मशहूर गीतकार व लेखक जावेद अख्तर की बेटी जोया अख्तर (51) ने भी बॉलीवुड में खास पहचान बना ली है। फिल्ममेकर जोया के खाते में कई बेहतरीन फिल्में हैं। जोया कई फिल्मों का डायरेक्शन कर चुकी हैं जिनमें 'गली बॉय', 'दिल धड़कने दो', 'जिंदगी ना मिलेगी दोबारा' और 'लक बाय चांस' शामिल हैं। जोया की पिछली फिल्म ‘खो गए हम कहां’ थी, जिसमें अनन्या पांडे लीड एक्ट्रेस थीं।
इससे पहले उन्होंने पिछले साल रिलीज हुई 'द आर्चीज' बनाई थी, जिसमें 3 स्टारकिड्स सुहाना खान, खुशी कपूर और अगस्त्य नंदा ने डेब्यू किया था। ये दोनों फिल्में सिनेमाघरों के बजाय ओटीटी प्लेटफॉर्म नेटफ्लिक्स पर रिलीज की गई थी। जोया गुरुवार (29 अगस्त) को मुंबई में हुए एक्सप्रेसो इवेंट में शामिल हुईं। इस दौरान उन्होंने सेंसरशिप को लेकर खुलकर बात की। जोया ने लव, लिटरेचर, सिनेमा पर अपनी राय रखी। जोया ने फिल्मों में फिजिकल इंटीमेसी पर बात करते हुए कहा कि मुझे लगता है कि अगर किसी की सहमति है तो इसे जरूर दिखाना चाहिए।
फिजिकल इंटिमेसी पर सेंसरशिप हटा देनी चाहिए। हां! अगर सेंसरशिप हटा दी जाएगी तो बहुत सारे लोग ऐसी-ऐसी चीजें दिखाएंगे जो सही नहीं होंगी, लेकिन मुझे लगता है कि स्क्रीन पर कंसेंशुअल इंटिमेसी (आपसी सहमति से बनाए गए संबंध) को दिखाना बहुत जरूरी है। मैं चाहती हूं कि बच्चे जब बड़े हो तब वे कंसेंशुअल इंटिमेसी को देखकर बड़े हो।
...लेकिन आप एक किस नहीं देख सकते : जोया अख्तरजोया ने आगे कहा कि मैं ऐसे समय में बड़ी हुईं, जब मैंने स्क्रीन पर महिलाओं को पिटते, परेशान करते और उनका यौनशोषण होते हुए दिखाया जाता था। यह सब तो दिखाने की परमिशन थी, लेकिन आप एक किस नहीं देख सकते। लोगों को प्यार, फिजिकल इंटीमेसी भी स्क्रीन पर दिखाया जाना चाहिए। हर फिल्म की अपनी एक अलग टोन और कहानी को दिखाने का अलग तरीका होता है।
लेकिन रमेश सिप्पी की फिल्म 'शोले' की बात करें तो वहां पर हिंसा जो भी दिखाई गई वो समय से काफी आगे की थी। ये सब उस बारे में हैं कि आप दर्शकों को क्या दिखाना चाहते हैं। कल्चरल डिफरेंस की बात करें तो फ्रेंच, अमेरिकन से न्यूडिटी में काफी ज्यादा आगे हैं। बात वही है कि आप कितना कंफर्टेबल हो। आप सेक्स और बॉडी को किस तरह से देखते हो।