कोरोना को लेकर हुई नई शोध, आंकड़े जान सहम उठेंगे आप

वर्तमान समय में कोरोना के प्रकोप के चलते सभी में डर बैठा हुआ हैं. कोरोना का बढ़ता संक्रमण चिंता का विषय बनता जा रहा हैं। दुनियाभर में इसका आंकड़ा 1.25 करोड़ के करीब पहुंच चुका हैं। भारत के आंकड़े बढ़ते हुए दुनिया में अमेरिका और ब्राजील के बाद तीसरे नंबर पर पहुंच चुके हैं। ऐसे में अगर कोरोना वायरस की वैक्सीन नहीं बनती हैं तो भयावह स्थिति पैदा हो सकती हैं। हाल ही में मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी द्वारा एक शोध कि गई जिसके अनुसार इस महामारी का सबसे बुरा दौर अभी आना बाकी है। इस शोध में ये दावा किया जा रहा है कि अगर कोरोना की वैक्सीन या कोई दवाई नहीं बनती है तो भविष्य में भारत में कोरोना वायरस के मामलों में भारी उछाल देखने को मिल सकता है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोध में इस बात का दावा किया जा रहा है कि भारत में 2021 के अंत तक रोजाना 2.87 लाख मामले सामने आएंगे और भारत दुनिया में कोरोना वायरस से प्रभावित देशों की सूची में पहले पायदान पर पहुंच जाएगा। एक अन्य शोध के अनुसार प्रतिदिन अमेरिका में 95,400, दक्षिण अफ्रीका में 20,600, ईरान में 17,000, इंडोनेशिया में 13,200, ब्रिटेन में 4,200, नाइजीरिया में 4,000 नए मामले सामने आएंगे।

एक अध्ययन के अनुसार दुनिया के 84 देशों में 2021 के अंत तक 24.9 करोड़ नए मामले आ सकते हैं। कोरोना वायरस से इन देशों में 17.5 लाख लोगों की मौत हो सकती है। शोधकर्ताओं ने बताया कि अगर वैक्सीन नहीं बनी तो कोरोना से संक्रमित लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होते रहेगी।

शोधकर्ताओं का कहना है कि भविष्य में कोरोना के संक्रमण का यह आंकड़ा टेस्टिंग पर नहीं, बल्कि संक्रमण को कम करने के लिए सरकार और आम आदमी की इच्छाशक्ति पर आधारित है। इस शोध में शोधकर्ताओं ने सोशल डिस्टेंसिंग के महत्व पर जोर देने की बात की है।

मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं ने SEIR (Susceptible, Exposed, Infectious, Recovered) मॉडल की मदद से आंकड़ा जारी किया है। एसईआईआर एक मानक गणितीय मॉडल है, इसका इस्तेमाल महामारी के समय शोधकर्ताओं द्वारा विश्लेषण के लिए किया जाता है। मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी के शोधकर्ताओं द्वारा शोध को तीन कारकों में किया गया है।

पहला- वर्तमान परीक्षण दर और प्रतिक्रिया
दूसरा- अगर एक जुलाई से टेस्टिंग में प्रतिदिन 0.1 प्रतिशत की बढ़ोतरी होती है।
तीसरा- यदि टेस्टिंग में कोई बढ़ोतरी नहीं होती है, कोरोना संक्रमित व्यक्ति से संक्रमण फैलने की संभावना आठ प्रतिशत रहती है।