आजकल के समय में देखने को मिलता हैं कि ज्यादातर युवा सिर्फ दिखावे के चक्कर में गलत काम करने लगते हैं जो कि उनकी सेहत और जिंदगी को बुरी तरह प्रभावित करते हैं। ऐसी ही एक आदत हैं वेपिंग अर्थात ई-सिगरेट की। युवाओं में दिनों दिन वेपिंग का क्रेज बढ़ रहा है। खुद को कूल दिखाने के लिए स्कूल, कॉलेज और ऑफिस में कई लोग इसका प्रयोग कर रहे है। यह उतनी ही हानिकारक है जितनी बीड़ी, सिगरेट या कोई और तंबाकू उत्पाद। हांलाकि भारत में ई-सिगरेट पर साल 2019 में ही बैन लग चुका हैं। साथ ही सरकार ने ई-सिगरेट की सेल, उत्पादन, एक्सपोर्ट, ट्रांसपोर्ट, इंपोर्ट, स्टोरेज और विज्ञापन पर भी रोक लगाई है। हम आपको यहां इससे होने वाले नुकसान के बारे में बताने जा रहे हैं।
क्या है ई-सिगरेटई-सिगरेट यानी इलेक्ट्रॉनिक सिगरेट बैटरी से चलने वाला एक डिवाइस है, जिसमें निकोटीन और केमिकल्स के हानिकारक घोल भरे होते हैं। इसे वेप पैन और ई।हुक्का के रूप में भी जाना जाता है। बहुत से आकारों में मिलने वाला ये डिवाइस पारंपरिक सिगरेट, सिगार और पाइप की तरह नज़र आते हैं। वहीं कुछ यूएसबी मेमोरी स्टिक के आकार के भी होते हैं। बैटरी की मदद से चार्ज होने वाले इस डिवाइस में लिक्विड होता है, जो इस्तेमाल के दौरान गर्म होकर हवा में उड़ता है। इस प्रकार से ई-सिगरेट की कश खींचने वाला व्यक्ति धुआं की जगह भाप खींचता है। इसे बार-बार चार्ज करने की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें 8 से 10 सिगरेट के समान कश मौजूद होते हैं।
E-Cigarette और नॉर्मल सिगरेट में अंतरनॉर्मल सिगरेट में निकोटिन के साथ-साथ तंबाकू होता है लेकिन ई सिगरेट में सिर्फ निकोटिन होता है। इसके अलावा ई सिगरेट में निकोटिन की मात्रा कम पाई जाती है। नॉर्मल सिगरेट पीते वक्त धुंआ निकलता है जो कि सिगरेट पीने के साथ ही आसपास खड़े दूसरे लोगों को भी नुकसान पहुंचाता है। ई सिगरेट में कई तरह के फ्लेवर भी आते हैं जिसे पीने के बाद अगर आप किसी के पास बैठेंगे तो उसे एहसास भी नहीं होगा की आपने सिगरेट पी हुई है। यही वजह है कि युवाओं में ई सिगरेट बेहद मशहूर माना जाता है।
E-Cigarette से होने वाले नुकसान
दिल की बीमारीअमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियॉलजी में प्रकाशित एक जर्नल के मुताबिक ई-सिगरेट में मौजूद फ्लवेरिंग से रक्त प्रवाह के काम करने की क्षमता प्रभावित होती है, जिससे दिल की बीमारी का खतरा बढ़ जाता है।
गले में खराशलगातार वेपिंग से गले में खराश की शिकायत होने लगती है। दरअसल, लिक्विड के तौर पर इस्तेमाल किए जाने वाला निकोटीन, प्रोपलीन ग्लाइकोल, फलेवरिंग्स और प्रयोग किया जाने वाला कॉइल भी खराश का कारण हो सकता है। कुछ कॉइल निकल बेस्ड होते हैं। जो कुछ लोगों के लिए एलर्जी का कारण साबित होते हैं। इसके अलावा हाई निकोटिन भी इसका एक कारण है। साथ ही प्रोपलीन ग्लाइकोल का 50 फीसदी से ज्यादा इस्तेमाल गले में खराश बढ़ाने लगता है।
कैंसर की आशंकाई-सिगरेट में निकोटीन के अलावा फ्लवेरिंग के लिए खुशबूदार केमकिल भरे होते हैं। यह केमिकल गर्म होने पर सांस के साथ फेफड़ों में जाते हैं, जिससे फेफड़ों के कैंसर की आशंका बढ़ जाती है।
कैफीन सेंसिटिविटीबहुत से लोग जो वेपिंग करते है, वे कॉफी या अन्य कैफीनयुक्त पेय पदार्थों का सेवन करने लगते हैं। वेपोराइज़र का उपयोग करने के शुरुआती दिनों में कैफीन सेंसिटिविटी होना एक आम बात है। इसके चलते तनाव और मूड स्विंग का खतरा रहता है। कैफीन का सेवन कम करने से ये लक्षण अपने आप दूर हो जाते हैं।
गर्भवस्था में हानिकारकई-सिगरेट में धुआं की जगह भाप होती है। इस भाप का गर्भस्थ बच्चे पर बुरा असर पड़ता है। वहीं इस सिगरेट को छोटे बच्चों के आसपास पीना नहीं चाहिए क्योंकि यह भाप उनके दिमागी विकास में असर डालती है।
निकोटीन की लतई-सिगरेट में निकोटीन और दूसरे हानिकारक केमिकल्स का घोल होता है। निकोटीन अपने आप में ऐसा नशीला पदार्थ है जिसकी लत लग जाती है। इसलिए विशेषकर हृदय रोगियों को ई-सिगरेट से दूर रहना चाहिए। वैज्ञानिक शोधों में यह कहा गया है कि यह दिल की धमनियों को कमजोर भी करता है। इसकी लत पड़ जाती है इसलिए इसे छोड़ने पर विदड्रॉल सिंड्रोम और डिप्रेशन की समस्या हो सकती है।
खांसी की समस्याहार्वर्ड एजुकेशन के मुताबिक अमेरिका में 9 फीसदी आबादी और 28 फीसदी हाई स्कूल स्टूडेंट ई सिगरेट का प्रयोग करते हैं। इसके लगातार सेवन से खांसी की समस्या होना एक आम बात है। लंबे वक्त तक अगर आप खांसी की चपेट में हैं, तो ये आपके लिए टीबी के रोग की संभावना को भी बढ़ा देता है।