मनोरंजन जगत से एक दुखद खबर सामने आई है। अपने दौर की दिग्गज पॉप सिंगर रहीं ऊषा उत्थुप (76) के पति जानी चाको उत्थुप का सोमवार (8 जुलाई) को कोलकाता में निधन हो गया। जानी 78 साल के थे। उनके परिजनों ने बताया कि जानी ने अपने घर पर टीवी देखते समय बेचैनी की शिकायत की। उन्हें पास के अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सकों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया। दिल का दौरा पड़ने से जानी का निधन हो गया।
आज मंगलवार को जानी का अंतिम संस्कार किया जाएगा। जानी चाय बागान क्षेत्र से जुड़े हुए थे। ऊषा और जानी की पहली मुलाकात 70 के दशक में आइकॉनिक ट्रिनकास में हुई थी। दोनों की एक बेटी अंजलि और एक बेटा सनी उत्थुप हैं। बता दें कि जानी, ऊषा के दूसरे पति थे। जानो से पहले ऊषा की शादी रामू अय्यर के साथ हुई थी। शादी के पांच साल के बाद इनके बीच रिश्ते अच्छे नहीं रहे थे।
एक बार जब ऊषा, रामू के साथ कोलकाता में एक इवेंट के लिए गई थीं, तो वहां उनकी मुलाकात जानी से हुई थी। रामू भी दुनिया को अलविदा कह चुके हैं। ऊषा की बेटी अंजलि ने पोस्ट कर अपना दर्द बयां किया। उन्होंने लिखा, “अप्पा आप बहुत जल्दी चले गए लेकिन आप जितने स्टाइलिश तरीके से रहते थे। दुनिया के सबसे खूबसूरत आदमी हम आपसे प्यार करते हैं। एक सच्चे सज्जन और दिल से लॉरेंसियन और फाइनेस्ट टी टेस्टर।”
ऊषा उत्थुप ने इस फिल्म के साथ बॉलीवुड में रखा था कदमउल्लेखनीय है कि ऊषा को कुछ समय पहले ही संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए पद्म भूषण अवार्ड से सम्मानित किया गया था। इसके बाद ऊषा ने एक इंटरव्यू में कहा था कि वह ऐसे मौके पर मशहूर संगीतकार दिवंगत बप्पी लहरी और एक और दिग्गज संगीतकार दिवंगत आरडी बर्मन को काफी मिस कर रही हैं।
बता दें कि बप्पी और ऊषा ने साथ में मिलकर कई हिट गाने दिए हैं, जिनमें ‘रंबा हो’, ‘हरी ओम हरी’ और ‘कोई यहां नाचे-नाचे’ शामिल हैं। ऊषा बॉलीवुड की टॉप क्लास सिंगर रही हैं। उनको अपनी बेहतरीन गायकी की वजह से कई अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। ऊषा ने अलग-अलग भाषाओं में कई गाने गाए हैं। उनके गाने लोगों को झूमने पर मजबूर कर देते हैं।
ऊषा ने अपने करिअर की शुरुआत साल 1969 में चेन्नई के एक छोटे से नाइट क्लब से की थी। अपनी दमदार आवाज की वजह से उन्हें खूब पॉपुलैरिटी मिली और देशभर में कई बड़े नाइट क्लब्स में गाने का मौका मिला। इस दौरान दिल्ली के एक नाइट क्लब में दिवंगत अभिनेता देव आनंद की नजर ऊषा पर पड़ी। इसके बाद उन्होंने ऊषा को साल 1971 में आई फिल्म ‘हरे रामा हरे कृष्णा’ से बॉलीवुड में डेब्यू करने का मौका दिया।