कब्ज की समस्या व्यक्ति को बनाती हैं असहाय, इन 9 योगासन की मदद से पाएं राहत

इन दिनों लोगों की लाइफस्टाइल बहुत खराब हो गई हैं जहां खानपान बिगड़ने के साथ ही लोगों की दिनचर्या से शारीरिक श्रम भी दूर होता जा रहा हैं जिसकी वजह से पेट से जुड़ी कई दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा हैं। पाचन प्रक्रिया के अपशिष्ट उत्पाद शौच के माध्यम से बाहर आ जाते हैं। लेकिन कब्ज होने पर ये शरीर में ही बने रहते हैं और कई बीमारियों का कारण बनते हैं। खासतौर से पाचन तंत्र का सही से काम न करते हुए कब्ज की समस्या उठने लगती हैं। कब्ज की समस्या व्यक्ति को असहाय बना देती हैं। ऐसे में कई लोग विभिन्न चूरन या दवाइयों का सेवन करते हुए नजर आते है। लेकिन इस समस्या को जड़ से समाप्त करना हैं तो आप योगासन की मदद ले सकते हैं। कब्ज की समस्या में कुछ योगासनों का नियमित अभ्यास करना भी फायदेमंद माना जाता है जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं।

भुजंगासन

पेट साफ करने के लिए भुजंगासन मददगार साबित हो सकता है। एक शोध के मुताबिक, भुजंगासन कब्ज की समस्या में सुधार करता है। इससे मल त्यागने में आसानी हो सकती है और पेट अच्छी तरह साफ हो सकता है। इस योगासन को करने के लिए पहले योग मैट बिछाकर पेट के बल लेट जाएं। इस समय पैरों की उंगलियां बाहर की ओर होंगी और दोनों हथेलियां कंधों के बगल में फर्श पर होंगी। अब सांस भरते हुए हथेलियों से फर्श पर दबाव डालें और धीरे- धीरे धड़ वाले भाग को ऊपर उठाएं। शरीर को नाभि तक ऊपर उठाना है और पैर फर्श पर सीधे तने हुए होने चाहिए फिर सिर को पीछे की ओर झुकाएं और ऊपर की तरफ देखें। थोड़ी देर इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य रूप से सांसे लेते व छोड़ते रहें। इसके बाद धीरे-धीरे शुरुआ


उदराकर्षणासन

योग में षट्कर्म की एक क्रिया है, जिसका नाम है शंखप्रक्षालन। यह क्रिया पूरे पेट की सफाई कर देती है। यह आसन कब्ज को दूर करने वाला है। गैस, अफारा, ऐसिडिटी, भूख न लगना जैसी दिक्कतें दूर करने में मदद करता है। उदराकर्षणासन करने के लिए सबसे पहले घुटने मोड़कर, दोनों पैरों की एड़ी और पंजों पर बैठ जाएं और हाथों को घुटनों पर रख लें। अब गहरी सांस भरें फिर सांस निकालते हुए दाहिने घुटने को बाएं पंजे के पास जमीन पर टिकाएं और बाएं घुटने को छाती की ओर दबाएं। ऐसा करने से बाई जंघा पेट पर दबाव डालने लगेगी। अब पूरा शरीर गर्दन सहित बाईं ओर घुमा दें। ऐसी स्थिति में दायां घुटना बाएं पंजे के पास रहेगा। यथाशक्ति आसन को रोक कर रखें, फिर सांस भरते हुए सामान्य अवस्था में लौट आएं। इसी प्रकार दूसरे पैर से भी कर लें। अधिकतम फायदा लेने के लिए 6-8 बार इसका अभ्यास कर लें।

अर्ध मत्स्येंद्रासन

पेट साफ करने के योग में अर्ध मत्स्येंद्रासन का नाम भी शामिल है। एक रिसर्च की मानें, तो अर्ध मत्स्येंद्रासन पाचन क्रिया को बढ़ावा देता है, जिससे खाने को पचाने में मदद मिल सकती है। खाना अच्छे से पचने पर पेट ठीक से साफ हो सकता है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले दंडासन की मुद्रा में बैठ जाएं। अब दाएं पैर को मोड़कर बाएं घुटने के ऊपर से ले जाकर पैर को जमीन पर रख दें। फिर बाएं घुटने को मोड़कर पैर को दाएं नितंब के पास जमीन पर रख दें। इसके बाद दाएं पैर के ऊपर से बाएं हाथ को ले जाकर दाएं पैर के अंगूठे को पकड़ लें। अब सांस छोड़ते हुए धड़ को बाएं तरफ अपनी क्षमता के अनुसार मोड़ें। इस मुद्रा में कुछ सेकंड बने रहे और सामान्य रूप से सांस लेते व छोड़ते रहें। फिर योग क्रिया को विपरीत करते हुए पहले वाली मुद्रा में वापस आ जाएं। अब इस क्रिया को दूसरी तरफ से भी दोहराएं।

मयूरासन

यह आसन पाचन को बेहतर बनाने में मदद करता है और अस्वास्थ्यकर भोजन के प्रभाव को नष्ट करता है। यह आसन पेट दबाव को बढ़ाता है ,जो प्लीहा और यकृत एनलार्ज्मेंट्स को कम कर देता है। यह आसन आंतो को भी मजबूत बनाता है। इस तरह से कब्ज की समस्या से राहत दिलाता में मदद करता है। इसके लिए सबसे पहले एक साफ और हवादार जगह पर योगा मैट बिछाकर घुटनों के बल पर बैठ जाएं। अब अपने घुटनों को फैलाकर रखते हुए अपने हाथों को फर्श पर रखें। हाथ की उंगलियों को अपने पैर की तरफ रखें। इसके बाद अपने हाथ को कोहनियों की तरफ मोड़ें और ऊपरी हिस्से को आराम दें। इस दौरान आपकी कोहनियां नाभि के किनारे की तरफ होनी चाहिए। इसके बाद आगे की तरफ झुकते समय अपने पैरों की पीछे की तरफ खींचे और शरीर के निचले हिस्से को टाइट रखें। इस दौरान शरीर का संतुलन बनाए रखें और 30 सेकंड तक इस मुद्रा में रहने के बाद सामान्य स्थिति में आयें।

