अब चीन कर रहा कोरोना वैक्सीन पर बड़ी कामयाबी का दावा, ठीक हो रहे मरीज

दुनियाभर में कोरोना वैक्सीन को लेकर शोध जारी हैं और कई देश ट्रायल के विभिन्न चरणों से गुजर रहे है। ऐसे में अभी ऑक्सफ़ोर्ड यूनिवर्सिटी के मानव ट्रायल में सकारात्मक परिणाम देखने को मिले थे और अब चीन द्वारा कोरोना वैक्सीन पर बड़ी कामयाबी का दावा किया जा रहा हैं। चीन में बनी वैक्सीन से भी मरीजों के ठीक होने की बात कही जा रही हैं। चीन की वैक्सीन को मानव परीक्षण के दूसरे चरण में सफलता मिली है। इस नतीजे को द लैंसेट मैगजीन में प्रकाशित किया गया है। वैज्ञानिकों का दावा है कि यह इंसानों के लिए सुरक्षित है। यह शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) को बढ़ाने में मददगार साबित हो रहा है। आइए जानते हैं इस वैक्सीन के बारे में।

चीन की इस वैक्सीन का नाम Ad5 है। द लैंसेट की रिपोर्ट के मुताबिक, इसका ट्रायल उसी वुहान शहर में किया गया, जहां से कोरोना वायरस दुनियाभर में फैला था। इस वैक्सीन के असर की जांच सभी उम्र के लोगों पर की गई है और जांच में यह देखने को मिला है कि यह वैक्सीन हर उम्र के कोरोना मरीजों के लिए फायदेमंद है।

बीजिंग इंस्टीट्यूट ऑफ बायोटेक्नोलॉजी की प्रोफेसर वेई चेन के मुताबिक, कोरोना वायरस से सबसे ज्यादा खतरा बुजुर्गों को ही है, क्योंकि उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है या फिर वो पहले से ही किसी न किसी बीमारी का शिकार होते हैं। ऐसे में इस वैक्सीन के दूसरे चरण के नतीजे बेहतर देखने को मिले हैं। इस वैक्सीन की मदद से कई बुजुर्ग ठीक हो गए और साथ ही उनके शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता में भी इजाफा देखने को मिला है।

चीन की एक वेबसाइट के मुताबिक, इस वैक्सीन का पहले चरण के मुकाबले दूसरे चरण में चार गुना से भी ज्यादा लोगों पर परीक्षण किया गया है। पहले चरण में जहां 108 स्वस्थ लोगों पर इसका ट्रायल किया गया था, वही दूसरे चरण में कुल 508 लोगों पर इसका परीक्षण किया गया। चीन के जियांशु प्रोविंशियल सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के प्रोफेसर फेंगकाई झू के मुताबिक, परीक्षण के लिए 18 से लेकर 55 साल से भी ज्यादा उम्र तक के लोगों को शामिल किया गया था।
उधर, कोरोना की वैक्सीन बनाने में ब्रिटेन को भी बड़ी कामयाबी मिली है। यहां की ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी द्वारा तैयार की गई कोरोना वैक्सीन के मानव परीक्षण के सकारात्मक परिणाम सामने आए हैं। यह इंसानों के शरीर के लिए सुरक्षित बताया जा रहा है। दावा किया जा रहा है कि वैज्ञानिकों ने मानव परीक्षण के दौरान यह पाया कि इस वैक्सीन से लोगों में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए रोग प्रतिरोधक क्षमता (इम्यूनिटी) विकसित हुई है। इस वैक्सीन को ChAdOx1 nCoV-19 नाम दिया गया है।

रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की इस वैक्सीन के मानव परीक्षण में 1077 लोगों को शामिल किया गया था। इनमें जिन लोगों को भी वैक्सीन की खुराक दी गई थी, उनके शरीर में कोरोना वायरस से लड़ने वाले श्वेत रक्त कण और एंटीबॉडी विकसित होने के सबूत मिले हैं। अब बड़े स्तर पर इस वैक्सीन के मानव परीक्षण की तैयारी की जा रही है। बीबीसी की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ब्रिटेन की सरकार ने तो पहले ही इस वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक तैयार करने का ऑर्डर दे दिया है।

चीन और ब्रिटेन के अलावा अमेरिका में भी 27 जुलाई से एक बड़ा मानव परीक्षण शुरू होने वाला है, जिसमें करीब 30 हजार लोगों को वैक्सीन की खुराक देने का लक्ष्य रखा गया है। इस परीक्षण से यह पता किया जाएगा कि क्या ये वैक्सीन वाकई में कोरोना वायरस से इंसानी शरीर को बचा सकती है। इस वैक्सीन को नेशनल इंस्टिट्यूट्स ऑफ हेल्थ और मोडेरना इंक में डॉ। फाउची के सहकर्मियों ने विकसित किया है।

रूस ने भी कोरोना की वैक्सीन बना लेने का दावा किया है। इंस्टिट्यूट फॉर ट्रांसलेशनल मेडिसिन एंड बायोटेक्नोलॉजी के डायरेक्टर वादिम तरासोव के मुताबिक, दुनिया की इस पहली कोरोना वैक्सीन का क्लीनिकल ट्रायल सफलतापूर्वक पूरा कर लिया गया है। दावा किया जा रहा है कि अगर सबकुछ ठीक रहा तो सितंबर तक यह वैक्सीन बाजार में उपलब्ध हो जाएगी।