साड़ी पहनने के 5 अलग-अलग फैशन स्टाइल जो बना दे आपको Stylish

साडी महिलाओं के भारतीय परिधान का विशेष भाग हैं। साडी को आप कोई भी फंक्शन हो या त्योंहार हो अपने अंदाज में ढाल सकते हैं। अगर आपको सही तरीके से साड़ी पहननी आती है और अलग-अलग मौको के लिए कुछ खास तरीके से साड़ी बांधने आती है तो कहीं जाने से पहले आपको चिंता करने की जरूरत ही नहीं। क्यूंकि आप अपने साडी के लुक से ही सबका ध्यान अपनी ओर आकर्षित कर सकती हैं, इसलिए आज हम आपके लिये लेकर आये हैं साडी से जुड़े कुछ ऐसे स्टाइल जिन्हें अपनाकर आप ओर सुन्दर दिख सकती हैं। तो आइये जानते हैं इन तरीकों के बारें में।

* गुजराती राजरानी स्टाइल : पल्लू को गुजराती स्टाइल में ड्रेप करने का स्टाइल थोड़ा पुराना जरूर है लेकिन आज भी डिफरेंट लुक के लिए इसे अपनाया जाता है। इसमें प्लीट्स बनाकर पीछे से फ्रंट में लाकर इसे कमर में बांधा जाता है। लॉन्ग स्लीव और नेट स्लीव ब्लाउज़ पर ये काफी फबता है।

* बंगाली स्टाइल : ट्रैडिशनल लुक के लिए साड़ी के मामले में बंगाली पैटर्न का कोई जवाब ही नहीं है। यह न केवल आपको ग्रेसफुल लुक देगा बल्कि इसे संभालना भी खास मुश्किल नहीं है। हैंडलूम या हल्की कॉटन की बॉर्डर वाली साड़ियों पर इसका लुक बेहतरीन लगेगा।

* लहँगा स्टाइल : वर्तमान में लहँगा स्टाइल की साड़ियां बहुत चलन में है। आज कल की सभी अभिनेत्रियां इस स्टाइल को अधिक पसंद करती है। यूँ तो बाजार में कई तरह की लहँगा साड़ी उपलब्ध है। लेकिन यदि आप चाहे तो सामान्य साड़ी को भी लहँगा स्टाइल में बाँध सकती है। इस स्टाइल की साड़ियां लड़कियां ज्यादा पहनना पसंद करती है और इन्हें संभालने में भी ज्यादा परेशानी नहीं होती।

* साइड नॉट वाला ठाकुर बरी लुक : मॉडर्न के साथ ट्रेडिशनल टच देने के लिए यहां क्लासिक ठाकुर बरी अंदाज़ में साड़ी को ड्रेप किया हुआ है। फ्रंट में दो लंबी प्लीट्स लेकर साड़ी के पल्लू को टॉर्सो पर दो बार ड्रेप किया है। साथ ही कंधे पर एक नॉट भी दे दिया है जो पूरी साड़ी के लुक को हाइलाइट कर रहा है। प्लेन ब्लैक ब्लाउज़ की स्लीव पर फ्रिंज हैं।

* जलपरी स्टाइल : यह साड़ी हर तरह के फिगर पर सूट करती है लेकिन कर्वी फिगर के लिए यह सबसे बेहतर विकल्प मानी जाती है। यह साड़ी लो वेस्ट से पहनी जाती है और स्कर्ट जैसा लुक देती है जिससे पहनने के बाद फिगर अधिक स्लिम लगता है। आमतौर पर यह स्टाइल उन साड़ियों पर अच्छा लगता है जिनमें पल्लू पर अधिक काम होता है।