पद्मावती: बूढ़े, थके, निराश नजर आते भंसाली

आगामी 1 दिसम्बर को निर्देशक संजय लीला भंसाली की फिल्म 'पद्मावती' का प्रदर्शन होने जा रहा है। कुछ सप्ताह पूर्व इस फिल्म के पोस्टर और ट्रेलर के बाद इसके पहले गीत को जारी किया गया था, जिसे दर्शकों ने खासा सराहा था। घूमर गीत ने जारी होने के बाद दर्शकों का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया लेकिन इस गीत को एक से ज्यादा बार देखने के लिए दर्शक लालायित नजर नहीं आया। इसका कारण इसे देखते हुए उबासी आने लगती है। गीत का फिल्मांकन जिस अंदाज में किया गया है वह पूरी तरह से भंसाली की पिछली फिल्म 'बाजीराव मस्तानी' के गीत 'मैं तेरी दीवानी मस्तानी हो गई' की याद दिलाता है। इस गीत का फिल्मांकन जहाँ बोरियत पैदा करता है वहीं वह इसके निर्देशक संजय लीला भंसाली की थकावट का इजहार भी करता है।

टीवी के विभिन्न चैनलों पर लगातार दिखाए जा रहे इस फिल्म के ट्रेलर और गीत ने दर्शकों को फिल्म के प्रति उदासीन कर दिया है। ऐतिहासिक फिल्मों के प्रति दर्शकों का झुकाव क्षणिक होता है, जैसे ही इस तरह की फिल्मों का प्रचार शुरू होता है दर्शक तुरन्त उसे देखने को उत्सुक होता है लेकिन जब उसे इस बात का पता चलता है कि अभी इसके प्रदर्शन में देरी है, उसका जोश ठंडा पड़ जाता है। ऐसा ही संजय लीला भंसाली की फिल्म को लेकर हो रहा है।

फिल्म के निर्माता और निर्देशक चाहते हैं कि उनकी फिल्म के प्रति दर्शकों का रूझान बना रहे तो उन्हें अपनी फिल्म के प्रचार को तत्काल रोक देना चाहिए। इसे उन्हें फिल्म प्रदर्शन के एक सप्ताह पूर्व पुन: शुरू करना चाहिए, जिसमें भी दोहराव न हो। अर्थात् उन्हें फिल्म के दूसरे गीतों और ट्रेलर को जारी करना होगा जिसे देखने के बाद दर्शकों में उत्सुकता बने।