कोरोना का बढ़ता संक्रमण भारत ही नहीं बल्कि दुनियाभर के लिए चिंता का विषय बना हुआ हैं। दुनियाभर में यह आंकड़ा दो करोड़ 72 लाख से भी अधिक हो चुका हैं और भारत में 42 लाख को पार कर चुका हैं। इससे निजात पाने के लिए कई देशों द्वारा वैक्सीन का निर्माण किया जा रहा हैं और विभिन्न ट्रायल में वैक्सीन पर परिक्षण किए जा रहे हैं। ऐसे में चीन की वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल भी कई देशों में जारी हैं। चीन की सिनोफार्म कंपनी द्वारा तैयार वैक्सीन के तीसरे चरण का सबसे बड़ा ट्रेल दुबई में चल रहा हैं जिसमें 31 गाजर लोगों को शामिल किया गया हैं।
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप (सीएनबीजी) और सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड का कहना है कि चार और देशों ने अपने यहां चीन में बने कोरोना वैक्सीन के अंतिम चरण के क्लीनिकल ट्रायल को मंजूरी दे दी है। इसमें सर्बिया और पाकिस्तान भी शामिल हैं। वहीं दो अन्य कंपनियों ने ट्रायल से जुड़े कुछ और रिपोर्ट की मांग की है।
रिपोर्ट्स के मुताबिक, सर्बिया में चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप द्वारा विकसित की हुई दो वैक्सीन का ट्रायल टेस्ट होगा। ये दोनों वैक्सीन चीन के वुहान और बीजिंग स्थित बायोटेक ग्रुप की यूनिट में तैयार किए गए हैं। पाकिस्तान में बीजिंग यूनिट के वैक्सीन का ट्रायल होगा। बताया जा रहा है कि चाइना नेशनल बायोटेक ग्रुप के तीसरे चरण के ट्रायल में 10 देशों के करीब 50 हजार लोगों के शामिल होने की संभावना है। हालांकि संयुक्त अरब अमीरात, पेरू, बहरीन, जॉर्डन, मोरक्को और अर्जेंटीना में पहले से ही वैक्सीन के ट्रायल शुरू हो चुके हैं।
सिनोफार्म कंपनी के मुताबिक, वैक्सीन के पहले और दूसरे चरण के ट्रायल में कोई भी साइड-इफेक्ट नजर नहीं आया। हाल ही में एक इंटरव्यू में कंपनी के चेयरमैन लिउ जिंगझेन ने बताया था कि उन्होंने खुद भी इस वैक्सीन के दो डोज लिए हैं और वो पूरी तरह स्वस्थ और सुरक्षित हैं। उनपर इस वैक्सीन का कोई भी साइड-इफेक्ट नहीं हुआ है। माना जा रहा है कि यह वैक्सीन इसी साल दिसंबर तक बाजार में आ जाएगी।
हालांकि वैक्सीन बनाने वाली कंपनियां चाहे जो कह लें, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन की इससे अलग राय है। विश्व स्वास्थ्य संगठन को उम्मीद नहीं है कि अगले साल यानी साल 2021 तक भी कोरोना की वैक्सीन आ पाएगी। संगठन की प्रवक्ता मार्गरेट हैरिस का कहना है कि अभी तो ट्रायल ही चल रहे हैं और फिलहाल इस बारे में कुछ कहा नहीं जा सकता कि वैक्सीन पूरी तरह प्रभावी और सुरक्षित होगी, क्योंकि किसी भी वैक्सीन ने अब तक 50 फीसदी भी प्रभावी होने के संकेत नहीं दिए हैं।