आजकल डायबिटीज, मोटापा और हाइपरटेंशन की तरह थायराइड के मरीजों की संख्या में बड़ी तेजी से इजाफा हो रहा है। इस बीमारी का मुख्य कारण थायराइड हार्मोन का अधिक उत्सर्जन है। यह बीमारी पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक होती है। विशेषज्ञों की मानें तो गर्दन के अंदर तितली की आकार में थायराइड ग्रंथि होती है, जिसे अवटु ग्रन्थि भी कहा जाता है।
यह ग्रंथि दो प्रकार के हार्मोन उत्सर्जित करती है। जब ग्रंथि से कम अथवा अधिक हार्मोन निकलने लगता है, तो थायराइड की समस्या होती है। इस स्थिति में शरीर की सभी कोशिकाएं प्रभावित होती हैं। संतुलित आहार, रोजाना एक्सरसाइज, तनाव को दूर और आयोडीन का सेवन कर थायराइड को कंट्रोल किया जा सकता है।
इसके अतिरिक्त थायराइड कंट्रोल करने के लिए योग का भी सहारा लिया जा सकता
है। प्राचीन समय से सेहतमंद रहने के लिए योग किया जाता है। योग के कई
प्रकार हैं। इनमें कुछ आसन थायराइड कंट्रोल करने के लिए उपयोगी माने जाते
हैं। सरल, सहज और स्वास्थ्य से भरपूर जीवन जीने का एकमात्र तरीका योग है।
भारतवर्ष में वर्षों से योग किया जा रहा है। योग करने से न सिर्फ शरीर
स्वस्थ होता है, बल्कि मन भी शांत रहता है।
हालांकि, इन दिनों योग
करने के कई तरीके प्रचलित हो चुके हैं, लेकिन सभी का उद्देश्य स्वस्थ तन और
मन से है। आजकल जिस तरह से हमारा जीवन अति व्यस्त और विभिन्न कठिनाइयों से
भरा हुआ है, उसके मद्देनजर योग का महत्व और बढ़ जाता है। हमारी एक गलती कई
तरह की शारीरिक परेशानियों को जन्म दे सकती है और थायराइड भी उन्हीं में
से एक है।
थायराइड के लिए योगासन
1. उज्जायी प्राणायाम
उज्जायी
प्राणायाम फॉर थायराइड यानी थायराइड के लिए उज्जायी प्राणायाम जरूर करना
चाहिए। इस योग का असर गले वाले हिस्से पर पड़ता है। इसके अलावा, जिन लोगों
को थायराइड असंतुलन की समस्या होती है, उन पर इसका वार्मिंग प्रभाव मदद कर
सकता है। इससे थायराइड की समस्या को नियंत्रण में लाया जा सकता है। उज्जायी
प्राणायाम करने से थायराइड ग्रंथी में कंपन होता है, जिससे ये ग्रंथी ठीक
तरह से काम कर पाती है। साथ ही इस आसन को करने से शरीर में ऊर्जा का संचार
भी होता है।
करने की प्रक्रिया :
- इसके लिए सबसे पहले जमीन पर पद्मासन या फिर सुखासन में बैठ जाएं।
- गले को टाइट करके शरीर के अंदर सांस भरें। इस तरह सांस भरते समय एक आवाज आती है।
- सांस लेते समय सीने को फुलाने की कोशिश करें।
- इसके बाद अगर चाहें तो जालंधर बंध भी लगा सकते हैं। इसमें ठोड़ी को छाती के साथ चिपका देते हैं।
- अब जब तक संभव हो सांस को रोककर रखें।
- फिर दाहिनी अंगुठे से दाईं नासिका को बंद करें और धीरे-धीरे बांईं नासिका से सांस को छोड़ें।
- इसके अलावा, दाईं नासिका को बंद किए बिना दोनों नासिकाओं से भी सांस छोड़ सकते हैं।
2. मत्स्यासन
जैसा
कि नाम से पता चलता है कि इसे करते समय शरीर मछली के आकार का हो जाता है।
इसे इंग्लिश में फिश पोज योग कहते हैं। इस योग को करने पर थायराइड ग्रंथि
के रक्त संचार में सुधार हो सकता है। साथ ही यह गले के तनाव को कम कर
थायराइड ग्रंथि को उत्तेजित करने का काम कर सकता है, जो थायराइड की समस्या
को कम करने में मदद कर सकता है। लिहाजा, मत्स्यासन को थायराइड का योग माना
जा सकता है।
करने की प्रक्रिया :
