तांबे का पानी पीने से शरीर को मिलते हैं चौंकाने वाले फायदे, आज से ही शुरू करें आप

सेहत के लिए पानी पीना अच्छी आदत है। स्वस्थ रहने के लिए हर इंसान को दिनभर में कम से कम 8-10 गिलास पानी जरूर पीना चाहिए। आयुर्वेद में कहा गया है सुबह के समय तांबे के पात्र का पानी पीना विशेष रूप से लाभदायक होता है। इस पानी को पीने से शरीर के कई रोग बिना दवा ही ठीक हो जाते हैं। साथ ही, इस पानी से शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकल जाते हैं। रात को इस तरह तांबे के बर्तन में संग्रहित पानी को ताम्रजल के नाम से जाना जाता है।

आयुर्वेदिक ग्रंथों में भी पीने के पानी के लिए तांबे के बर्तनों के उपयोग का विशेष महत्व बताया गया है। दरअसल कॉपर एंटी-बैक्टीरियल गुणों वाली एकमात्र धातु है जो कई सौ वर्षों से अपनी महत्ता सिद्ध करता रहा है।पुराने ज़माने से ही तांबे को विभिन्न रोगों के इलाज के लिए लाभदायक माना गया है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीना आपकी सेहत के लिए फायदेमंद हो सकता है। जब आप तांबे के बर्तन में रात भर या 8-9 घंटे से अधिक समय तक पानी जमा करते हैं, तो बर्तन पानी में अपने आयनों को छोड़ देता है। इस पानी को पीने से आपके संपूर्ण स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है। एंटी बैक्टीरियल होने के अलावा कॉपर एंटी इंफ्लेमेटरी, एंटी-कार्सिनोजेनिक और एंटीऑक्सीडेंट गुणों के लिए जाना जाता है। यह हीमोग्लोबिन के निर्माण के साथ-साथ कोशिका पुनर्जनन में सहायता करता है ।पर हमारा शरीर स्वस्थ रूप से कार्य करने के लिए आवश्यक तांबे की मात्रा नहीं बना सकता है, इसलिए तांबे को भोजन या पानी के माध्यम से ग्रहण करना आवश्यक है ।इसलिए, तांबे के बर्तन में पानी को आठ घंटे या उससे अधिक समय तक स्टोर करना भी महत्वपूर्ण है, न कि केवल तांबे के बर्तन से पीना।

तांबे में होते हैं रोगाणुरोधी गुण

स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें तो तांबे में रोगाणुरोधी गुण होते हैं। यही कारण है की कुछ वॉटर फिल्टर मशीनों में बैक्टीरिया के विकास को रोकने के लिए तांबे का उपयोग किया जाता है। हालांकि यह लंबे समय से आयुर्वेद द्वारा मान्यता प्राप्त है; अभी हाल ही में इस दावे की सत्यता का परीक्षण करने के लिए नियंत्रित परिस्थितियों में अध्ययन किए जा रहे हैं कि तांबे के कंटेनरों में संग्रहीत होने पर ई-कोलाई और साल्मोनेला जैसे बैक्टीरिया गायब हो जाते हैं। इस प्रकार, तांबा आपको सुरक्षित पेयजल प्रदान करने के लिए कीटाणुनाशक के रूप में काम करते हैं।

कैंसर और थायरायड जैसी बीमारियों से करता है रक्षा

कॉपर कैंसर और थायरायड जैसी गम्भीर बीमारियों से आपकी रक्षा करता है। असल कॉपर एक ऐसा एंटीऑक्सीडेंट है, जिसका अर्थ है कि यह सभी मुक्त कणों से लड़ता है और उनके नकारात्मक प्रभावों को नकारता है। मुक्त कण और उनके हानिकारक प्रभाव मानव शरीर में कैंसर के प्रमुख कारण रहे हैं। कॉपर शरीर में मेलेनिन के उत्पादन में भी मदद करता है जो हमारी त्वचा और आंखों को रंग देने के लिए ज़िम्मेदारहह होता है।यही नहीं ये सूरज की हानिकारक यू वी किरणों से भी हमें बचाता है।तांबे की अहमियत यहीं खत्म नहीं होतकी ।ये थायराइड ग्रंथि के कामकाज में भी सहायता करता है। विशेषज्ञों के अनुसार, कॉपर थायरॉयड ग्रंथि की विसंगतियों को संतुलित करता है। यानी यह थायरॉयड ग्रंथि को अच्छी तरह से काम करने के लिए सक्रिय करता है। लेकिन यह थायरॉयड ग्रंथि से बहुत अधिक स्राव के हानिकारक प्रभावों से भी लड़ता है। जहां तांबे की कमी से थायरॉयड ग्रंथि खराब हो जाती है, वहीं यह भी सच है कि बहुत अधिक तांबा भी थायरॉयड ग्रंथि की शिथिलता का कारण बनता है, जिससे रोगियों में हाइपर या हाइपोथायरायडिज्म होता है।इसलिए शरीर में तांबे की उचित मात्रा का होना बहुत आवश्यक है।

