सीमेन में स्पर्म काउंट कम होना सीधे से आपके बच्चे पैदा करने की क्षमता को प्रभावित करता है। बीते कुछ सालों में पुरुषों का स्पर्म काउंट लगातार कम होता जा रहा है। स्पर्म काउंट का कम होना सच में एक बड़ी दिक्कत है। एक स्टडी में बताया गया है कि बीते 38 सालों में पुरुषों में स्पर्म काउंट 59% तक कम हुआ है। स्पर्म काउंट कम होने पर इसका असर पुरुषों की फर्टिलिटी पर भी पड़ता है जिससे अधिकतर कपल्स को बच्चे पैदा करने में कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। इसे देखते हुए भारत और जर्मनी के फर्टिलिटी एक्सपर्ट की एक टीम ने स्पर्म क्वॉलिटी और इजैक्युलेशन(स्पर्म का निकलना) के बीच के संबंध के बारे में जानने की कोशिश की है।
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज, MAHE-मणिपाल और जर्मनी की यूनिवर्सिटी ऑफ म्यूएनस्टर के रिसर्चर्स ने इजैक्युलेशन की लेंथ और इससे स्पर्म पर पड़ने वाले इसके असर के बीच के संबंध के बारे में जाने की कोशिश की है।
एक जुलाई को 'एंड्रोलॉजी' में इस स्टडी की सूचना दी गई थी, जो अमेरिकन सोसाइटी ऑफ एंड्रोलॉजी और यूरोपियन एकेडमी ऑफ एंड्रोलॉजी का ऑफिशियल जर्नल है।
ऐसा माना जाता है कि लंबे समय तक इजैक्युलेशन से दूर रहने से सीमन में स्पर्म कोशिकाओं की संख्या बढ़ जाती है लेकिन फर्टिलिटी एक्सपर्ट प्रेग्नेंसी प्लान कर रहे लोगों को दो इजैक्युलेशन के बीच 2 से 3 दिन का आदर्श अंतराल रखने की सलाह देते हैं। हालांकि, एक्सपर्ट्स का कहना है कि इंटरकोर्स के बीच बहुत कम गैप रखने से भी प्रेग्नेंसी की संभावना कम हो जाती है।
इस स्टडी के लिए, 10,000 पुरुषों के दो इजैक्युलेशन के बीच के गैप और स्पर्म क्वॉलिटी को आंका गया। इसके नतीजे में पाया गया कि अगर आप प्रेग्नेंसी के लिए ट्राई कर रहे हैं तो स्पर्म की अच्छी क्वॉलिटी के लिए औसत गुणवत्ता के स्पर्म वाले पुरुषों को दो इजैक्युलेशन के बीच दो दिनों का गैप रखना बेहद जरुरी है वहीं दूसरी तरफ, जिन लोगों की स्पर्म क्वॉलिटी काफी ज्यादा खराब है, उन्हें इसे बेहतर बनाने के लिए दो इजैक्युलेशन के बीच कम से कम 6 और ज्यादा से ज्यादा 15 दिनों का गैप रखना बेहद जरुरी है।
कस्तूरबा मेडिकल कॉलेज के क्लिनिकल एम्ब्रियोलॉजी विभाग के एचओडी और प्रोफेसर डॉ सतीश अडिगा ने जर्मनी के सेंटर ऑफ रिप्रोडक्टिव मेडिसिन एंड एंड्रोलॉजी, म्यूएनस्टर के सहयोग से मणिपाल में इस स्टडी के दौरान टीम को लीड किया।
मणिपाल एकेडमी ऑफ हायर एजुकेशन के वाइस चांसलर लेफ्टिनेंट जनरल (डॉ) वेंकटेश ने कहा कि इनफर्टिलिटी को अक्सर महिलाओं के मुद्दे के रूप में देखा जाता है। लेकिन भारत में यह पाया गया है कि इनफर्टिलिटी के लिए लगभग 50% मेल फैक्टर ही कारण होता है। ज्यादातर मामलों में इनफर्टिलिटी स्पर्म की खराब क्वॉलिटी के कारण होती है। वेंकटेश ने कहा कि हमारी इस नई स्टडी से उन लोगों को मदद मिलेगी जो बच्चे पैदा करने में बार-बार विफल हो रहे हैं।
इस स्टडी पर कमेंट करते हुए के एमसी मणिपाल के डीन डॉ शरथ राव ने कहा कि पुरुषों में फर्टिलिटी की समस्या पर आज भी खुलकर बात नहीं होती है और इसे अनदेखा किया जाता है। यही वजह है कि कई बार इसका ना तो पता चलता है और ना ही इलाज कराया जाता है। उन्होंने कहा कि इस रिसर्च के जो नतीजे सामने आए हैं, उससे पुरुषों में इनफर्टिलिटी की समस्या से किस तरह निपटना है, इसके बारे में पता लगाने में मदद मिलेगी।
