शबाना ने की हनी संग रिश्ते पर बात, एक्ट्रेस को मनमोहन ने विनोद का नाम ले ‘अमर अकबर एंथनी’ के लिए किया था तैयार

गुजरे जमाने की एक्ट्रेस शबाना आजमी (73) ने कला फिल्मों के साथ करिअर शुरू करने के बाद कमर्शियल सिनेमा की ओर रुख किया था। शबाना दोनों जगह खुद को साबित करने में सफल रहीं। उनके खाते में कई हिट फिल्में हैं। प्रोफेशनल के साथ शबाना की पर्सनल लाइफ भी सदा चर्चाओं में रही। शबाना ने हाल ही में जूम को दिए एक इंटरव्यू के दौरान शबाना ने जोया और फरहान के साथ अपने पति मशहूर गीतकार व लेखक जावेद अख्तर की पहली पत्नी हनी ईरानी संग रिश्ते पर बात की।

शबाना ने कहा कि मेरे बच्चों के साथ आज जो भी रिश्ता कायम हो सका है, वो सब हनी की ही देन है। यह हनी की उदारता के कारण है! यह संभव नहीं हो पाता अगर हनी उन्हें (बच्चे) साझा करने में इतनी उदार या दानी न होती। हनी ने अपने बच्चों जोया और फरहान को बताया कि मैं वह ‘सौतेली मां’ नहीं हूं, जिसके बारे में उन्होंने परियों की कहानियों में पढ़ा था, तो यह बहुत आसान हो गया। मैंने खुद को उन पर थोपा नहीं और बहुत ज्यादा मेहनत भी नहीं की। शबाना ने माना कि कपल के बीच अलगाव, खासकर अगर वे शादीशुदा हों, हमेशा ‘दर्दनाक’ होता है और जावेद और हनी के मामले में भी यह अलग नहीं था।

जावेद साहब और मैं दोनों नारीवादी हैं, इसलिए मेरे फैंस चौंक गए, क्योंकि उन्होंने इसे उस नारीवाद पर आघात के रूप में देखा जिसके साथ उन्होंने मुझे जोड़ा था लेकिन उस समय, मेरे पास दो विकल्प थे-या तो चुप हो जाओ और कुछ मत कहो या खुद को समझाओ, जिससे मेरे आसपास के कई लोगों को ठेस पहुंचती इसलिए चुप रहना ही समझदारी थी। बता दें कि जावेद की पहली शादी स्क्रीनराइटर हनी ईरानी के साथ हुई थी। बाद में साल 1984 में जावेद और शबाना ने शादी कर ली, जबकि हनी से उनका तलाक 1984 और 1985 के बीच तय हो गया था।

शबाना की ‘परवरिश’ फिल्म के डायरेक्टर भी मनमोहन देसाई ही थे

पांच बार नेशनल अवार्ड जीत चुकीं शबाना आजमी ने डायरेक्टर मनमोहन देसाई की मूवी 'अमर अकबर एंथनी' से जुड़ा एक किस्सा सुनाया। फिल्म में अमिताभ बच्चन, विनोद खन्ना, ऋषि कपूर, परवीन बॉबी, नीतू सिंह और प्राण भी थे। उन्होंने कहा कि मैंने ‘परवरिश’ में मनमोहन के साथ काम किया था। हम फिर से साथ शूट कर रहे थे।

मुझे ‘परवरिश’ में नीतू के साथ काम करने में बहुत मजा आया और हमने ऐसी बहनों का किरदार निभाया जो चोर हैं। बेशक, विनोद और अमिताभ भी थे। मेरे लिए यह बहुत मजेदार था। फिर जब मैं किसी दूसरी फिल्म की शूटिंग कर रही थी, तब मनमोहन मेरे पास आए और मुझसे कहा कि वह पहली बार कोई फिल्म प्रोड्यूस करने जा रहे हैं और चाहते हैं कि मैं इसका हिस्सा बनूं। मैंने कहा ठीक है।

लेकिन उन्होंने तुरंत बीच में टोकते हुए कहा, आपके लिए कोई रोल नहीं है। लेकिन अगर मैं इस मूवी में काम नहीं करती हूं, तो विनोद मुझे परेशान करते और पूछेंगे कि क्यों उनके पास कोई हीरोइन नहीं है जबकि अमिताभ और ऋषि के पास है। तो यह मनमोहन की खासियत थी कि वह बिल्कुल वैसे ही बोलते थे, जैसे कि वह थे और यही बात मुझे उनसे बहुत पसंद आई।