परिवृत्त त्रिकोणासन की विधि और फायदे

आज के समय में हर इंसान किसी ना किसी बीमारी से घिरा हुआ हैं और इसके पीछे का कारण हैं खुद के स्वास्थ्य पर ध्यान ना देना। इसलिए अगर सही समय पर योग की तरफ ध्यान दिया जाए तो निकट भविष्य में रोगों से बचा जा सकता हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं परिवृत्त त्रिकोणासन। तो चलिए जानते हैं परिवृत्त त्रिकोणासन की विधि और फायदे के बारे में।

* परिवृत्त त्रिकोणासन करने की विधि

ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और 3 से 4 फीट पैर खोल लें। अपने बायें पैर को 45 से 60 दर्जे अंदर को मोड़ें, और दाहिने पैर को 90 दर्जे बहार को मोड़ें। बाईं एड़ी के साथ दाहिनी एड़ी संरेखित करें। धीरे से अपने धड़ को दाहिनी ओर 90 दर्जे तक मोड़ें। ऐसा करने के बाद धड़ को आगे की तरफ झुकाएं। ध्यान रहे की आप कूल्हे के जोड़ों से झुकें ना कि पीठ के जोड़ों से। अब श्वास अन्दर भरते हुए बाएं हाथ को सामने से लेते हुए दाए पंजे की बाहरी तरफ भूमि पर टिका दें। अगर आपके लिए यह संभव ना हो तो पंजे को एड़ी के पास लगायें। फिर दाएं हाथ को ऊपर की तरफ उठाकर गर्दन को दाए ओर घुमाते हुए दाए हाथ को देखें। कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें। जब 5 बार साँस लेने के बाद आप आसान से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए सिर को सीधा कर लें, दाए हाथ को नीचे कर लें, बाएं हाथ को उठा लें, और फिर धड़ को भी उठा लें, धड़ को वापिस सीधा कर लें और पैरों को वापिस अंदर ले आयें। ख़तम ताड़ासन में करें। दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।

* परिवृत्त त्रिकोणासन करने के फायदे

- पैरों में खिचाव लाता है और उन्हे मज़बूत बनाता है।

- कूल्हों और रीढ़ की हड्डी में खिचाव लाता है।

- छाती को खोलता है जिस से साँस लेने में आसानी होती है।

- पीठ दर्द से राहत दिलाता है।

- पेट के अंगों को उत्तेजित करता है।

- आपके शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है।

- साएटिका, क़ब्ज़, हाज़में में दिक्कत, और दमे से राहत दिलाने में मदद करता है।