पाचन में करता है सुधार

तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से गैस, एसिडिटी और अपच जैसी कुछ सामान्य पाचन समस्याएं दूर होती हैं । एक तांबे के कंटेनर में संग्रहित पानी पीने से पेरिस्टलसिस, पेट की मांसपेशियों के संकुचन और शिथिलता के कारण पाचन में मदद करता है। यह पेट की सूजन को भी कम करता है और पेट के अंदर मौजूद हानिकारक बैक्टीरिया को खत्म करता है, जिससे अपच की समस्या, संक्रमण और अल्सर की संभावना कम हो जाती है। कॉपर यह भी सुनिश्चित करता है कि आपके द्वारा खाए जाने वाले भोजन से उचित पोषक तत्व शरीर में अवशोषित हो जाएं। यह कचरे को खत्म करके आपके पेट को डिटॉक्सीफाई और साफ करता है। कॉपर लीवर और किडनी को ठीक से काम करने में भी मदद करता है।

रक्तचाप और हृदय रोगों के जोखिम को कम करता है

कॉपर के बर्तन में पानी रखकर पीने से कोलेस्ट्रॉल और ट्राइग्लिसराइड का स्तर कम होता है। तांबे की कमी अलग अलग आयु वर्ग के लोगों पर अलग तरह से असर डालती है। यदि बचपन से ही कॉपर की कमी हो गई है, तो यह हाइपोटेंशन की समस्या बढ़ाकता है पर यदि कोई व्यस्क तांबे की कमी से पीड़ित हैं, तो वे उच्च रक्तचाप का विकास करते हैं। इसलिए, किसी व्यक्ति में रक्तचाप को सही स्तर पर रखने के लिए शरीर में तांबे की उचित मात्रा महत्वपूर्ण होती है।

रक्तचाप का सीधा संबंध हृदय से होता है। आजकल हृदय रोग बेहद आम बात है। लेकिन तांबे के बर्तन का पानी पीने से इसका खतरा कम हो सकता है। तांबे के बर्तन में रखा पानी पीने से आपके हृदय की सामान्य गति को बनाए रखने में मदद मिलेगी। यह ब्लाकेज से बचाता है औऱ रक्त के उचित प्रवाह को सुनिश्चित करता है। कॉपर की कमी से हृदय की मांसपेशियों की शिथिलता हो सकती है, जिससे रक्त की अपर्याप्त पंपिंग हो सकती है, शरीर में रक्त का संचार बाधित हो सकता है । हालांकि, तांबे के बर्तन से पानी पीने के साथ-साथ अपने रक्तचाप औऱ हृदय को सेहतमंद रखने के लिए स्वस्थ भोजन करना और नियमित रूप से व्यायाम करना आवश्यक है।

शरीर के तापमान को ठंडा रखता है और संक्रमण से बचाता है

हमारे खाने पीने का प्रभाव भी हमारे शरीर के तापमान पर पड़ता है। हम जो खाना खाते हैं वह हमारे पेट में जाता है और अम्लीय हो जाता है। यही खाना शरीर में विषाक्त पदार्थों को छोड़ता है और इस तरह शरीर को गर्म करता है। जब आप तांबे के बरतन में पानी रखते हैं तो यह क्षार के साथ मिल जाता है। फिर यही पानी पीने से यह क्षारीय पानी एसिड को संतुलित करने, सिस्टम को डिटॉक्सीफाई करने और शरीर के तापमान को कम करने में मदद करता है। यह प्रक्रिया गर्मी के महीनों के दौरान विशेष रूप से सहायक होती है क्योंकि तब बाहरी तापमान के कारण शरीर का तापमान अपने आप ही बढ़ जाता है। कॉपर प्राकृतिक रूप से एंटी बैक्टीरियल होता है। तांबे के बर्तन का पानी पीने से पानी से फैलने वाले कई तरह के संक्रमणों से बचा जा सकता है। ई. कोलाई और हैजा बेसिलस कुछ ऐसे रोगाणु हैं जो तांबे के बर्तन में लगभग आठ घंटे तक पानी रखने से मारे जा सकते हैं। ये कीटाणु पेचिश, पीलिया और दस्त जैसी बीमारियों का कारण बनते हैं।तो अगर आप भी नियमित रूप से तांबे के बर्तन में पानी पियेंगे तो आमतौर पर गर्मियों में होने वाली इन बीमारियों से खुद को सुरक्षित रख सकते हैं।