सुप्त मत्स्येन्द्रासन
सुप्त मत्स्येन्द्रासन के नियमित अभ्यास से पेट को ठीक से साफ करने में मदद मिल सकती है। दरअसल, इससे पाचन क्षमता बेहतर हो सकती है, जिससे खाद्य पदार्थ को ठीक से पचाया जा सकता है और पेट अच्छी तरह से साफ हो सकता है। इस योग को करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। हथेलियों को नीचे की ओर रखते हुए बाजुओं को कंधे की सीध में फैला लें। अब बाएं पैर को ऊपर उठाकर घुटने से मोड़ें। फिर सांस छोड़ते हुए बाएं पैर को दाएं पैर के ऊपर से ले जाकर जमीन पर रख दें। इसके बाद गर्दन को बाएं तरफ मोड़ें और कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहें। अब इस योग क्रिया को दूसरी तरफ से भी करें।

हलासन

हलासन को करने से कब्ज, बदहज़मी और पेट संबंधी सभी प्रकार की बीमारियों से छुटकारा मिलता है। साथ ही पाचन क्रिया भी मजबूत होती है। अगर आप अपने बढ़ते वजन से परेशान हैं तो अपने वजन को कम करने के लिए रोजाना हलासन जरूर करें। हलासन योग का अभ्यास थोड़ा कठिन है, इसलिए किसी विशेषज्ञ के प्रशिक्षण में ही इसका अभ्यास किया जाना चाहिए। प्लो पोज करने के लिए सबसे पहले पीठ के बल लेट जाएं। अब सांस लेते हुए पैरों को ऊपर की तरफ उठाते हुए सिर के पीछे ले जाएं। अंगूठे से जमीन को स्पर्श करें। हाथों को जमीन पर सीधा रखें और कमर को जमीन पर ही सटाए रखें। कुछ समय तक इसी अवस्था में ही बनें रहें और फिर धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए सामान्य स्थिति में वापस आएं।

विपरीत करनी

अगर किसी का पेट ठीक से साफ नहीं हो रहा है, तो वो विपरीत करनी आसन को कर सकते हैं। यह आसन कब्ज की समस्या से छुटकारा दिला सकता है। कब्ज की समस्या से राहत मिलने पर पेट अच्छे से साफ हो सकता है। इसके लिए एक दीवार के पास योग मैट बिछाकर दीवार की तरफ मुंह करके बैठ जाएं। अब पीठ के बल लेटते हुए हिप्स को ऊपर उठाकर पैरों को दीवार से सटाएं। दोनों हाथों को सिर के पीछे सीधा रखें और कुछ सेकंड इसी मुद्रा में बने रहें। फिर धीरे-धीरे पैरों को नीचे लाएं और शुरुआती मुद्रा में वापस आ जाएं। इस योग को रुक-रुककर 5 से 10 मिनट तक कर सकते हैं।

तितली मुद्रा

यह आगे झुककर करने वाले आसन से हमारे पाचन तंत्र को बेहतर बनाने में मदद मिलती है और गैस, ऐंठन और पेट की सूजन से भी राहत दिलाता है। यह आसन तनाव को कम करने में भी मदद करता है जो कि अच्छे पाचन के लिए अत्यंत आवश्यक है। तितली आसन करने के लिए सबसे पहले जमीन पर बैठ जाएं। अब दोनों पैरों को मोड़ते हुए तलवों को एकदूसरे से मिला लें। पैरोंं को हाथों से पकड़कर अंदर की ओर खींचने का प्रयास करें, कोशिश करें कि एड़ियां शरीर को छू लें। उसके पश्चात जांघों पर जोर देते हुए घुटनों को तितली के पंखों की तरह ऊपर-नीचे कोशिश करने का प्रयास करें। इस दौरान मांसपेशियों में खिंचाव हो सकता है, साथ ही घुटनों को ऊपर- नीचे करते हुए जमीन से छूने का प्रयास करें। 20 से 30 सेकंड या उससे अधिक भी इस आसन का अभ्यास किया जा सकता है।

पवनमुक्तासन

पवनमुक्तासन को करने पर पेट वाले भाग पर दबाव पड़ता है, जिससे पेट की मांसपेशियों व आंतों की गतिविधि में सुधार होता है। इससे कब्ज की समस्या से भी राहत मिल सकती है। कब्ज से छुटकारा मिलने पर पेट अच्छी तरह साफ हो सकता है। इस योग को करने के लिए सीधे पीठ के बल लेट जाएं। अब दोनों पैरों को घुटनों तक मोड़ें और हाथों को उंगलियों को आपस में फंसाकर घुटनों को पकड़ लें। फिर धीरे-धीरे सांस लेते हुए घुटनों को छाती के साथ स्पर्श करें। इसके बाद सांस छोड़ते हुए सिर को ऊपर उठाएं और ठुड्डी को घुटने के साथ छूने की कोशिश करें। कुछ देर इसी मुद्रा में बने रहें और सामान्य रूप से सांस लेते व छोड़ते रहें। अब धीरे धीरे शुरुआती मुद्रा में लौट कर आराम करें। इसे आप 5-10 बार कर सकते हैं।