैट पोजीशन में बैठे होते हैं। लेकिन अगर आप किसी कारण इंग्लिश टॉयलेट का इस्तेमाल कर रहे हैं, तो अपने पैरों को टॉयलेट स्टूल पर रखने से कब्ज व बवासीर से बचाव होता है। यह स्टूल थोड़ा ही ऊंचा होना चाहिए, जो आपके रेक्टम को 30 डिग्री का कोण दे सके।