फिल्मों में आशिकी शब्द को इस्तेमाल नहीं कर सकेगा टी सीरीज, कोर्ट ने लगाई रोक

हिन्दी फिल्म उद्योग की बेहतरीन रोमांटिक फिल्मों आशिकी और आशिकी 2 का निर्माण व वितरण करने वाली फिल्म कम्पनियों टी सीरीज और विशेष फिल्म्स के मध्य टाइटल आशिकी जो एक ब्रांड बन चुका है का उपयोग कौन सी कम्पनी कर सकती है इसका फैसला दिल्ली उच्च न्यायालय ने कर दिया है। विशेष फिल्म्स के पक्ष में दिए गए निर्णय में अदालत ने टी सीरीज को भविष्य में किसी भी फिल्म निर्माण के टाइटल में आशिकी शब्द के इस्तेमाल करने पर रोक लगा दी है।

दिल्ली उच्च न्यायालय ने अंतरिम आदेश जारी कर टी-सीरीज को किसी भी आगामी फिल्म के लिए 'तू ही आशिकी' या 'तू ही आशिकी है' शीर्षक का उपयोग करने से रोक दिया है। यह निर्णय मूल 'आशिकी' श्रृंखला के सह-निर्माता विशेष फिल्म्स के पक्ष में है।

गौरतलब है कि टी सीरीज और विशेष फिल्म्स ने मिलकर अब तक आशिकी के नाम से 2 फिल्मों का निर्माण, निर्देशन व वितरण किया है, लेकिन अब यह दोनों अपने-अपने स्तर पर फिल्में बना रहे हैं। विशेष फिल्म्स ने टी सीरीज से सहयोग को खत्म कर लिया है। इनके द्वारा बनाई गई दोनों आशिकी फिल्में बॉक्स ऑफिस पर ब्लॉकबस्टर साबित हुई थी।

न्यायालय ने 'आशिकी' शीर्षक को 1990 और 2013 में रिलीज हुई सफल फिल्मों से जुड़े एक महत्वपूर्ण ब्रांड के रूप में स्वीकार किया। न्यायमूर्ति संजीव नरूला ने कहा कि टी-सीरीज द्वारा इन शीर्षकों के इस्तेमाल से जनता में भ्रम पैदा हो सकता है और 'आशिकी' ब्रांड कमजोर हो सकता है। विशेष फिल्म्स ने 2013 में 'आशिकी' और 2014 में 'आशिकी के लिए' के लिए ट्रेडमार्क पंजीकृत कराए थे।

अदालत ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दोनों कंपनियों ने पहले भी 'आशिकी' फिल्मों पर सहयोग किया था, और कोई भी एक दूसरे की सहमति के बिना फ्रैंचाइज़ी का फायदा नहीं उठा सकता। यह फैसला टी-सीरीज़ द्वारा इसी तरह के शीर्षक वाली एक फिल्म की घोषणा के बाद आया है, जिसके बारे में विशेष फिल्म्स ने तर्क दिया था कि यह जनता को गुमराह कर सकती है।

अदालत ने यह भी कहा कि 'आशिकी' नाम एक मान्यता प्राप्त फिल्म श्रृंखला का अभिन्न अंग बन गया है, और ऐसे शीर्षकों की सुरक्षा उनकी विशिष्टता को बनाए रखने के लिए महत्वपूर्ण है। विशेष फिल्म्स के प्रबंध निदेशक विशेष भट्ट ने फैसले पर संतोष व्यक्त करते हुए कहा कि यह उनकी फ्रेंचाइजी की विरासत को संरक्षित करने की उनकी प्रतिबद्धता को बरकरार रखता है। अदालत का फैसला उपभोक्ताओं को गुमराह करने और ब्रांड पहचान को कमजोर करने से बचने के लिए प्रसिद्ध श्रृंखला के शीर्षकों की सुरक्षा के महत्व पर जोर देता है।