भारत में आज भी अपने यौन अंगों को लेकर जागरूकता नहीं हैं और कोई भी इनसे जुड़ी परेशानियों को लेकर खुलकर बात नहीं करता हैं, यहां तक की डॉक्टर के पास जाने में भी लोग शर्माते हैं। ऐसा ही कुछ महिलाओं के साथ देखने को मिलता है जहां वे अपनी वेजाइनल प्रॉब्लम्स से परेशान होती हैं लेकिन इसके बारे में किसी को बताती नहीं हैं। कई बार इसकी वजह से आपको दूसरों के सामने शर्मिंदा भी होना पड़ जाता हैं। ऐसे में आज हम आपको वज़ाइना से जुड़ी कुछ ऐसी परेशानियों के बारे में बताने जा रहे हैं जो हर महिला को पता होना चाहिए और इस परिस्थिति को कैसे संभालना हैं यह भी आना चाहिए। तो आइये जानते हैं इस जरूरी जानकारी के बारे में...
हाइजीन मेंटेन करने पर भी वज़ाइनल (यौनांग) एरिया से बदबू आना
वज़ाइनल एरिया से बदबू, वज़ाइनल इऩ्फेक्शन के कारण आती है। यह इऩ्फेक्शन फंगल, बैक्टीरिया या ट्राइमोनियल, कई तरह का हो सकता है। इसमें वज़ाइनल डिर्स्चाज होता है। यदि यह स़फेद क्रीम कलर का है, तो बैक्टीरिम इंफेक्शन हो सकता है। ट्राइकोमोनियल इंफेक्शन में स़फेद डिस्चार्ज हरापन लिए हुए होता है। ये सब सेक्सुअली ट्रांसमीटेड संक्रमण हैं जो एंटीफंगल या एंटीबैक्टीरिल दवाइयों से ठीक हो जाते हैं। नियमित साफ़-सफ़ाई के अलावा वज़ाइनल एरिया को नियमित रूप से पानी से कई बार धोएं।
सेनेटरी नैपकिन्स से कष्टदायक रैसेज़ आते हैं और टैम्पून भी असहनीय है
आजकल लगभग सभी महिलाएं सेनेटरी नैपकिन्स का उपयोग करती हैं। स्कूल कॉलेज की लड़कियां, अल्ट्राथिन सेनेटरी पैड्स ज़्यादा पसंद करती हैं, क्योंकि इन्हें बार बार बदलना नहीं पड़ता। अल्ट्राथिन पैड पतले होने के कारण पहनने में ही सुविधाजनक होते हैं। अल्ट्राथिन पैड्स में ऐसा पदार्थ डाला जाता है, जो माहवारी के रक्त को जेल बदल देता है। इससे बहाव बाहर नहीं आता और सूखापन महसूस होता है। इस सूखेपन के फ़ीलिंग के कारण ही पैड् कई घंटो तक बदले नहीं जाते। ऐसे पैड्स जब त्वचा के संपर्क में आते हैं तो खुजली या रैशेज पैदा करते हैं। टैम्पून्स का उपयोग नहीं करना चाहिए, क्योंकि इससे कष्टदायक वज़ाइनल इंफेक्शन होता है। रैशेज से बचने के लिए जहां तक संभव हो, कॉटन सेनेटरी पैड्स का उपयोग करें और इन्हें हर चार घंटे के बाद बदलें।
पेशाब लीक होना
इसमें महिलाओं के हंसने, ख़ांसने या एक्सरसाइज़ करते समय यूरिन लीक हो जाती है। डिलीवरी के बाद यूरीनरी ब्लैडर को सपोर्ट करने वाली पैल्विक फ्लोर मसल्स ढीली पड़ जाने से ऐसा होता है। आमतौर पर डिलीवरी के 6 महीनों बाद यह समस्या ठीक हो जाती है। यदि यह समस्या ठीक न हो तो ‘कीगल एक्सरसाइज़’ करने से मसल्स टोन हो जाती हैं।
वज़ाइनल एरिया में छोटे सफ़ेद पिंपल्स साते हैं, क्या इससे सेक्स लाइफ पर असर पड़ेगा?
सफ़ेद पिंपल्स वाइरन स्किन इंफेक्शन के कारण आते हैं। शेविंग करने के बाद भी ऐसे पिंपल्स आ सकते हैं। दोनों ही स्थितियों में डॉक्टर की सलाह पर एंटीबॉयोटिक्स लेने से ये ठीक हो जाते हैं। कई बार ये सेक्सुअली ट्रंसमिटेड डिसीज़, हरपिस का भी लक्षण हो सकता है। इसके लिए शीघ्र डॉक्टर से इलाज़ करवाएं।
पीरियड्स के एक हफ्ते पहले से व्हाइट डिस्चार्ज़ होने लगता है और कमजोरी महसूस होती है
पीरियड्स के पहले व्हाइट फ्लूइड निकलना आम बात है। ऐसा प्रोजेस्ट्रॉन हार्मोन के कारण होता है। यदि डिस्चार्ज़ से बदबू नहीं आती या इससे खुजली नहीं होती, तो डरने की कोई बात नहीं। इससे नुकसान नहीं होता। डिस्चार्ज़ से वीकनेस आती है। यह मिथ है ऐसा नहीं होता। पीरियड आने के पहले स्ट्रेस होने से ऐसा महसूस होता है।
क्या सेक्स के बाद पेशाब करना नॉर्मल है?
महिलाओं में कई बार सेक्स के बाद जलन होती है। योनि में चिकनाहट न होने की वजह से या यीस्ट इंफेक्शन की वजह से ऐसा होता है। दोनों ही परिस्थितियों में बार-बार पेशाब के लिए जाना पड़ता है। इसे ‘हनीमून सिस्टाइटिस’ कहते हैं। कई बार यूरीनरी इंफेक्शन से भी ऐसा होता है। स्त्रीरोग विशेषज्ञ से जांच कर समस्या का समाधान किया जा सकता है। सेक्स के बाद एकाध बार पेशाब जाना नॉर्मल है।
बिकनी वैक्सिंग के बाद पिंपल्स आते हैं
बिकनी वैक्सिंग में प्राइवेट पार्ट्स के बालों की वैक्सिंग की जाती है। सामान्यतः मॉडल्स और हीरोइन्स ऐसा करती हैं। आजकल युवाओं में भी बिकनी वैक्स का ट्रेंड आ गया है। बिकनी वैक्सिंग के एक घंटे पहले ‘पेनकिलर’ लेनी चाहिए। वैक्सिंग के बाद भूलकर भी सिंथेटिक पैंटी ना पहनें, कॉटन पैंटी ही पहनें। यदि पिंपल्स आते हैं तो एंटीबॉयोटिक लेना पड़ता है। कष्टदायक बिकनी वैक्सिंग के अलावा हाइज़ीन मेंटेन करने के और भी तरी़के हैं। जैसे- शेविंग, ट्रिमिंग और लेसर ट्रीटमेंट आदि। इनका प्रयोग करना ज़्यादा आसान है।