मातृ तृप्ति का पूर्ण अहसास है स्तनपान, बच्चों के लिए प्रकृति की तरफ से है अद्भुत उपहार

पहली बार जब औरत गर्भवती होती है तो उसमें कई बड़े शारीरिक बदलाव आना शुरू हो जाते हैं। शरीर के साथ-साथ उसमें भावनात्मक बदलाव भी आते हैं जो उसकी आने वाली जिन्दगी का सुखद अहसास कराते हैं। माँ बनने के बाद जब औरत पहली अपनी औलाद को छाती से लगाती है उस वक्त उसे जो खुशी और तृप्ति मिलती है उसका अहसास सिर्फ वो ही कर पाती है और कोई नहीं। जब पहली बार माँ अपने बच्चे को स्तनपान कराती है उस क्षण वह अपनी बंद आँखों में ईश्वर को देखती है और चेहरे पर उभरे उसके भाव मातृ तृप्ति का अहसास कराते हैं। स्तनपान माँ और बच्चे के लिए प्रकृति की ओर एक अद्भुत उपहार है।

स्तनपान स्तनपान कराने वाली मां और बच्चे के लिए एक अनूठा भावनात्मक अनुभव प्रदान करता है। स्तनपान एक माता-पिता का व्यवहार है जो केवल माँ ही अपने बच्चे के लिए कर सकती है, जिससे एक अद्वितीय और शक्तिशाली शारीरिक और भावनात्मक संबंध बनता है। आपका साथी, बच्चे के भाई-बहन और अन्य रिश्तेदार परिवार के नए सदस्य का इतने प्यार से स्वागत करने की सराहना कर सकते हैं।

बहुत सी माताएँ अपने बच्चे के साथ दूध पिलाने के दौरान अनुभव की जाने वाली शारीरिक और भावनात्मक सहभागिता से तृप्ति और आनंद का अनुभव करती हैं। इन भावनाओं को हार्मोन की रिहाई से बढ़ाया जाता है, जैसे—

प्रोलैक्टिन— एक शांतिपूर्ण, पोषण देने वाली अनुभूति पैदा करता है जो आपको आराम करने और अपने बच्चे पर ध्यान केंद्रित करने की अनुमति देता है।

ऑक्सीटोसिन— दोनों के बीच प्यार और लगाव की मजबूत भावना को बढ़ावा देता है।

स्तनपान भावनात्मक संतुष्टि से परे माताओं के लिए स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। स्तनपान कराने वाली माताएं बच्चे के जन्म से अधिक जल्दी और आसानी से ठीक हो जाती हैं। स्तनपान के दौरान निकलने वाला हार्मोन ऑक्सीटोसिन गर्भाशय को उसके नियमित आकार में और अधिक तेजी से वापस करने का काम करता है और प्रसवोत्तर रक्तस्राव को कम कर सकता है।

अध्ययनों से पता चलता है कि जिन महिलाओं ने स्तनपान का अनुभव किया है, उनके जीवन में बाद में स्तन और डिम्बग्रंथि के कैंसर की दर कम हो गई है। कुछ अध्ययनों में पाया गया है कि स्तनपान से टाइप 2 मधुमेह, संधिशोथ और हृदय रोग के विकास के जोखिम को कम किया जा सकता है, जिसमें उच्च रक्तचाप और उच्च कोलेस्ट्रॉल शामिल हैं।

विशेष स्तनपान मां के मासिक धर्म की वापसी में देरी करता है, जो गर्भधारण के बीच के समय को बढ़ाने में मदद कर सकता है। (यदि मां का मासिक धर्म वापस नहीं आया है, बच्चा दिन-रात स्तनपान कर रहा है, और बच्चा छह महीने से कम उम्र का है, तो केवल स्तनपान प्राकृतिक रूप से गर्भनिरोधक प्रदान कर सकता है।)

नवजात शिशु को स्वस्थ रखने में मां के दूध का सबसे बड़ा रोल होता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, मां के दूध से शिशु में एंटीबॉडीज बनती हैं, जो बचपन की कई बीमारियों से बचाने में मदद करती हैं। स्तनपान से न केवल शिशु को फायदा होता बल्कि मां को भी इसके कई फायदे मिलते हैं।

मां के दूध से नवजात शिशु को 4 बड़े फायदे

1. इम्यून सिस्टम बेहतर होता है


जन्म के पहले घंटे में ही मां का दूध पीने वाले बच्चों की कम उम्र में मौत का खतरा 20 फीसदी तक कम हो जाता है। बच्चा वैक्सीनेशन के प्रति बेहतर रिस्पॉन्ड करता है।

2. संक्रमण का खतरा घटता है

मां का दूध पीने से बच्चे में डायरिया का रिस्क कम हो जाता है। आंत में संक्रमण का खतरा लगभग 64 फीसदी तक घट जाता है। 6 माह और उससे अधिक समय तक स्तनपान करने वाले बच्चों में खानपान से जुड़ी एलर्जी के मामले कम सामने आते हैं।

3. रेस्पिरेट्री सिस्टम बेहतर काम करता है

मां का दूध पीने वाले बच्चों में सांस से जुड़े संक्रमण का खतरा 72 फीसदी तक कम होता है। निमोनिया, सीजनल सर्दी जुकाम का खतरा कम रहता है।

4. बच्चों का आईक्यू अधिक रहता है

मां के दूध में कोलेस्ट्रॉल और अन्य फैट कम होते हैं। नर्व टिश्यू का बेहतर विकास होता है। ऐसे बच्चों का आईक्यू लेवल 2 से 5 प्वाइंट अधिक होता है। इसी तरह उनका हृदय बेहतर तरीके से काम करता है।

मां में ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 28 फीसदी तक घट जाता है

ब्रेस्टफीडिंग कराने से मां को हृदय रोग का खतरा 10 प्रतिशत तक कम होता है। इसी तरह ब्रेस्ट कैंसर का खतरा 28 प्रतिशत और आर्थराइटिस का रिस्क 50 प्रतिशत तक कम होता है।

माँ का दूध 1 साल तक शिशु को सुरक्षा प्रदान करता है—

जन्म के समय—मां का पहला दूध इम्यूनिटी और आंत को सुरक्षा प्रदान करता है।
6 सप्ताह बाद—एंटीबॉडी मिलती है।
3 माह बाद—कैलोरी में वृद्धि करता है।
6 माह बाद—दूध में ओमेगा एसिड बढ़ जाता है। इससे बच्चे का दिमाग तेजी से विकसित होता है।
12 माह बाद—कैलोरी और ओमेगा एसिड का लेवल ज्यादा होता है, जो मांसपेशियों और दिमाग के विकास में सहायता करते हैं।