गर्मियों में स्विमिंग पूल में नहाना पड़ सकता है आपके लिए भारी, हो सकते हैं यह नुकसान

गर्मियों में शरीर को ठंडक देने के लिए स्विमिंग करना पसंद है ऐसे में इस मौसम में लोग अपने परिवार वालों और दोस्तों के साथ वाटर रिसोर्ट और वाटर पार्क का प्लान बनाते है। स्विमिंग करने से शरीर एक्टिव रहता है। अब हर घर में तो स्वीमिंग पूल नहीं होता है ऐसे में लोग पब्लिक स्विमिंग पूल पर जा कर इसे एन्जॉय करते है।जो आपको कम कीमत पर स्विमिंग का लुत्फ उठाने का तो मौका दे देती है, लेकिन स्विमिंग पूल के पानी में तैर रहे इंफेक्शन आपको कई तरह की बीमारी दे सकते हैं। क्यूंकि इससे आपको कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं हो सकती है। यहां हम आपको पब्लिक स्विमिंग पूल में तैरने के साइड इफेक्ट और उनसे बचाव के तरीके बताने वाले है।स्विमिंग पूल के पानी से हो सकता है फंगल इंफेक्शन आमतौर पर लोगों को पहले ही गर्मियों में कई स्किन से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। इस चुभती-जलती गर्मियों में लोग सबसे ज्यादा शिकार बनते है फंगल इंफेक्शन का और स्विमिंग करने पर यह और ज्यादा बढ़ जाते हैं। दरअसल हमारे शरीर में जहां ज्यादा नमी रहती है वहां घर्षण होने की वजह से फंगल इंफेक्शन हो जाता है। जैसे बगल, जांघ, ब्रेस्ट के नीचे या पैरों के अंगूठे और अंगुलियों के बीच में। कई बार ऐसा भी होता है कि एक संक्रमित व्यक्ति भी अन्य व्यक्तियों को बीमार कर देता हैं।

बढ़ सकता है डायरिया का खतरा

पब्लिक स्विमिंग पूल में पानी इतना साफ़ नहीं होता है।चिकित्सकों का भी मानना है कि स्विमिंग पूल के पानी में ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो डायरिया का कारण बनते हैं। इसकी वजह से आपको रीक्रिएशनल वॉटर इलनेस हो सकती है। इसका मतलब होता है कि पानी से जुड़ी मनोरंजक गतिविधियों से होने वाली बीमारियां दूषित पानी के संपर्क में आने से या पीने से होती है। जैसे कि पेट से संबंधित बीमारी, स्किन, कान, आंख और न्यूरोलॉजिकल संक्रमण शामिल है। हालांकि इन सब में सामान्य है डायरिया। चिकित्सकों का भी मानना है कि स्विमिंग पूल के पानी में ऐसे बैक्टीरिया पाए जाते हैं जो डायरिया का कारण बनते हैं।

क्लोरीन से हो सकता है साइड इफेक्ट

सभी स्विमिंग पूल में क्लोरीन डाला जाता है। क्लोरीन का इस्तेमाल स्विमिंग पूल के पानी में बैक्टीरिया को मारने के लिए किया जाता है। यह बहुत ही पॉवरफुल केमिकल होता है। कई बार रैशेज होने का ये भी एक कारण होता है। जिस कारण स्किन में रैडनेस, सूजन और खुजली आने लगती है। और अगर यह बढ़ जाए तो एक्जिमा का रूप भी ले सकती है।

स्विमिंग पूल में यूज हो क्लोरीन की सही मात्रा


स्विमिंग पूल में क्लोरीन की सही मात्रा होनी चाहिए। रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्रों के अनुसार, यदि स्विमिंग पूल में क्लोरीन और पीएच स्तर सही नहीं हैं, तो तैराक बीमार हो सकते हैं। इसलिए कीटाणुओं को मारने के लिए पीएच स्तर 7.2, 7.6 और 7.8 होना चाहिए, ये मात्रा शरीर को नुकसान भी नहीं पहुंचाती है। इसके अलावा क्लोरीन की सही मात्रा ई-कोलाई जैसे बैक्टीरिया को कुछ ही मिनटों में नष्ट कर देती है। जबकि हेपेटाइटिस ए वायरस 16 मिनट में, जिआर्डिया 45 मिनट में और क्रिप्टो स्पोरिडियम जैसे कीटाणु 10 दिनों में नष्ट हो जाते हैं।

बचाव के लिए अपनाएं ये तरीके

अगर स्विमिंग के बाद आपके शरीर पर रैशेज या लाल चकत्ते हो तो आप एंटी-इचिंग क्रीम या मेंथॉल क्रीम लगाएं। करीब सात से दस दिन के अंदर रैशेज ठीक ना हों तो डॉक्टर से संपर्क करें। पानी में क्लोरीन की मात्रा ज्यादा होने पर बाल गिरने की समस्या हो सकती है लिहाजा स्विमिंग कैप का इस्तेमाल करें। इसके अलावा यह भी ध्यान रखें कि पूल का पानी दूषित होने पर पूल ऑपरेटर उसकी अच्छी तरह से सफाई करें।