लिंग में ढीलापन बन रही पुरुषों की आम समस्या, इन 8 योगासन की मदद से करें इसे दूर

हर पुरुष चाहता हैं कि वह अपने पार्टनर के साथ अच्छे सेक्स रिलेशन बनाए और उन्हें सेक्शुअली संतुष्ट कर पाएं। लेकिन आज के समय में देखा जा रहा हैं कि अधिकतर पुरुष लिंग में ढीलापन या नसों में कमजोरी या इरेक्टाइल डिस्फंक्शन का सामना कर रहे हैं। लिंग में ढीलापन आने का प्रमुख कारण मांसपेशियों, रक्त प्रवाह और तंत्रिकाओं का सही तरह से काम न करना हो सकता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या से न सिर्फ आपके यौन स्वास्थ्य पर असर होता है बल्कि यह समस्या आपको मानसिक परेशानियों का भी शिकार बना सकती हैं। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या में दवाइयों से ज्यादा योग का फायदा होता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे योगासन के बारे में बताने जा रहे हैं जो इरेक्टाइल डिस्फंक्शन की समस्या को दूर करेंगे। आइये जानते हैं इनके बारे में...

धनुरासन

धनुरासन हठ योग की श्रेणी का योगासन है जिसके अभ्यास से पीठ को बहुत फायदा मिलता है। स्तम्भन दोष या इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या में धनुरासन का अभ्यास करने के कई फायदे मिलते हैं। धनुरासन करने के लिए सबसे पहले एस साफ स्थान पर योगा मैट बिछाएं। अब इस मैट पर पेट के बल लेट जाएं। अपने हिप्स के नीचें थोड़ा गैप रखें और हाथों को सीधा रखें। अब अपने घुटनों को मोड़ते हुए सांस छोड़ें। अपनी एड़ी को अपने नितंबों के पास लाएं। अब धनुसाकार होते हुए, अपने पैरों की उंगलियों को हाथों से पकड़ें। अब गहरी सांस लेते हुए अपनी छाती को जमीन से ऊपर उठाएं। इस दौरान अपने पैरों की एड़ियों को थोड़ा अधिक खींचने की कोशिश करेँ। पैरों को खींचते हुए अपने पेट के वजन को संतुलित बनाए रखें और अपने सिर को बिल्कुल सीधा रखें। शरीर के लचीलेपन के आधार पर अपने शरीर को खींचने की कोशिश करेँ। इस स्थिति में 30 सेकंड के लिए रुकें और पुन: अपनी मुद्रा में वापस लौट आएं।

नौकासन

इसे बोट पोज भी कहा जाता है। यह सेक्सुअल हार्मोन को उत्तेजित करता है। यदि पुरूष यौन ऊर्जा का अनुभव नहीं करते हैं, तो यह पोज एनर्जी को ठीक तरह से फ्लो करने में मदद करेगा। इसके लिए सबसे पहले जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं और हाथों को जमीन पर अपने बगल में रखें। अब अपनी बाहों को पैरों की ओर फैलाएं और छाती और पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। ध्यान रखें आपकी आंखें, उंगलियां और पैर की उंगलिया एक सीध में होनी चाहिए। इसी समय अपने पैरों को जमीन से ऊपर उठाएं। ऐसा करते समय अपने हाथों को सीधा रखें। 5 से 10 सासों तक रूकें। अब सांस लें और धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी सामान्य स्थिति में वापस आ जाएं और रिलेक्स करें।

पश्चिमोत्तासन

यह एक बेहतरीन योग मुद्रा है जो तंत्रिका तंत्र पर एक गहरा प्रभाव डालता है। इसका नियमित अभ्यास करने से खून भी साफ होता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समयसा में इसका अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसका अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप सुखासन में बैठ जाएं और गहरी सांसें लें और छोड़ें। इससे मन शांत होता है। अब अपने दोनों पैरों को सामने की ओर सीध में खोलकर बैठ जाएं। दोनों एड़ी और पंजे मिले रहेंगे। अब सांस छोड़ते हुए और आगे की ओर झुकते हुए दोनों हाथों से दोनों पैरों के अंगूठे पकड़ लें। माथे को घुटनों से लगाएं और दोनों कोहनियां जमीन पर लगी रहेंगी। जैसा कि आप तस्वीरों में देख सकते हैं। इस पोजिशन में आप खुद को 30 से 60 सेकेंड तक रखें। धीमी सांसें लेते रहें। अब अपने पूर्व की मुद्रा में वापस आ जाएं और आराम करें।

