ओमिक्रॉन जान भले न लेता हो लेकिन अंदरूनी अंगों को पहुंचा रहा नुकसान: रिसर्च में खुलासा

कोरोना (Covid-19) के नई वैरिएंट ओमिक्रॉन की वजह से एक बार फिर संक्रमित मरीजों की संख्या में इजाफा हो रहा हैं। दुनिया में बीते 24 घंटे में 27.72 लाख नए संक्रमितों की पहचान हुई है। 9.55 लाख लोग ठीक हुए हैं और 7,847 लोगों की मौत हुई है। नए संक्रमितों के मामले में अमेरिका 6.72 लाख मरीजों के साथ टॉप पर है, जबकि 3.68 लाख के साथ फ्रांस दूसरे नंबर पर पहुंच गया है। ओमिक्रॉन वैरिएंट को लेकर लोगों के बीच यह गलत धारणा पैदा हो रही है कि यह वैरिएंट ज्यादा घातक नहीं है। इसके संक्रमित लोग 3-4 दिन में ठीक हो रहे हैं। लेकिन एक नई रिसर्च ने इस धारणा को गलत साबित कर दिया है। रिसर्च में बताया गया ओमिक्रॉन (Omicron) जान भले न लेता हो, लेकिन संक्रमित व्यक्ति के अंदरूनी अंगों को भरपूर नुकसान पहुंचा रहा है।

जर्मनी की यूनिवर्सिटी क्लीनिक हैंबर्ग-एपेनड्रॉफ (UKE) के विशेषज्ञों ने यह शोध किया है और यूरोपियन हार्ट जर्नल में प्रकाशित हुआ है। शोध में कहा गया है कि कोरोना वायरस का संक्रमण किसी भी किस्म या स्तर का हो, वह संक्रमित व्यक्ति के शरीर के अंदरूनी हिस्सों में अपने निशान छोड़ जाता है। पूरी दुनिया में तेजी से फैल रहे ओमिक्रॉन पर भी यह बात लागू होती है। भले, इसके संक्रमितों में कोरोना के लक्षण भले ही नजर न आ रहे हो या फिर बहुत मामूली हों।

इस शोध में 45 से 74 साल की उम्र के 443 लोगों को शामिल किया गया। ये सब कोरोना के बेहद मामूली या हल्के लक्षणों के साथ संक्रमित हुए थे। कुछ संक्रमितों में तो कोरोना (Covid-19) के लक्षण दिखे ही नहीं थे। इनमें से 93% मरीजों को अस्पताल में भर्ती करने की नौबत नहीं आई थी।

लेकिन शोध के दौरान जब इन संक्रमितों के अंदरूनी अंगों का अध्ययन किया गया तो चौंकाने वाले नतीजे सामने आए। एक शोधकर्ता ने बताया, 'जब इन लोगों के फेंफड़ों का परीक्षण किया गया तो पता चला कि वे 3% तक सिकुड़ गए हैं। ऐसे ही, दिल के परीक्षण से मालुम हुआ कि उसकी पंपिंग क्षमता 2% तक कम हो गई है। इतना ही नहीं, खून में मार्कर प्रोटीन की मात्रा तो 41% तक अधिक पाई गई। व्यक्ति तनाव में है, इसकी सूचना इसी प्रोटीन की मात्रा के जरिए दिल तक पहुंचती है।'

शोधकर्ताओं के मुताबिक, 'कहानी यहां खत्म नहीं होती। कोरोना से संक्रमित लक्षणहीन या कम लक्षणों वाले मरीजों की किडनी की क्षमता भी 2% तक कम पाई गई। साथ ही, पैरों की नसों में खिंचाव 3 गुना तक अधिक देखा गया। हालांकि मस्तिष्क में इस संक्रमण की वजह से कोई खामी नहीं पाई गई।'

इस शोध को लेकर साइंटिफिक स्टडी सेंटर के निदेशक राफेल ट्वेरेनबोल्ड का कहना है कि यह नतीजे बहुत अहम हैं। खास तौर पर मौजूदा ओमिक्रॉन (Omicron) संक्रमण से बनी परिस्थितियों को देखते हुए।

वहीं, यूकेई (UKE) के हार्ट सेंटर के मेडिकल डायरेक्टर स्टीफन ब्लैंकेनबर्ग कहते है कि इन नतीजों ने हमें इस लायक बनाया है कि हम कोरोना संक्रमितों के शरीर के अंदरूनी हिस्सों में हुए प्रभाव का समय रहते पता लगाकर उसका इलाज कर सकें।