वजन घटाता है और एजिंग को धीमा करता है

कॉपर मानव शरीर में अतिरिक्त वसा को जमा होने से रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है । इसके चलते यह प्रभावशाली ढंग से वजन कम करने में मदद करता है। जिस समय कोई व्यक्ति आराम कर रहा होता है तब भी तांबा शरीर को वसा जलाने की स्थिति में रखता है। हालांकि इस बात का यह मतलब नहीं निकालना चाहिए कि बहुत अधिक तांबा अधिक वसा जला पाएगा।।अधिक मात्रा में तांबा शरीर में जहर के समान काम कर सकता है। इसलिए शरीर की आवश्यकता के अनुसार ही तांबा होना उचित होता है। इसके अलावा शरीर में नौजूद तांबा उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। प्राचीन समय में लोग तांबे पर आधारित सौंदर्यीकरण की वस्तुओं का बहुत उपयोग करते थे। आज के समय में भी तमाम वित्रापनों में स्किनकेयर उत्पाद तांबे पर आधारित बताए जाते हैं क्योंकि तांबा न केवल एक एंटीऑक्सिडेंट है बल्कि यह सेल पुनर्जनन में भी सहायता करता है। त्वचा पर मुक्त एजेंटों के हानिकारक प्रभावों को कम करता है और उम्र के साथ आने वाली झुर्रियों और महीन रेखाओं से लड़ने में मदद करता है।इस प्रकार ये आपकी त्वचा को उम्र से कहीं जवान बनाए रखने में मदद करता है।

जोड़ों की बीमारी और एनीमिया को रोकता है

कॉपर हीमोग्लोबिन बनाने के लिए भोजन के टूटने में सहायता करता है, यह शरीर को आयरन को अवशोषित करने में मदद करता है, जिसकी कमी से एनीमिया होता है। मानव शरीर में तांबे की कमी से रक्त संबंधी विकार हो सकते हैं जिसके परिणामस्वरूप श्वेत रक्त कोशिकाएं भी कम हो जाती हैं।तांबे का सही मात्रा शरीर को अनीमिया से सुरक्षा प्रदान करती है। यहीं नहीं तांबा हड्डियों के साव्स्थ्य के लिए भी आवश्यक है। यह गठिया और सूजन वाले जोड़ों को ठीक करता है।दरअसल कॉपर में एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं जो गठिया और रूमेटाइड अर्थराइटिस से पीड़ित मरीजों को काफी राहत देते हैं। इसके अतिरिक्त, तांबे में हड्डियों को मजबूत करने वाले गुण होते हैं, जो इसे गठिया के लिए एक सही इलाज बनाता है। शरीर के बाकी अंगों की तरह यह मस्तिष्क पर भी असर डालता है।शरी में तांबे का संतुलन मस्तिष्क की क्षमता को बढ़ाता है।

मानव मस्तिष्क विद्युत आवेगों के माध्यम से शरीर के बाकी हिस्सों से संपर्क करता है। कॉपर इन आवेगों को पूरा करके कोशिकाओं को एक दूसरे के साथ संचार करने में मदद करता है, जिससे मस्तिष्क अधिक कुशलता से काम करता है।

गठिया में होता है फायदेमंद

आजकल कई लोगों को कम उम्र में ही गठिया और जोड़ों में दर्द की समस्या सताने लगती हैं। यदि आप भी इस समस्या से परेशान हैं तो रोज तांबे के पात्र का पानी पिएं। गठिया की शिकायत होने पर तांबे के बर्तन में रखा हुआ जल पीने से लाभ मिलता है। तांबे के बर्तन में ऐसे गुण आ जाते हैं, जिनसे बॉडी में यूरिक एसिड कम हो जाता है और गठिया व जोड़ों में सूजन के कारण होने वाले दर्द में आराम मिलता है।

सूक्ष्मजीवों को खत्म करता है

तांबे की प्रकृति में ऑलीगोडायनेमिक के रूप में ( बैक्टीरिया पर धातुओं की स्टरलाइज प्रभाव ) माना जाता है। इसीलिए इसके बर्तन में रखे पानी के सेवन से हानिकारक बैक्टीरिया को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। इसमें रखे पानी को पीने से डायरिया, दस्त और पीलिया जैसे रोगों के कीटाणु भी मर जाते हैं, लेकिन पानी साफ और स्वच्छ होना चाहिए।

दिल को बनाए हेल्दी

तनाव आजकल सभी की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। इसलिए दिल के रोग और तनाव से ग्रसित लोगों की संख्या तेजी बढ़ती जा रही है। यदि आपके साथ भी ये परेशानी है तो तो तांबे के जग में रात को पानी रख दें। सुबह उठकर इसे पी लें। तांबे के बर्तन में रखे हुए जल को पीने से पूरे शरीर में रक्त का संचार बेहतरीन रहता है। कोलेस्ट्रॉल कंट्रोल में रहता है और दिल की बीमारियां दूर रहती हैं।

नोट: आलेख में दी गई जानकारी मान्यताओं पर आधारित है। कंटेंट का उद्देश्य मात्र आपको बेहतर सलाह देना है। इस संदर्भ में हम किसी प्रकार का कोई दावा नहीं करते हैं।