इन आहार का सेवन बढ़ाता हैं कैंसर का खतरा, जितना हो सके बनाए दूरी

स्वस्थ शरीर के लिए आहार का स्वस्थ होना जरूरी हैं अन्यथा कई बीमारियां आपको अपनी चपेट में ले सकती हैं। कैंसर जैसी घातक बीमारी का भी आपके आहार से गहरा नाता हैं। कैंसर के मूल कारणों का अभी तक पता नहीं लग पाया हैं लेकिन इसे बढ़ाने वाले कई कारक पता चल चुके हैं। इन्हीं कारकों में से एक हैं आपके अनहेल्दी फूड्स। कुछ बहुत से फेमस और कम्फर्टेबल आहार ऐसे हैं जिन्हें खाने के आप आदी हो चुके हैं जो कि कैंसर के खतरे को बढ़ाने का काम करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन्हीं आहार के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका सेवन कम करना या उनसे पूरी तरह से बचना सबसे अच्छा रहता है। आइये जानते हैं इसके बारे में...

संसाधित मांस

किसी भी एनिमल बेस्ड प्रोडक्ट को लेना जो स्मोकिंग और साल्टिंग द्वारा प्रिजर्व यानी संरक्षित किया गया है, वो आपकी सेहत के लिए अस्वस्थ्य है। ये फूड आपका वजन बढ़ने से लेकर कैंसर तक की स्वास्थ्य संबंधी चिंताओं को जन्म दे सकता है। डॉ। ने बताया कि प्रोसेस्ड मीट से एक कंपाउंड यानी यौगिक उत्पन्न होता है जो कार्सिनोजेन्स हो सकता है। यह एक व्यक्ति को कोलोरेक्टल और पेट के कैंसर के विकास के जोखिम में डाल सकता है। प्रोसेस्ड मीट जैसे हॉट डॉग, सलामी और सॉसेज के बजाय घर पर ही मीट पकाएं।

अधिक पका हुआ भोजन

अधिक खाना पकाने, विशेष रूप से मीट, कार्सिनोजेन्स का उत्पादन कर सकते हैं। 2020 के एक लेख के अनुसार, हाई हीट के साथ मीट पकाने से कार्सिनोजेनिक पीएएच और हेट्रोसायक्लिक एमाइन (HCA) बनते हैं। ये पदार्थ आपकी कोशिकाओं के डीएनए को बदलकर कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं। खाद्य एवं औषधि प्रशासन यह भी बताता है कि आलू जैसे स्टार्चयुक्त खाद्य पदार्थों को अधिक मात्रा में पकाने से एक्रिलामाइड का निर्माण बढ़ जाता है। हाई हीट में खाना पकाने से कार्सिनोजेन्स के अपने जोखिम को कम करने के लिए, खाना पकाने के स्वास्थ्यप्रद तरीकों का उपयोग करने का प्रयास करें, जैसे कि अवैध शिकार, प्रेशर कुकिंग, बेकिंग या कम तापमान पर भूनना, क्रॉक पॉट या धीमी कुकर में धीमी गति से खाना बनाना।

तला हुआ खाना

तले हुए खाद्य पदाथों का अत्यधिक सेवन से शरीर में कैंसर कोशिकाओं के विकार का कारण बन सकते हैं। जब आलू या मीट जैसे खाद्य पदार्थों को उच्च तापमान पर तला जाता है, तो एक्रिलामाइड नामक यौगिक बनता है। शोध के हवाले से डॉक्टर पर्व कहते हैं कि इस यौगिक में कार्सिनोजेनिक गुण होते हैं और यहां तक कि डीएनए को भी नुकसान पहुंचाते हैं। इसके अलावा, तले हुए खाद्य पदार्थ शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन को भी बढ़ा सकते हैं जो कैंसर कोशिकाओं के विकास से जुड़े होते हैं। खाद्य पदार्थों को तलने के बजाय कुकिंग के दूसरे तरीकों को खोजें।

