उड़द दाल का उपयोग अधिकतर भारतीय घरों में किया जाता है। इसमें ओमेगा-3 और ओमेगा-6 फैटी एसिड होते हैं। इसके अलावा, उड़द की दाल में प्रोटीन, आयरन और कैल्शियम समेत कई अन्य पोषक तत्व भी पाए जाते हैं। वैसे तो उड़द की दाल का सेवन प्रत्येक व्यक्ति कर सकता है। लेकिन गर्भावस्था में महिलाओं के मन में सवाल रहता है कि उड़द दाल खा सकते हैं या नहीं? या फिर प्रेग्नेंसी में उड़द की दाल खाने के क्या फायदे होते हैं? प्रेग्नेंसी के दौरान उड़द की दाल खाना सुरक्षित होता है। लेकिन गर्भावस्था में महिलाओं को इसका सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए।
उड़द की दाल शरीर को कैल्शियम को अवशोषित करने में मदद करती है। इसमें कई मिनरल्स होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाए रखते हैं। गर्भावस्था के दौरान उड़द की दाल का सेवन कम मात्रा में करने से हड्डियां मजबूत बनती हैं।
उड़द की दाल में आयरन की अच्छी मात्रा पाई जाती है, जो एनीमिया को रोकने में काफी मदद करती है। इसे खाने के बाद एक गर्भवती महिला काफी ऊर्जावान महसूस कर सकती है।
उड़द दाल में मौजूद पोषक तत्वउड़द दाल पोषक तत्वों से भरपूर होता है। इसमें प्रोटीन, आयरन, कार्बोहाइड्रेट्स और कैल्शियम अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा, उड़द की दाल फाइबर का भी अच्छा सोर्स होता है। प्रेग्नेंसी में प्रोटीन, एंटीऑक्सीडेंट्स और आयरन प्राप्त करने के लिए आप उड़द की दाल को अपनी डाइट में शामिल कर सकती हैं।
गर्भावस्था में उड़द दाल खाने के फायदे
पाचन को बेहतर बनाएगर्भावस्था में महिलाओं को पाचन से जुड़ी दिक्कतों जैसे अपच, गैस और कब्ज से परेशान रहना पड़ता है। लेकिन अगर आप प्रेग्नेंसी में उड़द की दाल खाएंगे, तो पाचन को बेहतर बनाने में मदद मिल सकती है। दरअसल, उड़द की दाल में फाइबर होता है, जो अच्छे बैक्टीरिया को बनाए रखने में मदद करता है। इससे भोजन को पचाने में मदद मिलती है।
एनीमिया से बचाएगर्भवती महिलाओं को एनीमिया के लक्षणों से भी जूझना पड़ता है। उड़द की दाल खाने से आप एनीमिया से अपना बचाव कर सकते हैं। उड़द की दाल में आयरन होता है, जो एनीमिया को रोकने में मदद करता है। उड़द की दाल खाने से आपको पर्याप्त ऊर्जा भी मिलेगी।
भ्रूण के विकास में मददउड़द की दाल न सिर्फ मां, बल्कि भ्रूण के लिए भी फायदेमंद होता है। गर्भावस्था के दौरान उड़द की दाल खाने से भ्रूण के मस्तिष्क विकास में मदद मिलती है। इसमें मौजूद फैटी एसिड भ्रूण के विकास में मदद करते हैं।
हड्डियां मजबूत बनाएगर्भावस्था के दौरान महिलाओं को जोड़ों के दर्द का भी सामना करना पड़ता है। उड़द की दाल में कैल्शियम की मात्रा अधिक होती है। ऐसे में अगर आप नियमित रूप से उड़द की दाल खाएंगी, तो हड्डियां मजबूत बनी रहेगी। साथ ही, जोड़ों और शरीर के दर्द में भी आराम मिलेगा।
त्वचा और बालों के लिए लाभकारीगर्भावस्था के दौरान महिलाओं को त्वचा और बालों से जुड़ी परेशानियों से भी जूझना पड़ता है। ऐसे में उड़द की दाल खाना फायदेमंद होता है। उड़द की दाल में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो बीमारियों से बचाते हैं। एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा और बालों को भी फ्री रेडिकल्स से बचाते हैं।
कब्ज को रोकेकाली उड़द फाइबर और मैग्नीशियम का बेहतरीन स्त्रोत है और गर्भावस्था के दौरान कब्ज एक आम समस्या है, लेकिन फाइबर से भरपूर उड़द दाल खाने से इस समस्या से बचा जा सकता है। फाइबर न केवल मल त्याग को आसान बनाता है, बल्कि इसमें मौजूद मैग्नीशियम कब्ज को रोकने में कारगार है।
नियंत्रित करता है कोलेस्ट्रॉलडायबिटीज वाली महिलाओं का कोलेस्ट्रॉल लेवल अक्सर गड़बड़ रहता है। अगर इसे नियंत्रण में रखना है, तो गर्भावस्था के दौरान काली उड़द का सेवन जरूर करना चाहिए। इसमें मौजूद फैटी एसिड कोलेस्ट्रॉल लेवल को कम कर सकता है।
उड़द दाल खाने में बरतें सावधानीउड़द की दाल को अच्छी तरह से धोकर उबाल आने तक पकाना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि इसमें ई-कोलाई, लिस्टेरिया या साल्मोनेला जैसे खतरनाक बैक्टीरिया हो सकते हैं, जो दाल को पकाने के बाद लगभग नष्ट हो जाते हैं।
ये बैक्टीरिया खासतौर से गर्भवती महिलाओं के लिए हानिकारक हैं। क्योंकि ये ऐसे रोग पैदा करते हैं, जो नवजात शिशु में समय से पहले प्रसव, गर्भपात, मृत जन्म जैसी समस्या को जन्म देते हैं।
गर्भावस्था के दौरान उड़द की दाल का सेवन अधिक मात्रा में न करें। जितना हो सके, कम मात्रा में खाएं। खासतौर से तब जब आपको एसिडिटी होने का खतरा हो।
अगर आप भी प्रेग्नेंट हैं, तो अपनी डाइट में उड़द की दाल को शामिल कर सकते हैं। लेकिन उड़द की दाल का सेवन सीमित मात्रा में ही करना चाहिए। ज्यादा उड़द की दाल खाने से सेहत को नुकसान भी पहुंच सकता है।