स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) एक दुर्लभ और घातक आनुवांशिक बीमारी है, जो शरीर की मांसपेशियों को धीरे-धीरे कमजोर कर देती है। यह मुख्य रूप से नवजात शिशुओं और छोटे बच्चों को प्रभावित करती है, लेकिन कुछ मामलों में यह युवाओं और वयस्कों में भी देखी जा सकती है। यह बीमारी कई प्रकार की होती है, लेकिन इनमें सबसे गंभीर टाइप-1 मानी जाती है। हेल्थ एक्सपर्ट्स के अनुसार, इस बीमारी से ग्रसित बच्चे अपने सिर को सहारा नहीं दे पाते हैं और बिना मदद के बैठना भी मुश्किल होता है। उनके हाथ-पैर कमजोर और ढीले पड़ सकते हैं, जिससे उनकी गतिविधियां सीमित हो जाती हैं। इसके अलावा, भोजन निगलने में कठिनाई और सांस लेने में परेशानी जैसी समस्याएं भी देखने को मिलती हैं। स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी में मांसपेशियां धीरे-धीरे कमजोर होती जाती हैं, जिससे बच्चे की सामान्य वृद्धि और शारीरिक गतिविधियां बाधित हो जाती हैं। टाइप-1 SMA से पीड़ित शिशुओं के लिए जीवन प्रत्याशा आमतौर पर दो साल से अधिक नहीं होती है, क्योंकि सांस को नियंत्रित करने वाली मांसपेशियां भी कमजोर हो जाती हैं, जिससे गंभीर जटिलताएं उत्पन्न होती हैं। यह बीमारी एक आनुवांशिक विकार है, जो SMN1 जीन में म्यूटेशन (गड़बड़ी) के कारण होता है। यदि माता-पिता में से दोनों में यह दोषपूर्ण जीन मौजूद हो, तो उनके बच्चे में SMA विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के लक्षण
प्रारंभिक लक्षण (शुरुआती संकेत)नवजात शिशुओं में जन्म के तुरंत बाद या कुछ महीनों में लक्षण दिख सकते हैं: बच्चे का सिर सहारा देने पर भी झुका रहना
सामान्य रूप से बैठने या लेटने में असहजता
कमज़ोर रोने की आवाज़
दूध पीने या निगलने में कठिनाई
लगातार सुस्ती या ऊर्जा की कमी
बड़े बच्चों और वयस्कों में मांसपेशियों में हल्की झनझनाहट या कंपन
सामान्य गति में कमी आना
सीढ़ियां चढ़ने या दौड़ने में कठिनाई
चलते समय बार-बार गिरना
2. मांसपेशियों की कमजोरी और ढीलापनSMA में मांसपेशियों की कमजोरी धीरे-धीरे बढ़ती जाती है।
हाथ और पैरों की कमजोरी: बच्चा अपने हाथ-पैर सही से नहीं चला पाता, ढीलापन महसूस होता है।
बैठने में कठिनाई: SMA टाइप-1 से पीड़ित बच्चे बिना सहारे बैठ नहीं सकते।
चलने में असमर्थता: टाइप-2 और टाइप-3 के मरीज धीरे-धीरे चलने की क्षमता खो सकते हैं।
सामान्य गतिविधियों में कठिनाई: उठने-बैठने, चीजों को पकड़ने, सीढ़ियां चढ़ने में परेशानी होती है।
3. निगलने और खाने में कठिनाईSMA वाले मरीजों में मांसपेशियों की कमजोरी का असर भोजन निगलने पर भी पड़ता है।
बच्चों में स्तनपान करने में दिक्कत होती है।
भोजन चबाने और निगलने में परेशानी होने से वजन नहीं बढ़ता।
ठोस खाना खाने में कठिनाई और बार-बार गला घुटने की समस्या होती है।
4. सांस लेने में कठिनाई और फेफड़ों की कमजोरीSMA से प्रभावित मरीजों को सांस लेने में परेशानी होती है, क्योंकि यह बीमारी सांस नियंत्रित करने वाली मांसपेशियों को कमजोर कर देती है।
धीरे-धीरे सांस की गति धीमी हो जाती है।
सोते समय सांस लेने में तकलीफ (स्लीप एपनिया) महसूस होती है।
हल्की खांसी होने पर भी कफ बाहर निकालने में दिक्कत होती है।
निमोनिया और अन्य फेफड़ों के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है।
5. अस्थिर हड्डियाँ और जोड़ों की जटिलताएंSMA मरीजों में हड्डियों की ताकत कम हो जाती है, जिससे अन्य समस्याएं हो सकती हैं:
रीढ़ की हड्डी में विकृति (Scoliosis): मरीजों की रीढ़ धीरे-धीरे झुकने लगती है।
कमजोर हड्डियाँ (Osteoporosis): बार-बार हड्डियां टूटने की संभावना बढ़ जाती है।
जोड़ों की जकड़न: शरीर के कई हिस्सों में जोड़ मुड़ने में दिक्कत होती है।
6. कंपकंपी और अनियंत्रित झटके (Tremors & Reflex Loss)SMA में नर्व सिग्नल ठीक से ट्रांसमिट नहीं होते, जिससे झटकों की समस्या हो सकती है:
हाथों में कंपन (Tremors) जो खासतौर पर अंगूठे में दिखते हैं।
शरीर के कुछ हिस्सों में हल्का कंपन या झनझनाहट महसूस हो सकता है।
न्यूरोलॉजिकल रिफ्लेक्स कम हो जाते हैं, जिससे मरीज को संतुलन बनाए रखने में कठिनाई होती है।
स्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) का इलाजस्पाइनल मस्कुलर एट्रोफी (SMA) के इलाज के लिए एक विशेष प्रकार के इंजेक्शन और दवाइयों की आवश्यकता होती है। यह बीमारी आनुवांशिक कारणों से होती है, इसलिए इसका इलाज मुख्य रूप से जीन थेरेपी, स्पाइनल इंजेक्शन, और लक्षणों को नियंत्रित करने वाली दवाओं पर आधारित होता है।
Zolgensma (जोलजेस्मा) - सबसे प्रभावी जीन थेरेपी
यह इंजेक्शन अमेरिका से मंगाया जाता है और इसकी कीमत लगभग 17 करोड़ रुपये होती है।
- यह एक वन-टाइम जीन थेरेपी है, जो SMA के कारण बनने वाले दोषपूर्ण जीन को बदलने में मदद करती है।
- यह तंत्रिका कोशिकाओं को सही ढंग से काम करने के लिए आवश्यक SMN प्रोटीन का उत्पादन शुरू कर देता है, जिससे बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य रूप से हो सकता है।
- यह इलाज SMA टाइप-1 और टाइप-2 के मरीजों के लिए अधिक प्रभावी माना जाता है।