माइक्रोवेव पॉपकॉर्न

पॉपकॉर्न जो बच्चों से लेकर बड़ों तक सभी को पसंद होता है। लेकिन क्या आप जानती हैं कि माइक्रोवेव में 3 मिनट में तैयार होने वाले रेडीमेडी पॉपकॉर्न भी हेल्थ के लिए नुकसानदेह हैं। जी हां परेशानी दरअसल, दिक्कत पॉपकॉर्न से नहीं बल्कि उस पैकेट से है जिसमें पॉपकॉर्न रखा जाता है ताकि वे एक दूसरे से चिपके नहीं। जब आप उस पॉपकॉर्न वाले बैग को माइक्रोवेव में डालती हैं तो पैकेट में मौजूद केमिकल्स पॉपकॉर्न तक पहुंच जाते हैं, जो कैंसर बनाने के लिए जाना जाता है। इसके अलावा इसमें कॉर्न कर्नेल से लेकर बटर और ऑयल का इस्तेमाल किया जाता है, इसमें मौजूद सारे घटक कैंसर को प्रभावित करने के लिए काफी है। लेकिन अगर आपको पॉपकॉर्न खाने हैं तो किसी बर्तन में पकाए। जो आपके लिए हेल्दी और टेस्टी होगा।

रिफाइंड प्रोडक्ट्स

मैदा, चीनी या तेल सभी में कैंसर कोशिकाओं के विकास के जोखिम को बढ़ाने की क्षमता है। अध्ययनों से पता चलता है कि अत्यधिक रिफाइंड चीनी और कार्ब्स शरीर में ऑक्सीडेटिव तनाव और सूजन के जोखिम को बढ़ा सकते हैं, जो शरीर में तमाम तरह के कैंसर को रास्ता दे सकते हैं। जिन लोगों के आहार में रिफाइंड प्रोडक्ट्स की मात्रा अधिक होती है, उनमें डिम्बग्रंथि, स्तन और एंडोमेट्रियल (गर्भाशय) कैंसर का अधिक खतरा होता है। इसलिए आपको इस तरह के फूड का बहुत थोड़ी मात्रा में सेवन करना चाहिए। चीनी के बजाय गुड़ या शहद लें, रिफाइंड कार्ब्स को आप साबुत अनाज से रिप्लेस कर सकते हैं और रिफाइंड तेल से सरसों के तेल या घी का सेवन कर सकते हैं।

कार्बोनेटेड ड्रिंक्स

हालांकि इससे पूरी तरह से बचा नहीं जा सकता है। ये कार्बोनेटेड ड्रिंक्स हाई फ्रक्टोज कॉर्न सिरप, केमिकल और डाई से भरपूर होत हैं। इसमें मौजूद आर्टिफिशल स्वीटनर की वजह से सिर्फ कैंसर ही नहीं बल्कि स्ट्रोक और मोटापे का खतरा भी बढ़ जाता है।

शराब

अल्कोहल का अत्यधिक सेवन शरीर में मुक्त कणों की संख्या को बढ़ा सकता है, जो बदले में सूजन का कारण बन सकता है। शराब इम्यून फंक्शन को भी इफेक्ट करती है, जिससे आपके शरीर के लिए पूर्व कैंसर और कैंसर कोशिकाओं का पता लगाना और उन्हें टारगेट करना बहुत मुश्किल हो जाता है। 2015 के एक अध्ययन के अनुसार, महिलाओं में अल्कोहल शरीर में एस्ट्रोजन के लेवल को बढ़ाता है। यह एस्ट्रोजन रिसेप्टर पॉजिटिव ब्रेस्ट कैंसर के लिए एक हाई जोखिम से जुड़ा हुआ है।

डिब्बाबंद और पैक्ड फूड

डिब्बाबंद या पैक्ड खाद्य पदार्थ खाने का ट्रेंड भारत में धीरे-धीरे और लगातार बढ़ रहा है। अब आप मार्केट के गलियारे में हर चीज को पैक्ड प्रोडक्ट्स में आसानी से पा सकते हैं जिन्हें पकाना भी बहुत आसान है। झटपट पोहा, नूडल, इडली, उपमा, पास्ता पैक्ड फूड्स की कई वैरायटी हैं, जिनमें से आप किसी को भी चुन सकते हैं। सच कहें तो ये खाना पकाने की प्रक्रिया को परेशानी मुक्त बना सकता है, लेकिन यह कैंसर के विकास के जोखिम को भी बढ़ा सकता है। ज्यादातर रेडी-टू-कुक फूड पैक में बिस्फेनॉल ए (बीपीए) नाम का केमिकल होता है। भोजन में घुलने पर यह यौगिक हार्मोनल असंतुलन, डीएनए में परिवर्तन और कैंसर का कारण बन सकता है।