क्या आपको भी हैं नाखून चबाने की आदत, ये नुकसान जान लेने के बाद नहीं रहेगी

आपने अक्सर कई लोगों को देखा होगा जो नाखून चबाते रहते हैं और खुद भी इसके आदी हैं जो कि एक बुरी आदत हैं। कोई भी आपको ऐसा करते हुए देखता हैं तो आपका इम्प्रेशन तो खराब होता ही हैं, लेकिन साथ ही में सेहत को भी नुकसान झेलना पड़ता हैं। नाखून में साल्मोनेला और ई कोलाई जैसे रोग पैदा करने वाले बैक्टीरिया पनपते हैं जो इस आदत के चलते मुंह में आसानी से प्रवेश कर जाते हैं और आपको बीमार बनाते हैं। कई शोध बताते हैं कि हमारे नाखून उंगलियों से दोगुने गंदे होते हैं। ऐसे में नाखून चबाना अपनेआप में बड़ी गलती साबित होती हैं। हम आपको यहां बता रहे हैं कि अगर आपने यह आदत नहीं छोड़ी तो यह आपको कितना नुकसान पहुंचा सकता है।

गठिया या परमानेंट डिसैबिलिटी

जब हम मुंह के अंदर लगातार नाखूनों ले जाते हैं तो पैरोनीशिया जैसी कई बैक्टीरिया शरीर में जाकर आउट ऑफ कंट्रोल हो सकते हैं और हाथ पैर के ज्वाइंट्स को प्रभावित कर सकते हैं। इसे सेप्टिक अर्थराइटिस भी कहते हैं जिसका इलाज आसान नहीं है। यही नहीं, यह परमानेंट डिसैबिलिटी का कारण भी बन सकता है।

बैक्टीरियल समस्याएं

नेल को कुतरने वालों को बैक्टीरियल इंफेक्शन होने का खतरा काफी ज्यादा रहता है। ऐसे में आपकी स्किन पर सूजन, रेडनेस, लालिमा जैसी परेशानी हो सकती है। दरसअल, हमारे नाखून के अंदर कई तरह की गंदगी मौजूद होती है, ऐसे में जब आप नाखून को अपने मुंह में डालते हैं, तो यह आपके शरीर में प्रवेश करता है। जिससे कई तरह के इंफेक्शन होने की संभावना बढ़ जाती है।

नाखूनों पर असर

अगर आपको नेल बाइटिंग की क्रानिक हैबिट है तो इसकी वजह से नाखून के अंदर के टिशू खराब हो सकते हैं जो परमानेंट डैमेज कर सकता है। कई बार इस हैबिट की वजह से नाखून बढ़ना बंद हो जाते हैं। अगर यह समस्या एक बार हुई तो इसे ठीक करना जैसे असंभव हो जाता है।

दांतों को हो सकता है नुकसान

नाखूनों को चबाने से दांतों से जुड़ी कई परेशानियां भी हो सकती हैं। बार-बार नेल बाइटिंक के कारण आपके दांत टूट सकते हैं। साथ ही कुछ लोगों की दांतों में दरारें आ सकतीं हैं। साथ ही गंदगी के कारण दांतों पर जिद्दी दाग भी जमा हो सकते हैं। कुछ लोगों में समस्या इतनी ज्यादा बढ़ जाती है कि उनके दांत टूटने या फिर गिरने लगते हैं।

दांत हो जाते हैं टेढ़े मेढ़े

अगर बचपन में नाखून चबाने की आदत नहीं छोड़ी जाए तो दांत टेढ़े मेढ़े भी हो सकते हैं। दरअसल यह देखा गया है कि जब हम दांतों से नाखून को चबाते हैं तो इसके लिए एक या दो ही दांतों का प्रयोग करते हैं। इन्हीं दांतों से लगातार चबाने से दांत की पकड़ ढ़ीली पड़ जाती है और ये अपना शेप चेंज करने लगते हैं। बचपन की इसी आदत की वजह से बाद में दांतों पर ब्रेसिज पहनने की जरूरत पड़ती है।

मसूड़ों में हो सकता है दर्द

बार-बार नाखून चबाने की आदत के कारण मुंह के अंदर नाखून फंस सकते हैं। ऐसे में मसूड़ों से खून आने लगता है। कुछ लोगों में मसूड़ों और दांतों में सड़न की शिकायत हो जाती है, जिसकी वजह से दांतों में संक्रमण और घाव की स्थिति हो सकती है।

डाइजेशन को करता है प्रभावित

नाखून चबाने की आदत से अगर मुंह में किसी तरह का बैक्टेरियल इंफेक्शन हुआ तो यहां से बैक्टेरिया पेट तक पहुंच सकते हैं और गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल संक्रमण हो सकता है। इसकी वजह से पेट में दर्द और दस्त की समस्या हो सकती है।

बन सकता है सांस की बदबू का कारण

हमारे नाखूनों से सभी कीटाणुओं और गंदगी को निकालना लगभग असंभव है, भले ही हम अपने हाथों को बार-बार धोते हों। इसका मतलब यह है कि जब हम नाखून चबाते हैं, तो हमारे नाखूनों के नीचे छिपे बैक्टीरिया हमारे मुंह तक आसानी से पहुंच जाते हैं। ये बैक्टीरिया हमारे मुंह में रह सकते हैं और बढ़ सकते हैं, जिससे मसूड़ों की बीमारी हो सकती है। इससे मुंह से दुर्गंध या सांस में दुर्गंध आती है।