स्टडी के बारे में डॉ अडिगा ने कहा कि हमारे ऑब्जर्वेशन से पता चला है कि इजैक्युलेशन लेंथ स्पर्म की फर्टिलिटी क्षमता को तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। एक सफल प्रेग्नेंसी के लिए सीमन में मौजूद स्पर्म काउंट काफी नहीं होता। ऐसा इसलिए क्योंकि एक बार जब सीमन वजाइना में जाता है, तो स्पर्म को एग की ओर तैरना पड़ता है जिसके लिए स्पर्म की गतिशीलता, संरचना और डीएनए की गुणवत्ता भी काफी जरूरी होती है।
स्पर्म क्वालिटी को कम करने वाली अनहेल्दी आदतें- अगर आप फैशन स्टाइल के चलते अधिक टाइट जींस, पैंट पहनते है तो स्पर्म काउंट में कमी आती है। टाइट पैंट पहनने से अंडकोष शरीर के अधिक करीब रहते हैं, जिससे वे गर्म हो जाते हैं। ये शुक्राणुओं के लिए अच्छा नहीं है।
- आप बहुत ज्यादा कार्बोनेटेड ड्रिंक का सेवन करते हैं, तो स्पर्म क्वालिटी खराब हो सकती है। शुक्राणुओं की संख्या में भी गिरावट आ सकती है। एक कैन से अधिक कार्बोनेटेड ड्रिंक पीने से स्पर्म मोबिलिटी प्रभावित होती है। साथ ही बियर भी अधिक पीने से स्पर्म अनहेल्दी और कमजोर हो सकते हैं।
- यदि आप फोन को लगातार अपनी पैंट में रखते है तो इससे भी स्पर्म की गुणवत्ता प्रभावित हो सकती है। फोन के रेडिएशन से शुक्राणुओं को नुकसान पहुंच सकता है। एक स्टडी की मानें तो फोन को जेब में रखने से शुक्राणुओं की संख्या 9% तक कम हो सकती है।
- अपनी गोद में रखकर देर तक अगर आप लैपटॉप पर काम करते है तो यह आदत आज ही बदल लें। ऐसा करने से आपके पिता बनने की संभावना काफी हद तक कम हो सकती है। अंडकोष (Testicles) को ठंडा रखने की जरूरत होती है और देर तक लैपटॉप को पैरों या गोद में रखने से यह भाग गर्म हो जाता है, जिससे शुक्राणु की संख्या घट सकती है।
- यदि आप प्रतिदिन 6 घंटे से भी कम नींद लेते हैं, इससे भी शुक्राणुओं की संख्या, गुणवत्ता प्रभावित होती है। शरीर, दिमाग को जिस तरह आराम की जरूरत होती है, ठीक उसी तरह स्पर्म्स को भी आराम करने की जरूरत होती है, ताकि ये सही तरीके से एक्टिव होकर अपना कार्य कर सकें। प्रत्येक दिन 7 से 8 घंटे की नींद जरूर लें ताकि स्पर्म एक्टिव रहें।
- एक हेल्दी सेक्स लाइफ होने से भी स्पर्म काउंट अच्छा होता है। आप जितना ज्यादा सेक्स करेंगे, उतना ज्यादा आप स्पर्म प्रोड्यूस करेंगे।
- अगर आप में फिटनेस का जुनून है तो संभव है कि आप अपने लुक को मेंटेन रखने के लिए कुछ सप्लीमेंट्स भी लेते हों। कई सारे सप्लीमेंट्स आपके टेस्टोस्टेरोन लेवल को खराब कर सकता है जिसका सीधा असर आपके स्पर्म काउंट पर पड़ेगा।
- आप जितना अधिक विटामिन सी का सेवन करेंगे, आपके शरीर में उतना ही स्पर्म बनेगा। विटामिन सी के अलावा भी सही न्यूट्रिशन वाले सब्जियां और फल खाने से स्पर्म काउंट हेल्दी होता है।
- स्मोक करने से स्पर्म काउंट भी कम हो जाता है। सिगरेट पीने से शरीर में कार्बन मोनोऑक्साइड बढ़ता है जो स्पर्म को डैमेज करता है।
- ज्यादा शराब पीने से ऐसे टॉक्सिन बनने लगते हैं जिसका खराब असर बॉडी पर पड़ता है। ये न केवल स्पर्म काउंट को कम करता है बल्कि स्पर्म को नुकसान भी पहुंचाता है।