सालभासन

यह मुद्रा पीठ और लिंब्स को टोन करने में सहायक है। इसे ग्रासहॉपर पोज भी कहते हैं। इस योग को करते समय शरीर टिड्डे के समान मुद्रा में आ जाता है। इससे रीढ़ की हड्डी मजबूत होती है। इसे करने के लिए हाथों को अपने पेट पर रखें। पैरों को फैलाएं और बाहों को सीधा रखें। इस दौरान आपकी हथेलियां नीचे की ओर होनी चाहिए। अब अपनी जांघों को अंदर की ओर मोड़ें । इसे तब तक मोड़ें जब तक आपके पैर की उंगलियां फर्श को ना छू लें। जैसे ही आप अपने पैरों, हाथ और छाती को फर्श से ऊपर उठाएं, सांस लें। सांस छोड़ते हुए आप अपने शरीर को स्ट्रेच करें और अपने पैर की उंगलियों को पीछे की ओर और सिर को ऊपर उठाएं।

कुंभकासन

कुंभकासन का नियमित अभ्यास हड्डियों के लिए बहुत फायदेमंद माना जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन यानी की स्तंभन दोष की समस्या में भी इसका अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। कुंभकासन का अभ्यास करने के लिए सबसे पहले आप पालथी मारकर योगा मैट पर बैठ जाएं। अपने शरीर को प्लैंक करने के लिए तैयार करें। इसमें सबसे पहले दोनों हाथों से मुट्ठी बनाकर, 10 बार क्लॉक वाइज और 10 बार एंटी-क्लॉक वाइज घुमाएं। अपने दोनों हाथों को अपने सामने मैट पर रख दें। दोनों हाथों के बीच में कंधे के बराबर गैप होगा। धीरे-धीरे अपने घुटनों को पीछे से उठाते हुए पंजे के बल आते हुए कुंभक आसन में आएं। इस आसन में सारा दबाव हमारे हाथ, पेट, हिप्स और जांघ पर होगा। 15-20 सेकेंड होल्ड करें और वापस आ जाएं और विश्राम करें। धीरे-धीरे काउंट को बढ़ाते हुए 1 मिनट तक ले जाएं।

बद्ध कोणासन

इस आसन का अभ्यास बहुत आसान होता है और किसी भी उम्र में इसका अभ्यास किया जा सकता है। इसका नियमित अभ्यास करने से शरीर में खून का संचार भी सुचारू तरीके से होता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या में भी इसका अभ्यास बहुत उपयोगी होता है। बद्ध कोणासन का अभ्यास करने के लिए नीचे बैठ जाएं। इसके बाद सांस को बाहर की तरफ छोड़ते हुए पैरों को घुटनों से मोड़ें। दोनों पैरों की एड़ियों को पेट के नीचे की तरफ लेकर जाएं। अब दनों घुटनों को नीचे की तरफ खींचे। बाएं पैर के अंगूठे और उंगली से दाहिने पैर के अंगूठे को पकड़ें। इस आसन का अभ्यास करते समय रीढ़ की हड्डी को बिल्कुल सीधा रखें। दोनों जांघों पर थोड़ा सा दबाव देते हुए स्ट्रेच करें। इस स्थिति में लगभग 5 मिनट तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।

जानु शीर्षासन

इस आसन को हेड टू नी पोज भी कहा जाता है। इसे खाली पेट करने पर सबसे ज्यादा फायदा मिलता है। जानु शीर्षासन से पेट के निचले हिस्से और प्राइवेट पार्ट्स में रक्त संचार बढ़ता है। इसे करने के लिए पैरों को सामने की ओर सीधे फैलाते हुए बैठ जाए,रीढ़ की हड्डी सीधी रखें। बाएं घुटने को मोड़ें, बाएँ पैर के तलवे को दाहिनी जांघ के पास रखें, बायां घुटना ज़मीन पर रहे। सांस भरें, दोनों हाथों को सिर से ऊपर उठाएं, खींचें और कमर को दाहिनी तरफ घुमाएं। सांस छोड़ते हुए कूल्हों के जोड़ से आगे झुकें, रीढ़ की हड्डी सीधी रखते हुए, ठुड्डी को पंजों की और बढ़ाएं। अगर संभव हो तो अपने पैरों के अंगूठों को पकड़ें, कोहनी को जमीन पर लगाएं, अंगुलियों को खींचते हुए आगे की ओर बढ़ें, सांस रोकें। सांस भरें, सांस छोड़ते हुए ऊपर उठें, हाथों को बगल से नीचे ले आएं। पूरी प्रक्रिया को दाएं पैर के साथ दोहराएं।

उत्तानासन

उत्तानासन या स्टैंडिंग फॉरवर्ड बेंड पैर की उंगलियों को पकड़ कर किया जाता है। इरेक्टाइल डिसफंक्शन की समस्या में भी इस आसन का अभ्यास बहुत फायदेमंद माना जाता है। इसे करने के लिए एकदम सीधे खड़े हो जाएं। अब अपने पैरों में एक फीट की दूरी बना लें। इसके बाद गहरी सांस लेते हुए हाथों को ऊपर सिर की तरफ ले जाएं। सांस को छोड़ते हुए हाथ नीचे की ओर लाएं। अब अपने हाथों के पैर के अंगूठों को छूने की कोशिश करें। कुछ देर इस पोजीशन में रहने के बाद सामान्य स्थिति में आ जाएं।