कोरोना महामारी ने लोगों की नींद पर बुरा असर डाला है। दुनियाभर में कई लोग कोरोनासोम्निया (कोरोना+इंसोम्निया) नामक बीमारी की चपेट में आ गए हैं। अमेरिकन एकेडेमी ऑफ स्लीप मेडिसिन के 2020 के सर्वे में खुलासा किया है कि अमेरिका में 20% लोग नींद न आने की समस्या से जूझ रहे थे लेकिन पिछले एक साल में तनाव की वजह से यह बढ़कर 60% हो गया है। इनमें से आधे लोगों ने माना कि उनकी नींद की गुणवत्ता काफी बिगड़ गई है। फिलहाल संक्रमण भले ही कम हो रहा हो , लेकिन 41 % वयस्कों ने कहा, उन्हें कोरोनाकाल की शुरुआत के मुकाबले इन दिनों ज्यादा घबराहट रहती है ।
ऐसे में अगर आप भी इस बीमारी से परेशान है तो नीचे दिए गए इन उपायों की मदद से इससे निजात पा सकते है...
- कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी में न्यूरोसाइंस के प्रोफेसर मैथ्यू वॉकर के मुताबिक बिस्तर पर लेटने के बाद 25 मिनट के अंदर अगर आपको नींद नहीं आती है तो उठ जाएं। थोड़ा स्ट्रेच करें। सोफे पर बैठकर ध्यान लगाएं। कम रोशनी में किताब पढ़ें। डीप ब्रीदिंग एक्सरसाइज करें। खुशनुमा पॉडकॉस्ट सुन सकते हैं। कुर्सी पर बैठकर आर्ट बनाएं। नींद आने लगे तो वापस बिस्तर पर जाएं। पर ध्यान रखें जब तक थकान न लगे, तब तक बिस्तर पर न जाएं।
- क्लीनिकल सायकोलॉजिस्ट माइकल ब्रूस कहते हैं कि रोज सुबह 15 मिनट धूप जरूर लें। इससे मेलाटोनिन रिलीज रुक जाता है। इससे सुबह ब्रेन फॉग की स्थिति नहीं बनती। इसके अलावा रोज एक्सरसाइज करें। इससे गंभीर अनिद्रा से ग्रस्त लोगों की नींद में 20 मिनट का इजाफा देखा गया है। इसके अलावा रोजाना उठने का समय एक ही रखे। भले ही नींद कम हुई हो। छुट्टी के दिन भी ज्यादा न सोएं। धीरे-धीरे सोने का समय बेहतर हो जाएगा।
- पेंसिल्वेनिया यूनिवर्सिटी में स्लीप मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ इलीन रोसेन कहते हैं कि सोने से एक-दो घंटे पहले खाली कागज पर उन बातों को लिख लें, जो आपको परेशान करती हैं। जैसे कोई काम करना है, किसी से फोन पर बात करना या बिल भरना है आदि। यह सब लिखकर थोड़ी देर बाद उस कागज को मोड़कर फेंक दें। इसे विचारों का निर्वहन कहते हैं।
- ड्रॉ. ब्रूस कहते हैं कि बिस्तर को वर्कस्टेशन न बनाएं। इससे दिमाग सतर्क और तनावग्रस्त रह सकता है। घर में दूसरे रूम में सोने का विकल्प है तो भी फायदा मिल सकता है। दिन में जो चीजें नहीं देख पाए, उसके लिए स्क्रीन में आंखें गड़ाकर रात खराब न करें। दोपहर 2 बजे के बाद कॉफी-चाय न पीएं। इससे शरीर को मेटाबॉलिज्म के लिए पर्याप्त वक्त मिल जाता है।