देश-दुनिया में कोरोना को लेकर कई तरह की शोध की जा रही हैं ताकि इसके परिणामों को जानकर संक्रमण पर लगाम लगाई जा सकें। इस संक्रमण को रोकने के लिए मास्क और सफाई पर बहुत ध्यान दिया जा रहा हैं। मुंह से निकलने वाले ड्रापलेट्स कोरोना वायरस को फैलाने का काम करते हैं। लेकिन हाल ही में एक रिसर्च सामने आई हैं जो बड़ी चुनौती बनी हैं। अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में हुई रिसर्च में ये बात सामने आई है कि कोरोना वायरस धूल के कणों से भी शरीर में प्रवेश कर सकता है।
शोधकर्ता विलियम रिस्टेनपार्ट का कहना है कि अभी तक सिर्फ इस तथ्य पर काम किया जा रहा था कि कोरोना वायरस सिर्फ मुंह से निकलने वाले ड्रापलेट्स के जरिए फैलता है। परंतु इस रिपोर्ट के बाद वायरोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञों को नई चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है। आपको बता दें विलियम रिस्टेनपार्ट इस रिसर्च की टीम को लीड कर रहे थे। उनका ये भी कहना है कि यह रिपोर्ट वायरोलॉजिस्ट और महामारी विशेषज्ञों के लिए काफी चौंकाने वाली साबित हो सकती है।
कोरोना वायरस से सुरक्षित रहने के लिए अभी तक इस्तेमाल किए टिशू, दरवाजे के हैंडल, इत्यादि को न छूने की सलाह दी जा रही थी। परंतु इस शोध के अनुसार अब कोरोना वायरस का दायरा काफी बढ़ गया है। इस शोध के अनुसार कई अन्य रास्तों से भी संक्रमण का खतरा हो सकता है। हालाकि यह शोध इस बात की पुष्टि नहीं करता है कि सभी इन्फ्लूएंजा वायरसों में संक्रमण ऐसे ही फैलें।
शोधकर्ताओं ने एक कागज पर वायरस को छोड़ा, उसके बाद उस कागज को सूखने के लिए छोड़ दिया। कागज के सूखने पर उसे छोटे- छोटे पार्टिकल्स में बदलने वाली मशीन में डाल दिया गया। इसके बाद मशीन से 900 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से इन पार्टिकल्स को छोड़ा गया। शोधकर्ताओं ने देखा कि सांस के जरिए ये पार्टिकल्स किसी जीव के अंदर जाते हैं तो वो जीव वायरस से संक्रमित हो सकता है। आपको बता दें ये प्रयोग सुअरों पर किया गया था।
हवा में संक्रमण की बात को WHO ने पिछले महीने ही स्वीकार किया है। इससे पहले तक WHO हवा में संक्रमण की बात से साफ इंकार कर रहा था। एक महीने पहले तक WHO का कहना था कि कोरोनावायरस हवा से नहीं बल्कि एयरोसोल और 5 माइक्रोन से छोटी ड्रापलेट्स के जरिए फैल सकता है।
32 देशों के 239 वैज्ञानिकों ने ये दावा किया कि कोरोना वायरस हवा से भी फैल सकता है। इन वैज्ञानिकों ने WHO को जब पत्र लिखकर इस बात पर गौर करने को कहा, तब WHO ने माना कि सार्वजनिक जगहों में हवा के जरिए कोरोना वायरस फैल सकता है।