शारीरिक समस्याओं से निवारण दिला सकती हैं ये 8 योग मुद्राएं, दिनचर्या में करें शामिल

वर्तमान समय की जीवनशैली में लोगों को आए दिन कई तरह की शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ता हैं जिन्हें दूर करने के लिए आपको अपने खानपान के साथ ही लाइफस्टाइल को भी सुधारने की जरूरत होती हैं। इसके लिए आप अपनी लाइफस्टाइल में योग आसान या मुद्राओं को भी शामिल कर सकते हैं। मुद्राओं को मेडिटेशन भी कहा जाता है। योग के महत्व को अब पूरी दुनिया स्वीकार कर चुकी है और लोगों ने इसे अपनी दिनचर्या में उतारा हैं। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसी योग मुद्राओं के बारे में बताने जा रहे हैं जो दर्द, तनाव और कई अन्य बीमारियां दूर करने में आपकी मदद करेंगे। आइये जानते हैं इन मुद्राओं के बारे में...

वात नाशक मुद्रा

इस मुद्रा का अभ्यास करने के लिए तर्जनी और मध्यमा अंगुलियों को मोड़कर हथेली से मिलाएं और इनके ऊपर अंगूठा रखें। बाकी दोनों अंगुलियों को सीधा रखें। इस मुद्रा का अभ्यास दिन में सुबह के समय 45 मिनट के लिए करें। आप इसका अभ्यास दिन में 4-5 बार 10-10 मिनट के लिए कर सकते हैं। इस योग मुद्रा के अभ्यास से थकान दूर होती है, स्टेमिना बढ़ता है, मेमोरी अच्छी होती है, नींद अच्छी आती है, जोडों का दर्द, सीने में दर्द, पेट में दर्द, सिर में दर्द, दांत में दर्द और कान में दर्द आदि से आराम मिलता है। कब्ज और अधिक पसीना निकलने की परेशानी में राहत मिलती है।

वरुण मुद्रा

वरुण मुद्रा को आप दिन में दो बार 15 मिनट के लिए कर सकते हैं। इस मुद्रा को करने के लिए आपको सबसे छोटी वाली उंगली या आखिरी उंगली को अंगूठे से मिलाना है और बाकि तीन उंगलियों को सीधा रखना है। इस मुद्रा को करने से कब्ज और ऐंठन की समस्या से निजात मिलता है। जिन महिलाओं को अनियमित पीरियड्स की समस्या होती है उन्हें भी ये मुद्रा को अपनाना चाहिए। जोड़ों में दर्द, आर्थराइटिस, शरीर से दुर्गंध निकलना और स्वाद न आने की समस्या में मदद करती है।

प्राण मुद्रा

प्राण मुद्रा करने के लिए आपको अंत की दो उंगलियों को अंगूठे से जोड़ना है। इस मुद्रा को आप कभी भी और कहीं भी कर सकते हैं। इस मुद्रा को करने से जीवन अवधि बढ़ती है इसलिए इसे प्राण मुद्रा का नाम दिया गया है। अगर आपका मन अस्थिर या डिप्रेशन है तो आपको इस मुद्रा को अपनाना चाहिए। जिन लोगों को ज्यादा आलस्य आता है उन्हें ये मुद्रा जरूर करनी चाहिए, इससे शरीर को एनर्जी मिलती है।

वायु मुद्रा
वायु मुद्रा की मदद से हार्ट को हेल्दी रखने में मदद मिलती है। इसके जरिए आप गैस की समस्या से भी निजात पा सकते हैं और चिंतामुक्त रह सकते हैं। शरीर में वायु तत्व को कम करता है। शरीर में बेचैनी और चिंता को कम करता है। हार्मोन और नर्व्स सिस्टम की अतिसक्रियता को कम करता है। गुस्सैल, हाइपरएक्टिव और कम एकाग्रता वालों के लिए अच्छा है। आप वायु मुद्रा को दिन में 2 बाद 10 मिनट के लिए कर सकते हैं। इस मुद्रा को करने के लिए दोनों हाथों की आखिरी 3 उंगलियों को मोड़कर बंद कर लें फिर अंगूठे और तर्जनी यानी अंगूठे के बगल वाली उंगली को जोड़ लें। आपको ऐसे उंगली को मोड़ना है और अंगूठे को उसके ऊपर रखकर मोड़ना है।

पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा को करने के लिए तीसरी उंगली और अंगूठे को जोड़ लें और बाकि उंगलियों को सीधा रखें। इस मुद्रा को आप कहीं भी और कभी भी कर सकते हैं। इस मुद्रा को करके आप शरीर में कमजोरी की समस्या से बच सकते हैं। इस मुद्रा को करने से कार्य क्षमता भी बढ़ती है। यह मेटाबॉलिक या पाचन प्रक्रिया और शरीर के तापमान को नियमित करती है। शरीर में मजबूती, चैतन्यता और शक्ति का संचार करती है।

अपान मुद्रा

आप अपान मुद्रा का इस्तेमाल कब्ज, बवासीर जैसी समस्याओं से छुटकारा पाने के लिए कर सकते हैं। इसके अभ्यास से दांतों के दोष दूर रहते हैं और हृदय शक्तिशाली बनता है। कब्ज दूर होती है और शरीर की नाड़ियां शुद्ध होती हैं। सबसे पहले ध्यान मुद्रा में बैठ जाएं। दोनों हाथों को घुटनों पर रखें और अपनी कमर और रीढ़ को सीधा रखें। अब अपनी मध्यमा और अनामिका अंगुलियों को अंगूठे के अग्रभाग पर मिलाएं और दबाएं। इस दौरान आपकी तर्जनी और कनिष्ठा अंगुली सीधी रहेंगी। इस मुद्रा में 48 मिनट के लिए रहें। आप इसे 16-16 मिनट के लिए दिन में तीन बार अभ्यास कर सकते हैं।


शून्य मुद्रा

मध्यमा अंगुली के पहले पोर को अंगूठे के बेस पर रखें और अंगूठा अंगुली के ऊपर रहेगा। किसी भी किस्म की असुविधा या दर्द अनुभव होने पर शून्य मुद्रा का अभ्यास न करें। इस मुद्रा को आप रोजाना 5 से 10 मिनट के लिए दो बार करें। इस मुद्रा को आपको दोनों हाथों से करना है। जिन लोगों के कान में किसी कारण से दर्द होता है उन्हें ये मुद्रा करनी चाहिए। अगर आप मानसिक समस्या से गुजर रहे हैं या शरीर में सुस्ती है तो भी ये मुद्रा फायदेमंद मानी जाती है।

लिंग मुद्रा

लिंग मुदा को करने से गले में खराश की समस्या दूर होती है, इस मुद्रा को करने से रेस्पिरेटरी ऑर्गन ठीक रहते हैं और शरीर में गर्मी को प्रोत्साहन मिलता है। इस मुद्रा को करने के लिए आपको दोनों हाथों का इस्तेमाल करना है। लिंग मुद्रा बनाने के लिए दोनों हाथों की सभी उंगलियों को जोड़ लें, अब सीधे हाथ के अंगूठे को उल्टे हाथ के अंगूठे के निचछे भाग पर रखें और उल्टे हाथ के अंगूठे को ऊपर आसमान की ओर उठा लें। इस मुद्रा में 2 मिनट तक रहें और फिर सामान्य स्थिति में आ जाएं।