आज के समय में कैंसर एक बड़ी बीमारी बन चुका हैं जिससे बचाव के उपाय व्यक्ति खोजता रहता हैं। ऐसे में हाल ही में एक रिसर्च में स्किन कैंसर को लेकर खुलासा हुआ हैं जिसके मुताबिक़ हेट्रोसेक्शुअल महिला और पुरुषों के मुकाबले गे और बाइसेक्शुअल पुरुष और महिलाओं को त्वचा कैंसर का जोखिम ज्यादा रहता है। यह रिसर्च जामा (JAMA) त्वचा विज्ञान पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। इस स्टडी को बोस्टन के ब्रिघम और महिला अस्पताल ने किया है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने मोबाइल फोन के जरिए डेटा इकट्ठा किया। स्टडी के लिए शोधकर्ताओं ने साल 2014 से हर साल चार लाख पचार हजार लोगों के फोन इंटरव्यू लिए और उस आधार पर डेटा इकट्ठा किया तब जाकर इस निष्कर्ष पर पहुंचे।
शोधकर्ताओं का कहना है कि गे पुरुषों में स्किन कैंसर का जोखिम 8.1 फीसदी जबकि बाइसेक्शुअल पुरुषों में यह 8.4 फीसदी ज्यादा रहता है। वहीं, हेट्रोसेक्शुअल पुरुषों में स्किन कैंसर का यह जोखिम गे के मुकाबले 6.7 फीसदी और हेट्रोसेक्शुअल महिलाओं में लेस्बियन महिलाओं की तुलना में 6.6 फीसदी ज्यादा रहता है। वहीं, गे और बाइसेक्शुअल महिलाओं में यह जोखिम 5.9 फीसदी और 4.7 फीसदी रहता है। इस अध्ययन के लिए शोधकर्ताओं ने लोगों से पहले उनकी सेक्शुअल ऑरेंटेशन और जेंडर पहचान पूछी और उसके बाद डेटा इकट्ठा किया और जिसके निष्कर्षों में यह बात पता चली कि सामान्य के मुकाबले गे और बाइसेक्शुअल पुरुष और महिलाओं को स्किन कैंसर का जोखिम ज्यादा रहता है।स्किन कैंसर की समस्या तेजी से लोगों में बढ़ती जा रही है। त्वचा की कोशिकाएं जब असामान्य रूप से विकसित होने लगे तो स्किन कैंसर होता है। शरीर के जिस हिस्से पर सूर्य की किरणें सीधा पड़ती हैं उस त्वचा पर स्किन कैंसर होने का खतरा बढ़ जाता है। स्किन कैंसर होने से गर्दन, माथे, गाल और आंखों के आसपास जलन होने लगती है। इसके अलावा स्किन पर कई हफ्तों तक धब्बे पड़े रहते हैं। साथ ही स्किन में बदलाव भी होने लगता है। धूप में रहने पर खुजली भी होने लगती है। ये सारे लक्षण स्किन कैंसर के हैं।