योग को वर्तमान जीवन की संजीवनी कहा जाए तो गलत नहीं होगा। क्योंकि संजीवनी जिस तरह बीमारी को दूर करती है, उसी तरह योग भी इंसान को बीमारियों से बचाए रखता हैं। योग में कई तरह के आसन होते हैं और इस कड़ी में आज हम आपको जिस आसन की विधि और फायदे बताने जा रहे हैं वो हैं अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन। तो चलिए जानते हैं अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन की विधि और फायदे के बारे में।
* अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन करने की विधि ताड़ासन में खड़े हो जायें। श्वास अंदर लें और अपनी दाईं टाँग को उठा कर दायें पैर को बाईं जाँघ पे ले आयें बिना दर्द के जितना ऊपर ला सकें उतना ले आयें। इस मुद्रा में आपके दायें कूल्हे और घुटने पर खिचाव आएगा। अगला स्टेप करने से पहले अपना संतुलन पक्का कर लें। संतुलन बनाए रखने के लिए ध्यान अपनी बायें टाँग पर रखें। अगर पैर नीचे की ओर खिसक रहा हो तो आप उसे बायें हाथ से पकड़ सकते हैं। अब आपना दायां हाथ पीठ के पीछे से आगे की ओर ले आयें और दाए हाथ से दाए पैर का अंगूठा पकड़ लें। यह करने के बाद इस मुद्रा में एक से दो बार साँस अंदर और बाहर लें। साँस छोड़ते हुए कूल्हे के जोड़ों से झुकें और ध्यान रहे कि कमर के जोड़ों से नहीं झुकना है। नीचे झुकते समय साँस छोड़ें। याद रहे कि सभी आगे झुकने वाले आसनों की तरह उत्तानासन में उदेश्य धड़ को लंबा करना होता है। दायें हाथ को ज़मीन पर टिका लें। हाथ पैर की सिधाई में होना चाहिए। कुल मिला कर पाँच बार साँस अंदर लें और बाहर छोड़ें ताकि आप आसन में 30 से 60 सेकेंड तक रह सकें। धीरे धीरे जैसे आपके शरीर में ताक़त और लचीलापन बढ़ने लगे, आप समय बढ़ा सकते हैं 90 सेकेंड से ज़्यादा ना करें। कोशिश करें की आपकी पीठ सीधी रहे और दाईं टाँग को सीधा रखें। अपने सिर को आराम से लटकने दें ताकि आपके गर्दन की मांसपेशियों पर ज़ोर ना पड़े। 5 बार साँस लेने के बाद आप इस मुद्रा से बाहर आ सकते हैं। आसन से बाहर निकलने के लिए साँस अंदर लेते हुए धड़ को ऊपर उठायें। ध्यान रहे कि आप अपनी पीठ को सीधा ही रखें और अपने कूल्हे के जोड़ों से ही वापिस उपर आयें। दायें पैर के अंगूठे को अभी ना छोड़ें। जब पूरी तरह सीधे खड़े हो जायें, तब आप अंगूठे को छोड़ दें। दाईं टाँग को नीचे कर लें, दोनो हाथों को भी नीचे कर लें और ताडासन में समाप्त करें। दाहिनी ओर करने के बाद यह सारे स्टेप बाईं ओर भी करें।
* अर्ध बद्ध पद्मोत्तासन करने के फायदे - टाँगों को मज़बूत बनाता है।
- जिस टाँग पर आप खड़े होते हैं, उसको यह ख़ास तौर से मज़बूत बनाता है।
- कूल्हे और घुटने के जोड़ों में जकड़न से छुटकारा दिलाता है और लचीलापन बढ़ाता है।
- कंधों और छाती की मासपेशियों को खोलने में मदद करता है और उस से श्वसन में भी सुधार होता है।
- ध्यान रखने की क्षमता में सुधार लाता है।
- पाचन में सुधार लाता है।
- आपके शारीरिक संतुलन को बढ़ाता है।