- जमीन पर पद्मासन की मुद्रा में बैठ जाएं और हाथों का सहारा लेते हुए धीरे-धीरे पीछे की ओर झुकते हुए पीठ के बल लेट जाएं।
- अब हाथों की मदद से शरीर को ऊपर उठाएं और पैरों व सिर के बल पर शरीर को संतुलित कर लें।
- इसके बाद बाएं पैर को दाएं हाथ से और दाएं पैर को बाएं हाथ से पकड़ लें।
- इस दौरान, कोहनियां और घुटने जमीन से सटे होने चाहिए।
- इस स्थिति में रहते हुए ही धीरे-धीरे सांस लेते व छोड़ते रहें।
- करीब 30 सेकंड से एक मिनट तक इसी अवस्था में रहें।
- इसके बाद सांस छोड़ते हुए हाथों का सहारा लेते हुए लेट जाएं और फिर उठते हुए प्रारंभिक अवस्था में आकर सीधे बैठ जाएं।
- इस तरह के करीब तीन-चार चक्र करें।
सावधानी :
अगर कोई रीढ़ की हड्डी के किसी गंभीर रोग से ग्रस्त हैं, घुटनों में दर्द
है, हर्निया है या फिर अल्सर है, तो इस योगासन को बिल्कुल न करें।
3. विपरीत करनी
थायराइड
के लिए योग के तहत यह आसन जरूर करना चाहिए। इस आसन को करने पर थायराइड को
उत्तेजित करने में मदद मिल सकती है, जिस कारण इससे जुड़ी समस्या से निपटने
में मदद मिल सकती है । साथ ही यह रक्त संचार को बेहतर करने का काम कर सकता
है। इससे शरीर को स्वस्थ रखने में मदद मिल सकती है।
करने की प्रक्रिया :
- सबसे पहले दीवार के पास योग मैट को बिछा लें और दीवार की तरफ मुंह करके बैठ जाएं।
- इसके बाद हाथों का सहारा लेते हुए पीछे की ओर झुक जाएं और कूल्हों व पैरों को ऊपर उठाकर बिल्कुल सीधे दीवार के साथ सटा लें।
- बांहों को शरीर से दूर फैला लें और हथेलियां ऊपर की ओर रहें।
- इस मुद्रा में करीब 5-15 मिनट तक रहें।
- फिर घुटनों को मोड़ते हुए दाईं ओर घूम जाएं और सामान्य अवस्था में बैठ जाएं।
सावधानी : अगर किसी के पीठ या गर्दन में अधिक दर्द है, तो इस आसन को न करें। मासिक धर्म के समय महिलाओं को यह आसन नहीं करना चाहिए।
4. सर्वांगासन
यह
तीन शब्दों से बना है। ‘सर्व’ का अर्थ सभी, ‘अंग’ का शरीर और ‘आसन’ का
अर्थ मुद्रा से है। नाम के अनुसार ही इस योगासन के फायदे भी अनेक हैं। यह
पूरे शरीर में खिंचाव लाने का काम कर सकता है। साथ ही यह गर्दन वाले भाग
में रक्त संचार को ठीक करने का काम कर सकता है, जिससे थायराइड ग्रंथि को
उत्तेजित किया जा सकता है। इससे थायराइड को बेहतर तरीके से काम करने में
मदद मिल सकती है। ऐसे में थायराइड में योग करने वालों के लिए सर्वांगासन
करना अच्छा साबित हो सकता है।
करने की प्रक्रिया :
- सबसे पहले जमीन पर योग मैट बिछाकर पीठ के बल लेट जाएं। हाथों को शरीर के साथ सीधा सटाकर रखें।
- फिर पैरों को धीरे-धीरे ऊपर की ओर उठाएं।
- इसके बाद कूल्हों व कमर को भी ऊपर की ओर उठा लें।
-
इसके बाद कोहनियों को जमीन पर टिकाते हुए पीठ को हाथों के जरिए सहारा दें
और पैरों व घुटनों को ऊपर की ओर बिल्कुल सीधा कर दें। घुटने व पैर आपस में
मिले हुए होने चाहिए। इस दौरान, शरीर का पूरा भार कंधों, सिर व कोहनियों पर
होना चाहिए। साथ ही ठोड़ी छाती पर लगे।
- इसी मुद्रा में करीब एक-दो मिनट तक रहें और लंबी-गहरी सांस लेते रहें।
- अब वापस पैरों को पीछे की ओर ले जाएं व हाथों को सीधा करते हुए कमर को जमीन से सटाएं और पैरों को धीरे-धीरे वापस जमीन पर ले आएं।
सावधानी :
जिन्हें गंभीर थायराइड, उच्च रक्तचाप की समस्या, कमर में दर्द, हर्निया,
कमजोरी या फिर गर्दन व कंधे में चोट लगी है, तो उन्हें किसी प्रशिक्षक की
देखरेख में यह आसन करना चाहिए।